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विश्व के सबसे बड़े घंटे का क्रेडिट लेने को लेकर विवाद, मेटलॉजिस्ट बोले टूटने का है खतरा... आर्किटेक्ट ने मंत्री शांति धारीवाल को दिया श्रेय

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 25, 2023, 2:08 PM IST

कोटा में विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग काम 17 अगस्त को पूरा हुआ. इसके बाद विश्व रिकॉर्ड बनने की बात कही गई, लेकिन अब क्रेडिट लेने को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है.
Controversy over taking credit
Controversy over taking credit

क्रेडिट लेने को लेकर शुरू हुआ विवाद

कोटा.राजस्थान के कोटा में विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग का काम बीते 17 अगस्त को पूरा हुआ, जिसके बाद विश्व रिकॉर्ड बनने की बातें कही गई. लेकिन अब इस घंटे को लेकर विवाद हो गया है और ये विवाद क्रेडिट लेने को लेकर है. रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया और इसकी कास्टिंग करने वाले मेटलॉजिस्ट देवेंद्र कुमार आर्य आमने-सामने हैं. वहीं, आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने 17 अगस्त की रात को घंटे को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिससे मेटलॉजिस्ट देवेंद्र आर्य एकदम से नाराज हो गए.

एक साथ बने कई रिकॉर्ड

आर्य का कहना है कि अनूप भरतरिया की गाइडेंस में वो काम नहीं कर रहे थे और इस घंटे की कास्टिंग का काम उनकी गाइडेंस में हुआ है. साथ ही अब भुगतान का मसला भी सामने आया है और बताया गया कि अभी तक करीब डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हो सका है. इधर, आर्किटेक्ट भरतरिया ने कहा कि वो क्रेडिट तब लेंगे, जब काम पूरा हो जाएगा. घंटे की कल्पना, डिजाइन, निर्देशन व सोच उनकी थी, लेकिन अभी क्रेडिट का वक्त नहीं है. इसका पूरा क्रेडिट वैसे भी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को जाता है.

25 मिनट में कास्ट हुआ था विश्व का सबसे बड़ा घंटा

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मेटलॉजिस्ट बोले टूटने का है खतरा - मेटलॉजिस्ट आर्य का कहना है कि रिवर फ्रंट आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया कहते हैं कि रिवर फ्रंट के उद्घाटन में वीवीआईपी यहां आएंगे. ऐसे में बारिश से बचाव के लिए लगाए गए बड़े शेड को हटा दिया जाए, लेकिन यह संभव नहीं है. अगर बीच में बारिश आ जाती है तो घंटे की कास्टिंग के लिए लगाए गए लोहे के मोल्डिंग बॉक्स पर पानी गिरेगा. इससे उनमें भरी गई प्रोसेसिंग सेंड खराब हो जाएगी. पानी गिरने से थर्मल शॉक के चलते घंटे के क्रेक होने का भी खतरा है. इससे सरकार को भी काफी नुकसान होगा.

विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग को लेकर विवाद

पहले बताते तो नाइट्रोजन के जरिए करते ठंडा -मेटलॉजिस्ट आर्य ने कहा कि नाइट्रोजन के जरिए इसको ठंडा किया जा सकता था, लेकिन उन्हें समय से नहीं बताया गया. ऐसे में अब वो समय निकल गया है. नाइट्रोजन के जरिए अगर ठंडा किया जाता तो पांच दिन में ठंडा हो जाता, लेकिन तब उनकी भी तबीयत बिगड़ गई थी. साथ ही उन्हें इसको लेकर कुछ कहा भी नहीं गया था. वर्तमान में घंटे के ऊपरी हिस्से में करीब 70 डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर है, जबकि निचले हिस्से में ये टेंपरेचर 400 डिग्री तक है. ऐसे में अगर इसके मोल्डिंग बॉक्स को भी यहां से हटाया जाता है तो भी खतरा हो सकता है.

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सरकारी मशीनरी में नहीं बैठता फिट -मेटलॉजिस्ट आर्य ने कहा कि वो सरकार से नहीं लड़ रहे हैं. मंत्री शांति धारीवाल ने इतना बड़ा सपना देखा है और उन्होंने यहां विश्व धरोहर बनवाई है. ऐसे में वो किसी गलत फैसले से काम को जोखिम में नहीं डाल सकते हैं. अनूप भरतरिया इसका क्रेडिट लेना चाहता है तो कोई बात नहीं. दुनिया को मालूम है कि ये काम उन्होंने किया है. आगे उन्होंने कहा कि उन्हें क्रेडिट की बेस पर कहीं नौकरी नहीं करनी है और न ही उन्हें दूसरा कोई ऐसा प्रोजेक्ट ही करना है. ऐसे भी वो सरकारी मशीनरी में फिट नहीं बैठते हैं.

मैंने दिया मेटलॉजिस्ट आर्य को काम - आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने कहा कि क्रेडिट तो वो तब लेंगे, जब काम पूरा हो जाएगा. खैर, घंटे की कल्पना, डिजाइन, निर्देशन व सोच उनकी थी. बावजूद इसके अभी क्रेडिट लेने का वक्त नहीं है. पहले घंटे को टांक तो दिया जाए. भरतरिया ने कहा कि वो उस मजदूर को भी इसका क्रेडिट देंगे, जिसने इसके निर्माण में काम किया है. आगे उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की तारीफ करते हुए कहा कि इसका पूरा श्रेय मंत्री धारीवाल को जाता है.

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