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विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग के साथ चंबल हेरिटेज रिवर फ्रंट पर बना एक और रिकॉर्ड, 8 किमी तक सुनाई देगी आवाज

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Published : Aug 19, 2023, 8:38 PM IST

विश्व के सबसे बड़े व वजनी घंटे के निर्माण में कास्टिंग का काम पूरा हो गया है. अब जल्द ही इसे मोल्डिंग बॉक्स से बाहर निकाल कर बड़ी क्रेन की मदद से लटकाया जाएगा. इस कास्टिंग के साथ ही चंबल के हेरिटेज रिवर फ्रंट पर एक और विश्व रिकॉर्ड जुड़ गया है.

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विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग का काम पूरा

कोटा. चंबल नदी के दोनों किनारों पर 1200 करोड़ रुपए से हेरिटेज रिवर फ्रंट का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसमें चार विश्व अजूबे भी स्थापित किए जा रहे हैं. इनमें विश्व के सबसे बड़े और वजनी घंटे के निर्माण में कास्टिंग का काम पूरा हो गया है. अब जल्द ही इसे मोल्डिंग बॉक्स से बाहर निकालकर क्रेन की मदद से लटकाया जाएगा, जिसके बाद लोग इसे बजा भी सकेंगे. साथ ही ऐसा दावा किया जा रहा है कि इसकी आवाज 8 किलोमीटर दूर तक लोगों को सुनाई देगी. इस कास्टिंग के साथ ही चंबल के हेरिटेज रिवर फ्रंट पर एक और विश्व रिकॉर्ड जुड़ गया है. यहां विश्व का सबसे बड़ा नंदी भी रिवर फ्रंट पर स्थापित किया गया है. इसके अलावा विश्व की सबसे ऊंची मार्बल की प्रतिमा भी स्थापित की जा रही है. ये चंबल माता की मूर्ति है, जो कि सूर्य को अर्घ्य देती हुई स्थिति में है. इसके इतर यहां एक साथ 26 फव्वारे भी लगाए हैं, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र होंगे.

25 मिनट में कास्ट हुआ विश्व का सबसे बड़ा घंटा - विश्व के सबसे बड़े घंटे को गुरुवार को कास्ट किया गया. इसके लिए धातुओं को पिघलाने का काम दो दिन से चल रहा था. बड़ी-बड़ी क्रेन्स भी मौके पर मंगाई गई थी. जिनके जरिए कास्टिंग के काम को शुरू किया गया और शाम 8:10 बजे काम पूरा हुआ. इसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से मजदूरों को बुलाया गया था, जो कि स्टील प्लांट्स में काम करते हैं. मेटलॉजिस्ट देवेंद्र आर्य ने बताया कि लगभग सभी वर्कर पूरी तरह से ट्रेंड हैं और सभी स्टील प्लांट में काम करते हैं. इन वर्करों को भारी टेंपरेचर पर काम करना होता है. ऐसे में ये इस तरह के टेंपरेचर के आदी हो चुके हैं. पूरे इंडिया से अलग-अलग जगह से अलग-अलग एक्सपर्ट वर्करों को सेलेक्ट करके यहां लाया गया है. उन्होंने कहा कि ऊपर मोल्डिंग बॉक्स पर उनके साथ काम करने के लिए देशभर से चार एक्सपर्ट आए हैं, जो रांची, कोयंबटूर और दो जामनगर से हैं.

Chambal Heritage River Front
एक साथ हने कई विश्व रिकॉर्ड

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कई घंटे चली धातुओं को पिघलाने की प्रक्रिया - कास्टिंग पूरी हो गई है. बुधवार सुबह से ही भट्ठियों में धातु को तपाने काम का शुरू हो गया था, लेकिन हमारे आकलन में कुछ अंतर रह गया, क्योंकि इस तरह का काम पहली बार किया जा रहा है. ऐसे में बुधवार 3 बजे तक ही कास्ट के काम को पूरा करना था, लेकिन लिक्विड हुए धातु का तापमान जो आना चाहिए था, वो नहीं आ पाया. ऐसे में देर रात को कास्टिंग करना जरूरी नहीं समझा, क्योंकि इस दौरान कोई भी हादसा हो सकता था या ह्यूमन एरर की वजह से भी नुकसान हो सकता था. इसीलिए गुरुवार को इसकी कास्टिंग की गई है.

स्पेशल हीटप्रूफ कपड़े पहनकर हुई कास्टिंग - रिवर फ्रंट कास्टिंग के लिए पूरा सिस्टम तैयार किया गया था, जहां पर एक साथ 35 भट्टियां थी. ताकि हीट बॉडी तक नहीं पहुंचे. जिस जगह मोल्डिंग बॉक्स को रखा गया था और वहां 300 डिग्री सेल्सियस तक तापमान था. साथ ही भट्टियों के करीब 100 डिग्री तापमान था. हीट के कारण कहीं कोई गड़बड़ नहीं हो, इसीलिए सेफ्टी को देखते हुए स्टाफ के लिए हीटप्रूफ कपड़े व ग्लब्स मंगाए गए.

एक साथ बने कई विश्व रिकॉर्ड - देवेंद्र आर्य ने बताया कि घंटे के साथ कई अन्य रिकॉर्ड भी बन रहे हैं. जिसमें पांच रिकॉर्ड बन चुके हैं. कास्टिंग के साथ एक और रिकॉर्ड बन गया है. साथ ही सातवां रिकॉर्ड कुछ दिनों बाद बनेगा. इसमें ज्वांइटलेस चैन की कास्टिंग, नॉन फेरस की एक बार में कास्टिंग और सबसे बड़ा घंटा होने का रिकॉर्ड भी शामिल है. इसके अलावा एक जगह पर 35 भट्टियां मेटल कास्टिंग के लिए होना भी रिकॉर्ड ही है. वहीं, 250 टन वजनी मोल्डिंग बॉक्स भी पहली बार उपयोग में लिया गया है.

Chambal Heritage River Front
नंदी घाट पर विशाल नंदी की प्रतिमा

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विश्व का सबसे बड़ा नंदी - चंबल हेरिटेज रिवर फ्रंट पर एक और विश्व रिकॉर्ड बना है. जिसमें कुन्हाड़ी एरिया की तरफ नंदी घाट पर विशाल नंदी की प्रतिमा का निर्माण किया गया है. यहां नंदी बैठे है, जिनकी ऊंचाई 21 फीट, लंबाई 35 फीट और चौड़ाई 15 फीट है. ऐसे में ये काफी दूर से ही नजर आता है. यह एक सिंगल पत्थर पर बनाया है, जिसे बनाने में काफी समय लगा है. साथ ही इसका वजन 1000 टन से अधिक है.

अंतिम चरण में चंबल माता की प्रतिमा का निर्माण कार्य - विश्व का सबसे ऊंचा मार्बल का स्टैच्यू कोटा में बनाया जा रहा है. यह चंबल माता की मूर्ति के रूप में है, जो कि अपने आप में एक अनोखी प्रतिमा है और इसमें एक फाउंटेन भी लगाया जाएगा. फाउंटेन का पानी चंबल नदी में गिरेगा. ऐसे में इसे दूर से ही देखा जा सकेगा. ये मूर्ति 204 फीट ऊंची होगी. इसमें 138 फीट की प्रतिमा और इसका पेडेस्टल 66 फीट में बनाया गया है. इस प्रतिमा का वजन 1500 टन के आसपास है.

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विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग का काम पूरा

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एक ही जगह दिखेंगे 26 फाउंटेन - नगर विकास न्यास के एईएन ललित मीणा ने बताया कि 26 फाउंटेन पूरे रिवर फ्रंट पर स्थापित किए गए हैं. इनमें विश्व स्तर के फाउंटेन भी शामिल हैं. साथ ही इतने सारे फाउंटेन एक जगह लगना भी अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड ही है. इनमें लगे देसी विदेशी स्टाइल के फव्वारे भी अलग-अलग तरह के हैं. कहीं हाथी की सूंड से पानी निकलेगा तो कहीं मछली के मुंह से. वहीं, एलईडी गार्डन में म्यूजिक और फाउंटेन सिंक्रोनाइज करते दिखेगा. इसके अलावा यहां बैराज गार्डन बार्सिलोना स्पेन के मोंटजूइक व भारत के वृंदावन और मैसूर गार्डन से भी बेहतर म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया है. इन सभी में जेट पंप लगाए गए हैं.

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