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जेएनयू शिक्षक संघ और छात्र संघ ने प्रशासन पर लगाए कई आरोप

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Published : Sep 13, 2022, 9:09 PM IST

जेएनयू कैंपस में प्रशासन और यूजीसी के खिलाफ छात्र और प्रोफेसर एक सुर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जहां प्रोफेसर नए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं छात्र कैंपस में अपनी समस्या को लेकर सवाल उठा रहे हैं.

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जेएनयूएसयू की प्रेसिडेंट आईसी घोष

नई दिल्ली : जेएनयू कैंपस में 12 सितंबर को प्रोफेसर और छात्रों ने अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. जिसमें जवाहरलाल नेहरू टीचर्स एसोसिएशन (JNUTA) ने UGC के नए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट(CUET) की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. वहीं जेएनयूएसयू ने कैंपस में मूलभूत सुविधाएं और स्कॉलरशिप को लेकर प्रशासन के खिलाफ सवाल उठाया है. यानी दोनों ही तरफ से प्रशासन UGC को घेरने की कोशिश की गई है. जिसका मुख्य विषय- 'JNU teachers call for the universities withdrawal from UGC - NTA common entrance for all programs of study'

दरअसल, यूजीसी द्वारा कई यूनिवर्सिटी में होने वाले नई एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट को यूजीसी ने CUET के माध्यम से करने का निर्णय लिया है. इसके तहत यूनिवर्सिटी में नए दाखिले के लिए जो एंट्रेंस टेस्ट होता है उसमें यूनिवर्सिटी का कोई रोल नहीं रहेगा. यूजीसी द्वारा बनाए गए इस नई गाइडलाइन के खिलाफ जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ने कई मुद्दे उठाएं. उनका कहना है कि इस नए गाइडलाइन का नुकसान साफ-साफ देखने को मिल रहा है. कई ऐसे क्लासेज है, जिसमें एजुकेशन कैलेंडर के हिसाब से दो महीने तक पढ़ाई पूरी हो जानी चाहिए थी. जबकि अभी तक उसका एंट्रेंस एग्जाम ही नहीं हुआ है. पहले जो यूनिवर्सिटी द्वारा एंट्रेंस एग्जाम लिए जा रहे थे, उसमें तय वक्त पर परीक्षाएं होती थी और कैलेंडर के हिसाब से सही समय पर पढ़ाई होती थी. JNUTA का यह भी आरोप है कि एंट्रेंस टेस्ट में जो सवाल छात्रों के लिए बनाए जा रहे हैं उनमें भी काफी कमियां है.

प्रशासन और यूजीसी के खिलाफ आवाज
वहीं, पिछले 9 दिनों से जेएनयूएसयू के छात्र स्थानीय प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठे हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का कोई आश्वासन नहीं मिला. जेएनयूएसयू की प्रेसिडेंट आईसी घोष ने बताया कि छात्रों का यह प्रदर्शन, कैंपस के मूलभूत सुविधाओं को लेकर हैं. यहां की इमारतें, जिसमें कई ऐसे हॉस्टल हैं जो जर्जर की स्थिति में है, किसी भी वक्त छत का टुकड़ा टूट कर गिर जाता है. जिसमें कई छात्र पहले घायल हो चुके हैं. हॉस्टल में पानी की बहुत बड़ी समस्या है.छात्र अपनी मांग को लेकर वह यहां प्रदर्शन कर रहे है.

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ऐसा अक्सर देखा गया है कि जेएनयू कैंपस में किसी बड़े आंदोलन की शुरुआत ऐसे ही होती है. अब इस दोनों विरोध के मामले में एक तरफ यूजीसी अपनी गाइडलाइंस को लेकर क्या कोई संशोधन करता है और क्या जेएनयू प्रशासन जेएनयूएसयू के इन छात्रों को मांगों को लेकर कोई कदम उठाती है, यह आने वाला वक्त ही बताएगा. इतना तो साफ है की बीते 9 दिनों से चलने वाला छात्रों का यह आंदोलन इतनी आसानी से खत्म नहीं होने वाला है.

वहीं दूसरी तरफ यूजीसी के खिलाफ जिस तरह से JNUTA के दर्जनों प्रोफेसर एक साथ इकट्ठा हुए हैं. ऐसा लगता है कि यह मुद्दा भी काफी दूर तक जाने वाला है. JNUTA और JNUSU दोनों ही लेफ्ट समर्थक है. ऐसे में इन दोनों का यह विरोध सरकार के खिलाफ भी कहा जा सकता है. शिक्षा का सहारा लेकर सरकार और सरकारी तंत्र को घेरने की तैयारी की जा रही है.

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