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कांकेर मुठभेड़ पर नक्सलियों ने खोला मुंह, मारे गए 29 नक्सलियों में 27 के नाम बताए, दो छिपाए - Kanker encounter update

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 18, 2024, 10:47 PM IST

कांकेर के छोटेबेठिया जंगल में 16 अप्रैल को जवानों ने 29 नक्सलियों को ढेर किया. 50 घंटे से ज्यादा की चुप्पी के बाद नक्सलियों ने मुठभेड़ पर मुंह खोला है.
Chhotebethiya encounter in Kanker
कांकेर मुठभेड़ पर नक्सलियों ने खोला मुंह

कांकेर:बस्तर में नक्सली संगठन की ओर से एक बयान जारी किया गया है. बयान में नक्सलियों ने कहा है कि जो हमारे 29 साथी छोटेबेठिया में मारे गए उनके उनमें से 27 के नाम हम बता रहे हैं. गुरवार देर रात जारी किए गए बयान में नक्सलियों ने 27 साथियों के नाम गिनाए. दो नक्सलियों की पहचान नक्सलियों की ओर से नहीं की गई.

कांकेर मुठभेड़ पर बड़ी अपडेट:सोशल मीडिया के जरिए नक्सलियों ने अपने मारे गए साथियों के नाम बताए हैं. मुठभेड़ के दो दिन बीत जाने के बाद नक्सलियों ने ये स्वीकार किया है कि उनके साथियों की मौत मुठभेड़ में हुई है.

नक्सली मुठभेड़ के बाद से ही काफी परेशान चल रहे हैं, अपने कैडर और साथियों का मनोबल ऊंचा रखने के लिए इस तरह के हथकंडे वो अपनाते हैं. नक्सलियों के फ्रंट लाइन के जो नेता है उनकी ओर से ये बयान जारी किया गया है. नक्सलियों के बड़े नेता ये जानते हैं कि अपने कैडर का हौसला बढ़ाए रखने और नीचे वाले नक्सलियों को भ्रम में डाले रखने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाना जरुरी है. नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व अक्सर ऐसी घटनाओं के बाद करता रहा है. - पी सुंदरराज, बस्तर आईजी.

मारे गए 27 नक्सलियों की बताई पहचान: सोशल मीडिया के जरिए नक्सलियों ने अपने एक पेज के यान में मारे गए साथियों का हवाला देते हुए उनकी पहचान बताई है. सोशल मीडिया में नक्सलियों ने 27 मारे गए साथियों के तो नाम बताए लेकिन दो के नामों का जिक्र नहीं है. जिन दो हार्डकोर नक्सलियों के नामों का जिक्र उनके बयान में नहीं है वो हैं खूंखार नक्सली शंकर राव और ललिता. नक्सलियों ने सोशल मीडिया के बयान जारी कर कहा कि दो नक्सलियों की जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है.

नक्सलियों के निचले स्तर के जो सदस्य होते हैं उनको माओवादियों के बड़े नेता उनके अपने हाल पर छोड़ देते हैं. पहले भी ये देखा जाता रहा है कि सीपीआई माओवादी केंद्रीय समिति और क्षेत्रीय स्तर पर माओवादी प्रेस विज्ञप्तियां जारी करती थी. कांकेर मुठभेड़ के बाद तो अब नक्सली संगठन प्रेस नोट जारी करने लायक भी नहीं रहा है. नक्सलियों की संख्या गिनती की बची है. माओवादियों का क्रूर चेहरा अब उनके साथी भी पहचानने लगे हैं. लोग भी अब जान गए हैं कि नक्सली सिर्फ शोषण और उनका इस्तेमाल करते हैं. नक्सलियों के स्थानीय कैडर के पास अभी वक्त है वो हथियार छोड़ मुख्य धारा में आ जाएं. - पी सुंदरराज, बस्तर आईजी.

बस्तर मुठभेड़ पर चल रही सियासत:बस्तर मुठभेड़ को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और खुद भूपेश बघेल इस पर बयान देकर विवादों में गिर चुके हैं. सुप्रिया श्रीनेत ने जहां मारे गए 29 नक्सलियों को शहीद बताया वहीं भूपेश बघेल ने मुठभेड़ को फर्जी बताकर जांच की मांग की थी.

(सोर्स पीटीआई)

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