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रामनगर में घर-घर जा रहा ये शिक्षक, बच्चों और अभिभावकों को पढ़ाई के लिए कर रहा प्रेरित

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Published : Mar 20, 2023, 3:35 PM IST

Updated : Mar 20, 2023, 4:10 PM IST

Teacher Prabhakar Pandey Motivating Students
एमपी हिंदू इंटर कॉलेज रामनगर के शिक्षक प्रभाकर पांडे

एमपी हिंदू इंटर कॉलेज रामनगर के शिक्षक प्रभाकर पांडे इन दिनों घर-घर जाकर छात्र और उनके परिजनों से मुलाकात कर रहे हैं. उन्हें पढ़ाई के प्रति जागरूक करने के साथ उनके विषयों को लेकर संदेह भी दूर कर रहे हैं. परिजन उनकी इस मुहिम की सराहना कर रहे हैं.

रामनगर में शिक्षक प्रभाकर पांडे की पहल.

रामनगरः सूबे के ज्यादातर सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई. इसे पटरी पर लाने के लिए सरकार तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन इन सबके इतर एमपी हिंदू इंटर कॉलेज रामनगर के ऐसे शिक्षक भी हैं जिन्होंने 'पहल एक उम्मीद' अभियान की शुरुआत की है. अभियान के तहत वे स्कूल में ही नहीं बल्कि, घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं. खासकर बोर्ड परीक्षा में शामिल बच्चों को मोटिवेट करने के साथ ही उनके डाउट्स भी क्लियर कर रहे हैं.

ये है पहल एक उम्मीद: दरअसल, एमपी हिंदू इंटर कॉलेज रामनगर के शिक्षक प्रभाकर पांडे ने एक मुहिम शुरू की है. इसके तहत प्रभाकर पांडे बोर्ड परीक्षा से एक महीने पहले से ही रामनगर और उसके आस पास के क्षेत्रों के छात्रों के घर-घर जाकर पढ़ाई के प्रति जागरुक रहे हैं. जिससे बोर्ड परीक्षा दे रहे छात्रों को काफी फायदा मिल रहा है. इंटरमीडिएट की छात्रा नेहा रावत बताती हैं कि उनके टीचर उन्हें बोर्ड एग्जाम की तैयारियों के लिए मोटिवेट कर रहे हैं. जिससे उनके अंदर हौसला बढ़ रहा है. उन्हें उम्मीद है कि हम अच्छे मार्क्स लेकर आएंगे.

अच्छे रिजल्ट के लिए गुरुजी की कोशिश: वहीं, अभिभावकों का कहना है कि वो शिक्षक प्रभाकर पांडे की मुहिम की सराहना करते हैं. वो खुद घर आकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. जिससे बच्चों में कमियों का पता लग रहा है. जिसे वो दूर करने के साथ ही अच्छे से प्रैक्टिस भी करा रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि पहली बार उन्होंने ऐसा शिक्षक देखा है, जो घर-घर आकर परिजनों के साथ ही बच्चों को भी पढ़ने के लिए मोटिवेट कर रहे हैं. इसका फायदा जरूर छात्रों को मिलेगा. उन्होंने कहा कि अभिभावक, शिक्षक और बच्चे एक दिशा में कार्य करेंगे तो रिजल्ट अच्छा आएगा.
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क्या कहते हैं शिक्षक पांडे: शिक्षक प्रभाकर पांडे कहते हैं कि स्कूलों में पढ़ाई तो होती है, लेकिन कई बार बच्चे घर जाकर पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. इसके अलावा स्कूल से संबंधित सूचनाएं अभिभावकों तक नहीं पहुंच पाती हैं या फिर वो इससे रूबरू नहीं हो पाते हैं. लिहाजा, उन्होंने परीक्षा से पहले घर-घर जाकर बच्चों के साथ ही अभिभावकों से भी मुलाकात करने की योजना बनाई. इसके तहत यह जानने की कोशिश की गई कि इससे पहले परीक्षा का आउटपुट कैसा था और कितने नंबर आए थे. उसके आधार बच्चों को मोटिवेट किया जाएगा.

इसके अलावा उस आउटपुट को समझकर अभिभावक भी थोड़ा प्रयास बच्चों को पढ़ाने को लेकर घर में शुरू करें. क्योंकि, बच्चे को जब उनके नंबर को लेकर कुछ चीजें अभिभावक के सामने बताई जाती हैं तो बच्चा भी सतर्क हो जाता है. अब शिक्षक के घर जाने से बच्चों का आत्म विश्वास भी बढ़ रहा है. वो बच्चों को और ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित कर पा रहे हैं.
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वहीं, घर-घर जाने के सवाल पर प्रभाकर पांडे ने बताते हैं कि उन्हें घर-घर जाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि वो सरकारी और अर्ध सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं. जो बच्चे यहां पढ़ने आते हैं, उनमें ज्यादातर बच्चों के अभिभावक उतने धनी नहीं है. जबकि, प्राइवेट स्कूलों में पीटीएम में अभिभावकों का पहुंचना जरूरी होता है, लेकिन सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में बहुत कम अभिभावक पीटीएम में पहुंच पाते हैं. उनकी मजबूरियां भी हैं, क्योकि कई अभिभावक ऐसे हैं, जो रोजगार और मजदूरी करते हैं. उनकी परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि उनको काम पर जाना होता है. ऐसे में वो खुद अभिभावकों से मिलकर पढ़ाई और सभी क्रियाकलापों के बारे में बताते हैं.

Last Updated :Mar 20, 2023, 4:10 PM IST
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