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जीरो फिगर की चाहत महिलाओं और लड़कियों के लिए घातक, ये हैं बचाव के उपाय

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 6:49 PM IST

जीरो फिगर महिलाओं और लड़कियों में काफी ट्रेंड (Varanasi Zero Figure Trend) कर रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके कई साइड ईफैक्टस हो सकते हैं. इस स्पेशल स्टोरी में जानिए बचाव के तरीके...

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महिलाओं में जीरो फिगर ट्रेंड

जीरो फिगर से महिलाओं में हो रहे कई नुकसान की जानकारी डॉक्टर ज्योति ठाकुर ने ईटीवी भारत से की साझा

वाराणसी: 'बॉलीवुड की एक्ट्रेस को देखा है? कैसे जीरो फिगर में रहती हैं. कितनी अच्छी लगती है न उनकी फिगर? चलो ऐसे ही हम भी बनाते हैं. एकदम स्लिम-ट्रिम!' ये बातचीत आजकल की लड़कियों और महिलाओं में कॉमन देखी जा सकती है. आजकल का ट्रेंड ही ऐसा है कि हर कोई स्लिम और जीरो फिगर में दिखना चाहता है. मगर ऐसा ट्रेंड महिलाओं और लड़कियों के लिए घातक बनता जा रहा है. ये महिलाएं जीरो फिगर पाने के लिए अचानक से अपना वजन कम करना चाहती हैं. इस चक्कर में वे पौष्टिक आहार से दूरी बना लेती हैं. ऐसे में उनकी शरीर में एनीमिया पनपने लगता है, जो उनके गर्भावस्था और बच्चे के लिए हानिकारक बन जाता है.

बनारस में 50 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित

हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में बनारस में 50 फीसदी महिलाएं एनिमिक पाई गई हैं. यानी कि बनारस में 50 फीसदी महिलाएं एनीमिया से जूझ रही हैं. बड़ी बात यह है कि इनमें गर्भवती महिलाओं के साथ कम वर्ग की युवतियां भी शामिल हैं. आजकल जिम में जरूरत से ज्यादा कसरत, गलत तरीके का खान-पान युवाओं की आदत बन गई है. महिलाओं को लेकर ऐसे खुलासे हुए हैं कि वे जीरो फिगर मेंटेन करने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य का बिलकुल भी खयाल नहीं रख रही हैं. पौष्टिक आहार से दूरी बनाकर चल रही हैं, जिससे उनके शरीर में पोषण की कमी और खून की कमी सामने आ रही है. महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हो रही हैं.

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जीरो फिगर के चक्कर में हो रहे ये नुकसान
मां बनने के समय होती है समस्या: पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ज्योति ठाकुर ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि 'आजकल लड़कियों में एक ट्रेंड है कि फिगर नहीं बढ़ने देना है. खुद को मेंटेन रखना है. जिसे जीरो फिगर भी बोलते हैं. इस कारण से स्कूल एज ग्रुप से ही इनकी न्यूट्रीशन में कमी देखने को मिलती है. इससे बहुत सारी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं. स्कूल एज ग्रुप की लड़कियों में मेन्सट्रुल समस्याएं भी हैं. वेट लॉस होता है, इम्युनिटी लो होती है.' ऐसे में जब ये उस उम्र में आएंगी, जब बच्चे को जन्म देना होगा, इनका बच्चा कमजोर पैदा होगा. ये खुद भी बहुत कमजोर होंगी. ये समस्याएं इनकी न्यूट्रीशनल हैबिट को बताती हैं. ये आगे चलकर लड़कियों और महिलाओं को बहुत सारी समस्याओं में डाल सकता है.'महिलाएं अपने खान-पान पर ध्यान दें: डॉक्टर ठाकुर का कहना है, 'आजकल गर्भवती महिलाओं में हम लोग एनीमिया का पता लगा रहे हैं. सरकार एनीमिया का पता लगाने, उससे बचाव और उसके इलाज के लिए लगातार प्रयासरत है. इस कारण से बनारस में एनीमिया की जांच की संख्या बहुत बढ़ गई है. आजकल की महिलाएं जीरो फिगर या पतला दिखने के चक्कर में न्यूट्रीशन यानी अपने शरीर के पोषण पर ध्यान नहीं दे रही हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'ऐसे में एनीमिया का यह बहुत बड़ा कारण है. हरी सब्जियों और फलों का सेवन करें. महिलाएं अपने खान-पान पर ध्यान दें तो काफी हद तक एनीमिया के इलाज में मदद मिलेगी. खान-पान ठीक न होने से आयरन डिफिसियेंसी यानी एनीमिया बढ़ती दिख रही है.'इसे भी पढ़े-LED ने वाराणसी नगर निगम की टेंशन कर दी आधी, बिजली खपत आधा होने से बढ़ा राजस्व


इस तरीके से एनिमिया से निपटा जा सकता है: महिलाओं में बढ़ रही इस समस्या से कैसे निपटा जा सकता है? इसके जवाब में डॉक्टर ज्योति ठाकुर ने कहा, 'सबसे पहला काम हम अपनी खाने की आदत को सही करें. पहले के जमाने में लोग अपने खान-पान पर बहुत ध्यान देते थे. हरी साग-सब्जी खाना, लोहे के बर्तन में खाना बनाना, समय-समय से खाने का सेवन करना आदत में रहता था. इन्हीं आदतों को लड़कियां और महिलाएं नियमित रूप से अपनाएं. आगे चलकर इससे ये महिलाएं आयरन डिफिसियंसी से बच सकती हैं. इसके साथ ही हम लोग रोजाना इसके लिए ट्रीटमेंट दे रहे हैं. इसके साथ ही सरकार भी इसके लिए प्रयास कर रही है.'

वाराणसी में 50 फीसदी महिलाओं में खून की कमी: स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि वाराणसी में 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की लगभग 50.9 फीसदी महिलाएं जो प्रेगनेंट नहीं हुई और इसी एज ग्रुप की 50.8 फीसदी प्रेगनेंट महिलाएं एनेमिक हैं.सिर्फ बनारस में 19 से लेकर 49 वर्ष तक की 50.9 फीसदी महिलाएं एनेमिक पाई गई हैं. इसके साथ ही 15 साल से 19 साल तक की उम्र की 50.3 फीसदी लड़कियां एनेमिक हैं. आंबनारस में महिलाओं की संख्या 22 लाख के करीब है. इनमें से 50 फीसदी महिलाओं में खून की कमी पाई गई है. ऐसा गलत तरीके से शरीर के साथ खिलवाड़ करने से भी हो रहा है.


सरकार के दावे फेल: भारत सरकार का लक्ष्य है कि साल 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को भारत से खत्म कर दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 जून को शुभारंभ किया. वहीं हर माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना के तहत वाराणसी के हर जिला अस्पताल में कैंप लगाया जाता है. इसके साथ ही सीएचसी, पीएचसी में भी कैंप लगाया जाता है. इसके बाद भी हाल ये है कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई माह में वाराणसी मंडल की 24,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं में खून की कमी पाई गई. जौनपुर में 10446, गाजीपुर में 5668 और बनारस में 5634 महिलाओं में खून की कमी पाई गई है.



जीरो फिगर के चक्कर में हो रहा ये नुकसान
1- एकदम से वजन घटाने के चक्कर में आयरन और कैल्शियम की हो जाती है कमी.
2- डायटिंग के नाम पर लड़कियां सेहत से कर रही हैं खिलवाड़. सही खान-पान नहीं ले रहीं.
3- जीरो फिगर के चक्कर में एनिमिया, गुर्दे में दिक्कत, घबराहट, चक्कर आदि की समस्या शुरू हो जाती है.
4- अचानक से वजन कम करने की कोशिश में दिल की बीमारी हो जाती है, जो आगे चलकर नुकसान पहुंचाती है.
5- लड़कियां वजन कम करने के लिए भूखी रहती हैं. ऐसे में उनके गुर्दों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.


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