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LED ने वाराणसी नगर निगम की टेंशन कर दी आधी, बिजली खपत आधा होने से बढ़ा राजस्व

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 15, 2023, 9:31 PM IST

Updated : Sep 15, 2023, 10:56 PM IST

2017 से बनारस में एलईडी लाइट लगने से बहुत कुछ बदल गया है. एलईडी लाइट के साथ सीसीएमएस सिस्टम ने नगर निगम के बिजली की खपत को आधा कर दिया है.

वाराणसी नगर निगम
वाराणसी नगर निगम

वाराणसी नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने दी जानकारी

वाराणसी: आपको वह समय तो याद होगा जब गलियों से लेकर सड़कों तक हर जगह पीले रंग की मरकरी लाइट जला करते थे. यह मरकरी लाइट रोशनी भी देती थी और बिजली का बिल भी पूरा वसूलते थी. 500 से लेकर 1000 वॉट तक की मरकरी लाइट पूरी रात जलने पर बिजली की खपत इतनी जबर्दस्त होती थी कि पूछिए मत. ऊपर से मेंटेनेंस का खर्चा भी बहुत ज्यादा होता था. इन सबका सबसे बड़ा खामियाजा नगर निगम को भुगतना पड़ता था. बिजली की ज्यादा खपत की वजह से बिजली विभाग और नगर निगम में सामंजस्य भी नहीं स्थापित होता था. खपत ज्यादा होने के कारण नगर निगम अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा इसी में खपा देता था. लेकिन, अब नगर निगम वाराणसी को इस मरकरी से मुक्ति मिल गई. बिजली के बिल की खपत भी आधी हो गई है. इसकी बड़ी वजह है 2017 से बनारस में एलईडी लाइट लगने से बहुत कुछ बदल गया है. एलईडी लाइट के साथ सीसीएमएस सिस्टम ने नगर निगम के बिजली की खपत को तो आधा किया है. साथ ही पीली लाइट से भी आजादी मिल गई.

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2017 से बिजली की खपत आधी
राजस्व को बचाने का हो रहा कार्य: वाराणसी नगर निगम बड़े पैमाने पर बिजली की खपत को कम करते हुए सरकार के राजस्व को बचाने का कार्य कर रहा है. आंकड़ों के अनुसार वाराणसी नगर निगम का बिजली का बिल पहले से लगभग आधा हो गया है. इससे बिजली की कीमत बढ़ने के बाद भी बिजली के बिल का भार निगम पर नहीं बढ़ा है. बनारस की जिन सड़कों और गलियों में पहले नगर निगम मरकरी लाइट के जरिए रोशनी और बिजली का प्रबंध करता था. वहां अब एलइडी लाइट गलियों और सड़कों को रोशन कर रही है. यहां तक की बनारस की गंगा घाट भी पूरी तरह से एलईडी से लैस हो चुके हैं.

2017 से बिजली की खपत आधी: वाराणसी नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि 2017 में योगी सरकार बनने के बाद नगर निगम की 36,000 सोडियम लाइट को हटाकर इतनी ही एलईडी लाइट्स में बदलने की कवायद शुरू हुई. उन्होंने बताया की एक सोडियम लाइट की बिजली की खपत लगभग 200 से 250 वाट होती थी. उसकी जगह लगी एलईडी से सिर्फ 90 वाट में सड़क और गालियां रौशन होने लगी हैं. इससे पूरे नगर निगम की बिजली की खपत एक महीने की 5300 किलोवाट से घटकर महज 2600 किलो वाट रह गई है. मतलब नगर निगम ने बिजली की खपत को आधे पर ला दिया है.

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संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि पहले बिजली का दाम 2000 रुपये किलोवाट प्रति माह था, जो बिजली के रेट बढ़ने के बाद 4200 रुपये किलोवाट प्रति माह हो गया. लेकिन, एलईडी लाइट ने बिजली के बिल को थाम के रखा और बढ़ने नहीं दिया. इसके अलावा 25 प्रतिशत स्ट्रीट लाइट सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम से जुड़ी हैं. जिससे स्ट्रीट लाइट निर्धारित समय पर अपने आप जलती और बंद हो जाती है. जो बिजली बचाने में काफी सहायक हैं.

नगर निगम का बचा पैसा: संदीप श्रीवास्तव का कहना है की एलइडी की वजह से नगर निगम की बिजली की खपत आधी हुई है. 50% बिजली की खपत होने की वजह से जो विभाग का खर्च था, वह भी बच रहा है. क्योंकि नगर निगम और बिजली विभाग के बीच सामंजस्य के तहत बिजली के बिल का एडजस्टमेंट हो जाता है. लेकिन, पहले एडजस्टमेंट की राशि ज्यादा हुआ करती थी. जो अंतर होने पर नगर निगम को भुगतान करनी पड़ती थी. लेकिन, अब यही राशि 50% कम होने की वजह से नगर निगम अपने इस खर्च को अन्य कार्यो में खर्च कर रहा है.

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Last Updated : Sep 15, 2023, 10:56 PM IST
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