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'मारूफ' के फूलों से महकेगा बद्रीधाम, श्रृंगार के लिए शामली से जाएंगे फूल

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Published : Mar 18, 2021, 10:19 AM IST

Updated : Mar 18, 2021, 11:28 AM IST

शामली जिले के गढ़ीपुख्ता के किसान मारूफ आलम खान के फूल देशभर में सुर्खियां बटोर रहे हैं. वर्षों से फूलों की खेती कर रहे किसान मारूफ की गिनती शामली जिले के अग्रणी किसानों के रूप में होती है. इस बार चारधाम यात्रा के कपाट खुलने के बाद मारूफ के मशहूर फूल बद्रीनाथ धाम में बाबा बद्री विशाल के श्रृंगार में भी इस्तेमाल होंगे.

फूल.
फूल.

शामली: यूपी का शामली जिला गन्ना बैल्ट में आता है. यहां किसान परंपरागत खेती के रूप में गन्ने की फसल को खास अहमियत देते हैं, लेकिन कई किसान ऐसे भी हैं, जो कुछ अलग हट कर खेती करते हुए अन्य किसानों के लिए मिसाल बन रहे हैं. इनमें से ही एक किसान हैं फूलों की खेती करने वाले मारूफ आलम खान. जिनकी गिनती शामली जिले के अग्रणी किसानों में होती है. खास बात यह है कि इस बार चारधाम यात्रा के कपाट खुलने के बाद मारूफ के मशहूर फूल बद्रीनाथ धाम में बाबा बद्री विशाल के श्रृंगार में भी इस्तेमाल होंगे.

जानकारी देते किसान मारूफ आलम खान.

शामली जिले के गढ़ीपुख्ता के किसान मारूफ आलम खान के फूल देशभर में सुर्खियां बटोर रहे हैं. वर्षों से फूलों की खेती कर रहे किसान मारूफ की गिनती शामली जिले के अग्रणी किसानों के रूप में होती है. इन्हें अधिकारी अन्य किसानों को प्रेरति करने के लिए विभिन्न आयोजनों में भी बुलाते हैं. देश के राष्ट्रपति भवन, संसद भवन व प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ-साथ इनके फूल विभिन्न धार्मिक आयोजन में भी आस्था का श्रृृंगार करते हैं. इस बार किसान मारूफ आलम के फूल कपाट खुलने के बाद बद्रीधाम को भी महकाएंगे.

खलिहानों में तैयार करते हैं हालैंड के फूल
शामली जिले के गढ़ीपुख्ता कस्बे के रहने वाले किसान मारूफ अली खान करीब 65 बीघा जमीन पर विदेशी किस्म के फूलों की खेती करते हैं. उन्होंने खेतों पर छोटा फार्म हाउस बनाकर वहां पर करीब 50 से 60 विदेशी प्रजातियों के फूलों का शानदार गार्डन भी तैयार कर रखा है. मुख्य रूप से यें अपनी 65 बीघा जमीन में हालैंड किस्म के ट्यूबरोज (रजनीगंधा) और ग्लेडियोलस की खेती करते हैं. किसान मारूफ ने बताया कि ट्यूबरोज की खेती मार्च और अप्रैल में होती है, जो पूरे साल चलती है. एक ट्यूबरोज से 12 झड़ी निकलती है, जिनकी मंडी में अच्छी खासी कीमत मिलती है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा ग्लेडियोलस की खेती तीन महीने तक होती है. किसान ने बताया कि ट्यूबरोज का एक बीज एक रुपये जबकि ग्लेडियोलस का एक बीज साढ़े पांच रूपये की कीमत में पड़ता है.

मिलता है गन्ने से छह गुना अधिक मुनाफा
किसान मारूफ बताते हैं कि वे करीब 21 सालों से फूलों की खेती कर रहे हैं. सच कहें तो उन्हें फूलों से इश्क है. दिन में करीब आठ घंटे फूलों के बीच खेत-खलिहान पर ही बिताते हैं. किसान ने बताया कि जिले के लोग अधिकांश रूप से गन्ने की खेती को पसंद करते हैं, लेकिन फूलों की अच्छी देखभाल के साथ की जाने वाली खेती उन्हें गन्ने से 6 गुना अधिक मुनाफा देती है. उनके फूल मुख्य रूप से रात को दिल्ली गाजीपुर में लगने वाली मंडी में जाते हैं. इसके साथ ही देहरादून, चंडीगढ़, पटियाला, सहारनपुर समेत अन्य स्थानों से भी उनके पास फूलों के आर्डर आते रहते हैं. गन्ने का भुगतान एक साल बाद भी नहीं होता, जबकि फूलों का भुगतान डिलीवरी के तुरंत बाद ही उन्हें मिल जाता है.

बद्री विशाल के श्रृंगार के लिए जाएंगे फूल
मारूफ आलम खान ने बताया कि इस बार उनके फूल चार धाम यात्रा के कपाट खुलने के बाद बद्रीनाथ धाम में बाबा बद्री विशाल के श्रृंगार के लिए जाएंगे. श्रृंगार के लिए धाम में फूल पहुंचाने वाले लोगों द्वारा उन्हें पहले से ही आर्डर भी मिल गया है, लेकिन इसके लिए वे पार्टी से कोई पैसा भी नही लेंगे. किसान ने बताया कि उनके द्वारा उगाए गए फूलों की धार्मिक आयोजनों के दौरान डिमांड काफी बढ़ जाती है. उनके पास देश के प्रमुख गुरूद्धारों से भी आर्डर आते रहते हैं. किसान ने बताया कि फूलों की खेती में मुनाफा अच्छा होने के साथ-साथ वें क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार का साधन भी पैदा करते हैं. इस खेती में अच्छी देखभाल की जरूरत होती है, जिसके लिए ग्रामीण महिलाएं और लोग उनके खेतों पर मजदूरी करते हैं, इससे उनका जीविकोपार्जन भी हो रहा है.

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Last Updated :Mar 18, 2021, 11:28 AM IST
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