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3 हजार करोड़ की लागत से हाईटेक होगी यूपी 112, जानिए क्या होंगे बदलाव?

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Published : Aug 30, 2022, 6:00 PM IST

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योगी सरकार में पुलिस व्यवस्था को इस कदर हाईटेक बनाया जा रहा है कि अपराध होने की सुगबुगाहट भर में पुलिस मौके पर पहुंच रही है. अब यूपी 112 को और हाईटेक बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के निर्देश पर 3 हजार करोड़ रुपये खर्च कर नए सिरे से लांच किये जाने की तैयारी है.

लखनऊ : योगी सरकार में पुलिस व्यवस्था को इस कदर हाईटेक बनाया जा रहा है कि अपराध होने की सुगबुगाहट भर में पुलिस मौके पर पहुंच रही है. इसमें यूपी 112 बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. अब यूपी 112 को और हाईटेक बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के निर्देश पर 3 हजार करोड़ रुपये खर्च कर नए सिरे से लांच किये जाने की तैयारी है. जिससे यूपी 112 विश्व स्तरीय आपात सेवा दे सके.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2 साल पहले अक्टूबर 2019 को यूपी 112 सेवा को शुरू किया था. मौजूदा समय में यूपी 112 की 3200 चार पहिया पीआरवी व 1600 दोपहिया पीआरवी काम कर रही हैं. इसे फायर सर्विस, एम्बुलेंस, वूमेन पावर लाइन, महिला हेल्पलाइन, सीएम हेल्पलाइन व एसडीआरएफ से जोड़ा गया था. यही नहीं कोरोना काल में यूपी 112 ने सराहनीय कार्य भी किया था. ऐसे में सीएम योगी ने इस सेवा को नई तकनीक से जोड़ने व आधुनिकीकरण करने के निर्देश दिए थे.


अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार सिंह के मुताबिक, यूपी 112 को औद्योगिक प्रतिष्ठानों व बैंकों के अलार्म सिस्टम से जोड़े जाने की ओर काम किया जा रहा है. इसलिए अधिक वाहनों व मैनपावर की जरूरत को देखते हुए 6000 से अधिक पीआरवी खरीदी जाएंगी. जिसमें 4278 चार पहिया व दो हजार दोपहिया वाहन शामिल होंगे. अशोक कुमार के मुताबिक, खरीदी जाने वाली नई पीआरवी वारदात की जगह की माॅनीटरिंग के लिए बाॅडी वार्न कैमरे से लैस होगी. यही नहीं महानगरों में चलने वाली चार पहिया पीआरवी में व्हीकल माउंटेड कैमरे (vehicle mounted cameras) लगाए जाएंगे, जिससे उनकी लाइव फीड जिला और 112 मुख्यालय के कंट्रोल रूम को मिल सकेगी. उन्होंने बताया कि यूपी 112 में लगभग 65 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती भी बढ़ेगी.


एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में भारी गिरावट दर्ज हुई है. इसके पीछे कम समय में रिस्पांस करने वाली यूपी 112 का भी मजबूत हाथ रहा है. अब इसे और सुदृढ़ करने के लिए नई तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. इसके तहत मदद के लिए कॉल करने वाली महिला को यूपी 112 से मैसेज भेजा जाएगा. मैसेज में लिंक को क्लिक करने पर मदद के लिए रवाना हुई पीआरवी की रियल टाइम लाइव लोकेशन महिला को दिख सकेगी.


अशोक कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में 112 में रोजाना 60 हजार से अधिक कॉल आती है. इसके तहत पहले यह काॅल बीएसएनएल को जाती है और उसके बाद यूपी 112 को ट्रांसफर होती है. इस लंबी प्रक्रिया के चलते बहुत सी कॉल ड्राप हो जाती हैं. इसे दूर करने के लिए एसआइपी सेशन इनीशिएशन प्रोटोकॉल टेक्नोलॉजी (initiation protocol technology) का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके इस्तेमाल से मदद सभी कॉल 112 के पास सीधे आयेंगी. यही नहीं यूपी 112 के पास इमरजेंसी सेवाओं से जुड़े सभी डाटा मौजूद रहते है. इसी का प्रयोग करने के लिए विश्व स्तरीय डाटा एनालिटिक्स सेंटर (data analytics center) की स्थापना होगी. जिससे कानून-व्यवस्था से जुड़ी सूचनाएं प्राप्त करना आसान होगा. रिलॉन्च के बाद यूपी 112 में आधुनिक बिजनेस इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी (business intelligence technology) का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके तहत पीआरवी का बेहतर प्रबंधन कर समय व ईंधन दोनों की बचत भी होगी.


यूपी 112 समय से मदद मांगने वाले के पास पहुंचे इसके लिए रिस्पॉन्स टाइम कम करने का काम भी किया जा रहा है. इसके लिए पीआरवी में मौजूद रहने वाले पुलिस कर्मियों को पहले से दिए गए सिम के साथ अब मोबाइल भी दिया जाएगा. भविष्य में रिस्पांस टाइम को 7.5 मिनट करने का टारगेट है.


दरअसल, इमरजेंसी में मदद या फिर किसी वारदात की सूचना देने के लिए पीड़ित 112 पर कॉल करता है. पीड़ित की कॉल 112 के मुख्यालय में टेली कॉलर के पास पहुंचती है और पीड़ित या फिर कॉल करने वाले से घटना के संबंधित जानकारी लेने के बाद उसके स्पॉट से करीब तैनात पीआरवी को कॉल डिटेल ट्रांसफर कर दी जाती है. जिसके बाद पीआरवी में एक इलेक्ट्राॅनिक पैड होता है, जिससे कॉल आने पर उसे लिंक मिलता है. पीआरवी मौके पर पहुंचकर लोकेशन को लॉक करता है. इसके अलावा यह डिवाइस ट्रैकिंग का भी काम करती है. जिसकी मदद से पीआरवी घटना स्थल पर पहुंचकर पीड़ित की मदद करती है. यही नहीं आखिर में पीड़ित की शिकायत के निस्तारण की संबंधित रिपोर्ट भी इसी डिवाइस के चलते हेड क्वार्टर में रिपोर्ट की जाती है.

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112 की डिवाइस पर जब मुख्यालय का मैसेज नहीं मिलता है तो 10 सेकेंड बाद टेली कॉलर संबंधित पीआरवी के सीयूजी नंबर पर कॉल कर घटना की सूचना देता है, लेकिन कई बार फोन बिजी होने के चलते देर होती है और रिस्पांस टाइम में इसका फर्क पड़ता है. इन्ही समस्याओं के चलते कई शिकायतों पर एक सर्वे कराया था. जिसमें सामने आया कि कई बार डिवाइस पर मैसेज लिंक नेटवर्क के चलते देर से मिलता है. यही नहीं पीआरवी में तैनात पुलिस कर्मियों को सीयूजी सिम कार्ड तो दिया गया था, लेकिन मोबाइल फोन दिया ही नहीं गया. जिससे पीआरवी में तैनात पुलिसकर्मी अपने पर्सनल फोन में उसी सिम को यूज करते थे. जिससे जब वो अपने पर्सनल नंबर से बात कर रहे होते थे तो सीयूजी बिजी बताता था. यही नहीं कई बार छुट्टी पर जाने या फिर ड्यूटी बदलने व अन्य कई कारणों से टेली कॉलर की कॉल रिसीव करने में भी देरी व प्रॉब्लम आती थी.

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