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Special: जल संरक्षण के लिए ग्रामीणों का नायाब तरीका, हौद बनाकर कुछ यूं बचा रहे पानी

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Published : Nov 7, 2020, 8:08 PM IST

Updated : Nov 7, 2020, 8:26 PM IST

झुंझुनू में पानी की कमी, बाढा की ढाणी, पानी का जलस्तर गिरा, राजस्थान में पानी की कमी, जल संरक्षण के लिए ट्यूबवेल खुदवाया, जल संरक्षण कैसे करें, jhunjhunu news, rajasthan news, water crisis in shekhawati, water crisis in rajasthan,  How to conserve water, Tubewell excavated for water conservation
जल संरक्षण के लिए ग्रामीणों का नायाब तरीका...

शेखावाटी में जब लोग गांव से निकलकर अपने खेतों में बस जाते हैं तो उसे ढाणी नाम दिया जाता है. इसी तरह झुंझुनू में स्थित पिलानी कस्बे के घुमनसर गांव से निकलकर कुछ परिवार अपने खेतों में ही बस गए और इसका नाम पड़ा बाढा की ढाणी. जब ये लोग बसे तब यहां पानी की कोई कमी नहीं थी. लेकिन शेखावाटी के गिरते जल स्तर का खामियाजा यहां के लोगों को भी भुगतना पड़ गया.

झुंझुनू. लोग जब गांव से बाहर जाकर अपने खेतों में घर बना लेते हैं तो इसे ढाणी कहा जाता है. ऐसे में झुंझुनू के पिलानी कस्बे के घुमनसर गांव से निकलकर कुछ परिवार के लोग अपने खेतों में बस गए और इस जगह को बाढा की ढाणी के नाम से जाना जाने लगा. यहां रहने वाले लोगों के मुताबिक जब ये लोग यहां बसे थे. तब यहां पानी की कोई कमी नहीं थी. लेकिन शेखावाटी के गिरते जल स्तर का खामियाजा यहां के लोगों को भी भुगतना ही पड़ गया.

जल संरक्षण के लिए ग्रामीणों का नायाब तरीका...

आपको बता दें कि पानी की कमी को लेकर आमतौर पर लोग जनप्रतिनिधियों के चक्कर काटना शुरू करते हैं कि उनके यहां बोरिंग की खुदाई करवाई जाए, जिससे कि जो पानी नीचे चला गया है उसको खींचा जा सके. ढाणी के लोगों ने भी वही किया. लेकिन जब सरकार और प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए तो खुद से ही ट्यूबवेल खुदवा लिए. लेकिन देखते ही देखते उनको समझ आ गया कि यह स्थाई हल नहीं है. क्योंकि थोड़े दिनों के बाद वापस पानी और नीचे चला जाएगा. इसके बाद उन्हें या उनके बच्चों को वापस चक्कर काटने पड़ेंगे. इसके बाद उन्होंने जो किया, वह सच में प्रेरणा लेने के काबिल है.

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पहले काटे चक्कर और खूब खुदवाया ट्यूबवेल

पिलानी क्षेत्र में बाढा की ढाणी के लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए सरकार से गुहार लगाने की बजाय खुद से ही समस्या का समाधान करते हुए जल सरंक्षण की एक नई मिसाल कायम कर दी. ग्राम पंचायत घुमनसर में बाढा की ढाणी के सार्वजनिक ट्यूबवेल का जल स्तर गिरा तो प्रशासन से मांगकर ग्रामीणों ने दूसरा ट्यूबवेल खुदवा लिया. जब इसका भी जल स्तर गिरा तो तीसरा ट्यूबवेल खुदवा लिया. इस प्रकार प्रशासन के सहयोग से और निजी खर्चे पर करीब 14 ट्यूबवेल खुदवाए. मगर कुछ महीने बाद एक-एक करके सभी ट्यूबवेल जवाब देने लग गए. आए दिन पानी की किल्लत से निजात के लिए ढाणी के बुजुर्ग और युवाओं को सबसे पुराने खुले कुएं को वर्षा जल से रिचार्ज करने की सलाह की. सलाह लोगों को कारगार लगी, ग्रामीणों ने बैठक कर गांव के सार्वजनिक सूखे कुएं को रिचार्ज करने का निर्णय लिया.

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यह की जुगत तो बन गई बात

ग्रामीणों ने पहले गांव के चौक को ईंट, पत्थर और सीमेंट से पक्का बनवाया. यहां जमा होने वाले बरसात के पानी को कुएं तक पाइप लाइन से जोड़ा गया. वहीं घरों की छत के परनालों का पानी पाइप लाइन के माध्यम से कुएं तक पहुंचाया और वहां एक विशेष हौद बनाया गया. बाद में पत्थर, मिट्टी और कंकड़ आदि डाले गए, ताकि गंदा पानी कुएं तक न पहुंचे. फिल्टर पानी को दूसरे पाइप के माध्यम से खुले कुएं में डाला गया. लगातार पानी जाने से धीरे-धीरे खुले कुएं का जल स्तर बढ़ने लगा. नतीजतन खुले कुएं से करीब 15 फीट दूर खुदवाए गए और ट्यूबवेल में भी जल स्तर बढ़ने लगा. अब यह ट्यूबवेल हर दिन करीब ढाई से तीन घंटे चल जाता है.

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यह की जुगत तो बन गई बात

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इससे अब ग्रामीणों की पानी की किल्लत की समस्या का समाधान हो गया है. कुआं करीब 350 फीट गहरा था, जो सूख गया था. अब इसमें पानी भरने से 450 फीट गहरे ट्यूबवेल की पानी की क्षमता बढ़ गई है. बाढा की ढाणी का प्रयोग सफल होने के बाद अब घुमनसर के सरकारी स्कूल के पास बने कुएं और मेघवाल बस्ती के पास बने कुएं को भी इसी तकनीक से रिचार्ज किया जा रहा है. इस पहल को देखने के लिए अब पड़ोसी गांव के अलावा दूसरे जिलों के लोग भी यहां आ रहे हैं.

Last Updated :Nov 7, 2020, 8:26 PM IST
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