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स्पेशल : मिट्टी के सामान बनाने वालों को 'रोशनी' की उम्मीद, दीये लाएंगे खुशहाली की दिवाली

दीपावली नजदीक आते ही कुम्हारों के चाक घूमने लगे हैं. बड़ी संख्या में मिट्टी के दीये बनाने का कार्य कुम्हारों ने शुरू कर दिया है. त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदारी किए जाने के आह्वान से इस बार कुम्हारों में ज्यादा बिक्री होने की उम्मीद जगी है. चीनी सामानों का बहिष्कार भी इनकी खुशहाली में चार चांद लगाने के लिए तैयार है और अब तो पटाखे पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है. देखिये जोधपुर से ये रिपोर्ट...

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दीये लाएंगे खुशहाली की दीपावली
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Published : Nov 5, 2020, 10:24 PM IST

जोधपुर. दीपावली आगामी 14 नवंबर को मनाई जाएगी. इस अवसर पर दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है, कुम्हारों के चाक घूमने लगे हैं. बड़ी संख्या में मिट्टी के दीये बनाने का कार्य कुम्हारों ने शुरू कर दिया है. वहीं भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के चलते चीनी सामान के भारत में निर्यात पर रोक लगने से इस साल दिवाली पर मिट्टी के दीये सहित अन्य सामानों की बिक्री में तेजी की आस है.

दीये लाएंगे खुशहाली की दीपावली...

मिट्टी के दीये और अन्य सामान बनाने वाले माटी के लालों का कहना है कि इस बार उम्मीद है कि बाजार में चीनी सामान नहीं होगा. ऐसे में हमारे हाथों से बने दीये सहित अन्य मिट्टी के सामान की बाजार में मांग बढ़ेगी. बता दें कि बाजार में जो व्यापारी यह सामान बेचते हैं. वे लोग माटी के सामान बनाने वालों को आर्डर दे चुके हैं और अभी भी ऑर्डर इन लोगों को मिल रहे हैं. यही कारण है कि सामान्यतः दीपावली के 15 से 20 दिन पहले कुम्हार समाज के लोग दिये का निर्माण बंद कर देते हैं. लेकिन इस बार काम लगातार जारी है.

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कुम्हारों को अच्छी आय की उम्मीद...

यह भी पढ़ें: Special: इस दिवाली गोबर से बने इकोफ्रेंडली दीये करेंगे घरों को रोशन, जानें 'आस लैंप' की खूबियां

जोधपुर शहर के नजदीकी गांव बनाड़ में प्रजापत समाज के घरों में परंपरागत चाक की जगह, अब मोटर वाले चाक ने ले ली है. इससे उत्पादन में तेजी आ रही है. दीये बनाने वाले धर्मेंद्र प्रजापत का कहना है कि चीन के साथ हुए विवाद के बाद हमारी उम्मीदें बढ़ी हैं. हम चाहते हैं सरकार हमारा समर्थन करे, जिससे बड़ी संख्या में जो लोग इस काम से जुड़े हैं, उनको आर्थिक लाभ होगा.

बिक्री बढ़ने की उम्मीद...

दीये बनाने वालों लोगों का कहना है कि इस बार उम्मीद है कि कुछ ज्यादा दीपक की बिक्री होगी, क्योंकि चाइना के बने सामना की खरीदारी बंद हो गई है. इस बार उम्मीद है कि दीपकों की खूब बिक्री होगी. वहीं मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं. कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं.

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मिट्टी के दीयों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद...

मिट्टी के दीये बनाने वाले भेरूलाल का कहना है कि सरकार को रेलवे स्टेशन पर भी मिट्टी के सिकोरे को दोबारा काम में लेने की अनुमति जारी करनी चाहिए, जिससे हमारा काम रुकेगा नहीं. दिवाली के मौके पर मिट्टी के सामानों की दुकान लगाने वाले हरीश प्रजापत और मोहम्मद फारुक का कहना है कि लोगों का रुझान इस बार 'मेड इन इंडिया' की तरफ है और चीनी सामान बाजार में नहीं है. ऐसे में हमें उम्मीद है कि इस बार कोरोना के बावजूद काम अच्छा होगा.

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दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी

यह भी पढ़ें: SPECIAL: मिट्टी के दीये बनाने वालों का छलका दर्द! कहा- चाइनीज नहीं, हमारे दीये खरीदें

गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से चीनी सस्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान बाजार में आने से दिवाली के समय रोशनी के लिए लोग ज्यादातर चीन में बनी सस्ती लाइटों का प्रयोग कर रहे थे. लेकिन विगत कुछ समय से इसमें कमी आई है. लेकिन इस साल भारत और चीन के बीच लद्दाख में उपजे सीमा विवाद के बाद चीनी सामान के निर्यात पर पाबंदी होने से बाजार में भारतीय सामान की बिक्री में तेजी आने की उम्मीद बनी हुई है.

जोधपुर. दीपावली आगामी 14 नवंबर को मनाई जाएगी. इस अवसर पर दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है, कुम्हारों के चाक घूमने लगे हैं. बड़ी संख्या में मिट्टी के दीये बनाने का कार्य कुम्हारों ने शुरू कर दिया है. वहीं भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के चलते चीनी सामान के भारत में निर्यात पर रोक लगने से इस साल दिवाली पर मिट्टी के दीये सहित अन्य सामानों की बिक्री में तेजी की आस है.

दीये लाएंगे खुशहाली की दीपावली...

मिट्टी के दीये और अन्य सामान बनाने वाले माटी के लालों का कहना है कि इस बार उम्मीद है कि बाजार में चीनी सामान नहीं होगा. ऐसे में हमारे हाथों से बने दीये सहित अन्य मिट्टी के सामान की बाजार में मांग बढ़ेगी. बता दें कि बाजार में जो व्यापारी यह सामान बेचते हैं. वे लोग माटी के सामान बनाने वालों को आर्डर दे चुके हैं और अभी भी ऑर्डर इन लोगों को मिल रहे हैं. यही कारण है कि सामान्यतः दीपावली के 15 से 20 दिन पहले कुम्हार समाज के लोग दिये का निर्माण बंद कर देते हैं. लेकिन इस बार काम लगातार जारी है.

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कुम्हारों को अच्छी आय की उम्मीद...

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जोधपुर शहर के नजदीकी गांव बनाड़ में प्रजापत समाज के घरों में परंपरागत चाक की जगह, अब मोटर वाले चाक ने ले ली है. इससे उत्पादन में तेजी आ रही है. दीये बनाने वाले धर्मेंद्र प्रजापत का कहना है कि चीन के साथ हुए विवाद के बाद हमारी उम्मीदें बढ़ी हैं. हम चाहते हैं सरकार हमारा समर्थन करे, जिससे बड़ी संख्या में जो लोग इस काम से जुड़े हैं, उनको आर्थिक लाभ होगा.

बिक्री बढ़ने की उम्मीद...

दीये बनाने वालों लोगों का कहना है कि इस बार उम्मीद है कि कुछ ज्यादा दीपक की बिक्री होगी, क्योंकि चाइना के बने सामना की खरीदारी बंद हो गई है. इस बार उम्मीद है कि दीपकों की खूब बिक्री होगी. वहीं मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं. कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं.

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मिट्टी के दीयों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद...

मिट्टी के दीये बनाने वाले भेरूलाल का कहना है कि सरकार को रेलवे स्टेशन पर भी मिट्टी के सिकोरे को दोबारा काम में लेने की अनुमति जारी करनी चाहिए, जिससे हमारा काम रुकेगा नहीं. दिवाली के मौके पर मिट्टी के सामानों की दुकान लगाने वाले हरीश प्रजापत और मोहम्मद फारुक का कहना है कि लोगों का रुझान इस बार 'मेड इन इंडिया' की तरफ है और चीनी सामान बाजार में नहीं है. ऐसे में हमें उम्मीद है कि इस बार कोरोना के बावजूद काम अच्छा होगा.

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दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी

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गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से चीनी सस्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान बाजार में आने से दिवाली के समय रोशनी के लिए लोग ज्यादातर चीन में बनी सस्ती लाइटों का प्रयोग कर रहे थे. लेकिन विगत कुछ समय से इसमें कमी आई है. लेकिन इस साल भारत और चीन के बीच लद्दाख में उपजे सीमा विवाद के बाद चीनी सामान के निर्यात पर पाबंदी होने से बाजार में भारतीय सामान की बिक्री में तेजी आने की उम्मीद बनी हुई है.

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