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स्पेशल: शुरुआती लक्षणों की पहचान कैंसर निदान में सहायक, कोविड के दौरान इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

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Published : Nov 6, 2020, 9:30 PM IST

भारत में हर साल 7 नवंबर को 'राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस' मनाया जाता है. इसका उद्देश्य आम लोगों में कैंसर की रोकथाम और इसके शीघ्र निदान के लिए जागरूकता फैलाना है. देश में हजारों लोग हर साल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं. कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान न होने के कारण आज भी कैंसर की पहचान अधिकांश रोगी में एडवांस स्टेज (कैंसर का शरीर में फैल जाना) में होती है. भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉ. असीम कुमार सामर का कहना है कि अगर समय पर कैंसर की पहचान और उपचार की शुरुआत हो तो कैंसर से होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है.

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कैंसर से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी

जयपुर. कैंसर के लक्षण और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) के रूप में मनाया जाता है. देश में हजारों लोग हर साल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं. राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है. ताकि सही समय पर उपचार द्वारा इस बीमारी को खत्म किया जा सके. यही नहीं जो लोग कैंसर जैसी बीमारी को मात दे चुके हैं, वे लोग भी इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं.

कैंसर से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी

राजधानी जयपुर के रहने वाली वरुण पारीक कुछ साल पहले कैंसर की चपेट में आ गए थे. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि जब उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला तो वे अंदर से टूट गए और यही नहीं परिवार में अन्य लोग भी काफी परेशान हो गए. वरुण पारीक ने बताया कि कैंसर के कारण उनकी आवाज चली गई. लेकिन सही समय पर इलाज के कारण समय रहते उन्होंने इस बीमारी से छुटकारा पा लिया और आज अन्य कैंसर पीड़ित मरीजों की हौसला अफजाई कर रहे हैं.

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कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. नरेश लेडवानी

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उन्होंने बताया कि जयपुर ही नहीं, बल्कि राजस्थान के अन्य जिलों और राज्य के बाहर के ऐसे मरीजों से वह संपर्क में हैं. जो कैंसर से लड़ाई लड़ रहे हैं और उनकी हौसला अफजाई करने का काम वह करते हैं. यही नहीं किस तरह इस बीमारी का इलाज होता है और क्या लक्षण हैं, इसको लेकर भी वे आम लोगों को जागरूक करते हैं.

जयपुर की टीना जुटी रहती है कैंसर मरीजों की सेवा में

जयपुर की रहने वाली टीना समय मिलने पर जयपुर के भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल जाती हैं और कैंसर पीड़ित छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपना समय व्यतीत करती हैं. टीना ने बताया कि उनके परिचित इस बीमारी की चपेट में आ चुके थे और उन्हें अच्छी तरह पता है कि जब कोई परिचित इस बीमारी की चपेट में आता है तो परिवार पूरी तरह से टूट जाता है. लेकिन टीना की हौसला अफजाई के चलते आज ऐसे लोगों को हौसला मिल रहा है, जो अस्पताल में अपने किसी परिचित का इलाज करा रहे हैं. अस्पताल में भर्ती ऐसे छोटे बच्चे जो कैंसर से पीड़ित हैं. टीना समय-समय पर इन बच्चों से मिलती रहती हैं. यही नहीं अस्पताल में कई बार बच्चों के साथ खेलकूद सहित अन्य तरीके से सेलिब्रेशन किए जाते हैं. ताकि बच्चों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी हौसला मिल सके.

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जागरूकता जरूरी

भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. नरेश लेडवानी ने बताया कि कैंसर जैसी बीमारी का इलाज संभव है. ऐसे में जरूरी है कि समय पर इसकी पहचान की जाए. उन्होंने बताया कि कैंसर जैसी बीमारी के लिए जागरूकता काफी जरूरी है. क्योंकि इस बीमारी का अर्ली डिटेक्शन होने पर समय रहते इलाज किया जा सकता है. वहीं उन्होंने बताया कि यदि शरीर में कुछ ऐसे घाव हो जो समय से नहीं भर रहे हों या फिर मुंह से खून आना या शरीर के अन्य रास्तों से खून निकलना कैंसर की एक निशानी होती है. ऐसे में तुरंत चिकित्सीय सलाह जरूरी होती है.

इन लक्षणों को पहचानें

मुंह या गले में न भरने वाला छाला, कुछ निगलने में दिक्कत होना या आवाज में परिवर्तन, शरीर के किसी भी भाग में गांठ, स्तन में गांठ या आकार में परिवर्तन, लंबे समय तक खांसी या कफ में खून, मलद्वार/मूत्रद्वार में खून जाना, मासिक धर्म के अलावा या रजोनिवृति के बाद रक्तस्त्राव, शौच की आदत में परिवर्तन. ये सभी लक्षण कैंसर के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं. इन लक्षणों को नजर अंदाज करें बगैर चिकित्सक को समय पर दिखाकर लक्षणों के कारण की पहचान करना जरूरी है.

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7 लाख से अधिक अकाल मौत

डॉ. असीम ने बताया कि देश में 2.5 मिलियन लोग कैंसर के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. इसके साथ ही देश में हर साल 11 लाख 57 हजार 294 कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं. वहीं 7 लाख 84 हजार 821 लोग इस रोग की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं. पुरुषों में मुंह, फेफड़े और पेट के कैंसर तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि महिलाओं में स्तन और गर्भाशय के कैंसर सर्वाधिक सामने आ रहे हैं. डॉ. असीम का कहना है जागरूकता की कमी के चलते आज भी कैंसर रोगी रोग की बढ़ी हुई अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचते है, जिसकी वजह से उपचार के दौरान रोगी के मन में हमेशा यह भय रहता है कि वह पूरी तरह ठीक हो पाएगा भी या नहीं. चिंता और भय का रोगी के उपचार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

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कैंसर से बचाव है संभव

तंबाकू (बीडी, सिगरेट, गुटखा) एवं गलत जीवनशैली (जैसे व्यायाम नहीं करना, ज्यादा तेल, मसाले का भोजन का सेवन) को छोड़ दिया जाए तो कैंसर की रोकथाम संभव है. सरवाइकल कैंसर का टीकाकरण (6 माह के अंतराल में) करवाकर महिलाएं इस रोग से खुद को बचा सकती हैं. 40 की उम्र के बाद महिलाओं को स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी और बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर हर साल करवानी चाहिए.

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