झालावाड़. प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व जिला अध्यक्ष रघुराज सिंह हाडा पत्रकारों से रूबरू हुए. उन्होंने कहा कि इन कानूनों में किसान की उपज की गुणवत्ता निर्धारण के लिए थर्ड पार्टी एसेसर की नियुक्ति और किसानों पर 25,000 से 5,00000 तक दंड का प्रावधान चिंता का मुख्य कारण है. द फार्मर एग्रीमेंट ऑन प्राइस के नियम (4) के अनुसार खेती के समय और उपज देते समय थर्ड पार्टी क्वालिफाइड एसेसर के जरिए क्वालिटी जांच की जाएगी और यह एसेसर खरीददार नियुक्त करेगा, जिससे आशंका है कि वो किसान पर मनमानी करेगा.
वहीं दूसरे कानून फार्म प्रोड्यूस एन्ड कॉमर्स एक्ट के अनुसार किसान पर प्रतिदिन 5,000 रुपए पेनाल्टी का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि कानून के नियम के अनुसार दंड की वसूली भू राजस्व के रूप में की जाएगी, जिसमें किसान का मकान, पशुधन और घर का सामान तक बेचा जा सकेगा. वहीं इस कानून के जरिए किसानों को दी जाने वाली दवाइयां, बीज आदि फाइनेंसियल इंस्टिट्यूटस से ऋण के रूप में दिलवाए जाएंगे, जिसमें बीमा भी होगा अर्थात प्राकृतिक आपदा के समय क्रेता के जरिए किया गया व्यय ब्याज सहित सुरक्षित रहेगा.
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वहीं इस नियम के अनुसार एसडीओ और अपील अधिकारी के फैसले सिविल अदालत की भांति लागू होंगे. इस कानून के नियम 15 के अनुसार किसी भी सिविल अदालत को इस मामले में दखल अधिकार नहीं होगा. ऐसे में किसान पूरी तरह मजबूर हो जाएगा. कांग्रेस नेता हाड़ा ने कहा कि इस कानून में एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के सेक्शन- 3 में बदलाव करके कृषि उपज के प्रोसेसर व वैल्यू चैन के भागीदार व आसीमित मात्रा में भंडारण व क्रय का अधिकार दिया है, जो ट्रांसपोर्ट व एक्सपोर्ट पर भी लागू होगा. किंतु किसान जो उत्पादक है, उसको ऐसी छूट नहीं है.
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इन कानूनों में किसानों के लिए सही तोल का कोई प्रावधान नहीं है. किसानों को दिए जाने वाले बीच व दवाओं के मूल्य निर्धारण का भी कोई प्रावधान नहीं है. इसी के कारण कांग्रेस किसानों के हित में इस आंदोलन का समर्थन कर रही है. उन्होंने कहा कि यह कृषि कानून किसानों की बर्बादी के रास्ते खोल देंगे. इसलिए केंद्र सरकार तुरंत इन काले कानूनों को वापस ले.