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चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से: नौका नहीं, सिंह पर ही सवार होती हैं देवी, जानिए क्यों हैं मतभिन्नता

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Published : Mar 20, 2023, 8:42 AM IST

चैत्र नवरात्रि 2023
चैत्र नवरात्रि 2023

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरू हो रही है. इस बार चैत्र नवरात्र बुधवार के दिन शुरू होने के कारण माता नौका पर सवार होकर आएंगी. हालांकि धर्म शास्त्रों से जुड़े लोगों में इस बात को लेकर मत भिन्नता है. कुछ शास्त्रियों का कहना है कि नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन जिस विशेष वाहन में होता है उसका खास महत्व होता है.

बीकानेर. साल में दो बार नवरात्र अर्थात चैत्र और शारदीय नवरात्र होते हैं तो वहीं दो गुप्त नवरात्र होते हैं. देवी की आराधना का पर्व नवरात्र माना जाता है. कहा जाता है कि इन 9 दिनों में यदि देवी की आराधना भक्ति भाव से की जाए तो जीवन में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं रहती. देवी जातक के जीवन के सभी कष्टों को हर लेती है.

संकेत मिलने की भी बात
नवरात्रि शुरू होने वाले वार और देवी का किस सवारी से आगमन होता है. इसको लेकर शुभ अशुभ संकेत मिलने की बात भी कही जाती है. कहा जाता है कि नवरात्र यदि सोमवार या रविवार के दिन से शुरू होता है तो मां दुर्गा का वाहन हाथी होता है. नवरात्रि अगर शनिवार या मंगलवार से शुरू होती है तो माता रानी घोड़े में सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का आगमन डोली पर होती है वहीं बुधवार से अगर नवरात्र शुरू होती है तो मां दुर्गा का वाहन नौका होता है. देवी का आगमन नौका पर होने से फसल सिंचाई का पानी पर्याप्त बारिश होने के संकेत की बात कही जा रही है.

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देवी की सवारी सिंह बाकी भ्रांतियां
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू देवी के चैत्र नवरात्रि में नौका पर सवार होने की बात पर अपना मत रखते हुए कहते हैं कि देवी का नौका पर सवार होने की बात प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती है. वे कहते हैं कि मां दुर्गा सिंह की सवारी करती है. वे कहते हैं कि मां दुर्गा हमेशा ही सिंह पर सवार रहती हैं ऐसे में नवरात्र में नौका या किसी अन्य वाहन पर सवार होने की बात केवल मनगढ़ंत बात है. इस पर तर्क करना भी अनुचित ही होगा.

सक्रांति की होती है सवारी
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि मकर सक्रांति के आगमन पर मां दुर्गा की सवारी से जुड़ी बात लागू होती है. इसको शुभ और अशुभ संकेत फल से जोड़कर देखा जाता है. किराडू कहते हैं कि शुभ और अशुभ संकेत का फल सवारी से जोड़कर देखने की बात देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में होती है. लेकिन उत्तर भारत में इस तरह की भ्रांति नहीं है.

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