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बांध सुरक्षा के लिए ठोस मॉडल लागू करने में केंद्र का सहयोग करें राज्‍य : शेखावत

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Published : Oct 10, 2022, 9:17 PM IST

Gajendra Singh Shekhawat urges states support in dam safety in India
बांध सुरक्षा के लिए ठोस मॉडल लागू करने में केंद्र का सहयोग करें राज्‍य: शेखावत

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने बांध सुरक्षा के मामले में राज्यों के उदासीन रवैए पर चिंता जाहिर की है. शेखावत ने राज्यों से अपील की है कि वे इस मामले में केंद्र का सहयोग (Shekhawat urges states support in dam safety) करें. उन्होंने कहा कि अभी तक महज 10 राज्यों ने ही राज्य बांध सुरक्षा समितियों और केवल 6 राज्यों ने राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओ) का गठन किया है.

जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से राष्‍ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण के गठन के बाद भी राज्‍य सरकारें इस दिशा में तेजी से काम नहीं कर रहीं. अभी तक महज 10 राज्यों ने ही राज्य बांध सुरक्षा समितियों और केवल 6 राज्यों ने राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओ) का गठन किया है. जिस पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने चिंता जाहिर की है. उन्‍होंने कहा कि इस दिशा में जिस तरह का जिम्‍मेदार माहौल होना चाहिए था, वो राज्‍य सरकारों के उदासीन रवैए की वजह से नहीं बन पाया है, जिसकी वजह से सक्षम बांध प्रबंधन की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों को अपेक्षित बल नहीं मिल पा रहा है.

बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित अंतरराष्‍ट्रीय डैम सेफ्टी कॉन्‍फ्रेंस-2022 में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा (Shekhawat in international dam safety conference) कि भारत जैसे देश के लिए सक्षम बांध प्रबंधन बहुत ही महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि विश्व के अन्य भागों की तुलना में हमारी जल क्षमता बहुत कम है. पानी की मांग में तेजी से वृद्धि की तुलना में नए बांधों की संभावना भी बहुत कम है. इसलिए सक्षम बांध प्रबंधन की दिशा में तेजी से काम करते हुए मौजूदा बांधों के उचित उपयोग और बेहतर प्रबंधन पर काम करने की सख्‍त जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 100 वर्षों में बांधों और संबंधित संरचनाओं में भारी निवेश किया है. हमारे पास जितने बांध हैं, उसके मामले में चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. भारत में लगभग 5 हजार 700 बड़े बांधों में से लगभग 80% बांध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं. इसके अलावा, देश में लगभग 227 बांध हैं, जो 100 साल से अधिक पुराने हैं और अभी भी कार्य कर रहे हैं.

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शेखावत ने कहा कि कई बार प्राकृतिक आपदाओं की वजह से बांधों का जलस्‍तर अचानक बढ़ जाता है, इसकी वजह से कई बड़ी घटनाएं घट जाती हैं. उन्‍होंने 2013 में उत्‍तराखंड के केदारनाथ में आई बाढ़ और जून 2014 में हिमाचल के कुल्‍लू जिले में ब्‍यास नदी में 24 इंजीनियरिंग छात्रों (जिसमें 18 लड़के और 6 लड़कियां शामिल थीं) के डूबने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं हमें छोटी और बड़ी जल परियोजनाओं और उनसे जुड़े मानव सुरक्षा के सवाल पर नए और जवाबदेह तरीके से सोचने पर मजबूर करती हैं. लिहाजा, इस दिशा में राज्‍यों को केंद्र सरकार के प्रयासों में सहयोग करना चाहिए.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण का गठन कर बांधों से संबंधित रोकथाम, सुरक्षा और अंतरराज्यीय मुद्दों की दिशा में उठाए गए बड़े कदम को इस रूप में समझा जा सकता है कि भारत देश में 92 प्रतिशत बांध ऐसे हैं, जो विभिन्न राज्यों को जोड़ने वाली नदियों पर बने हैं. ऐसे में, अगर किसी बांध में कोई दिक्कत आती है तो उसका खामियाजा दूसरे राज्यों को भुगतना पड़ सकता है. इसीलिए केंद्र सरकार राज्‍यों से ये अपेक्षा रखती है कि सक्षम बांध प्रबंधन की दिशा में अप्रत्याशित और दुर्भाग्यपूर्ण रवैए को तिलांजलि देते हुए राज्‍य बांध सुरक्षा समतियों (एसडीडीएस) और राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओ) का तत्‍काल गठन किया जाना चाहिए. क्‍योंकि अभी तक महज 10 राज्यों ने ही राज्य बांध सुरक्षा समितियों और केवल 6 राज्यों ने राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओ) का गठन किया है.

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12 अक्टूबर तक चलने वाली इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बांध सुरक्षा कॉन्फ्रेंस में शेखावत ने कहा कि बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 के तहत दो निकायों- एससीडीएस और एसडीएसओ का गठन अनिवार्य है. इसीलिए राज्‍य सरकारों को इस दिशा में पहल करते हुए और देश में बांध सुरक्षा के लिए एक ठोस मॉडल को लागू करने में केंद्र सरकार का सहयोग करना चाहिए, जिससे पुराने और मौजूदा बांधों के उचित उपयोग और बेहतर प्रबंधन की दिशा में और भी तेजी से काम किया जा सके.

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