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चंडीगढ़ की सुनीता मरकर भी दो लोगों को दे गई नई जिंदगी, इंसानियत की इससे बड़ी मिसाल नहीं

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Published : May 22, 2023, 12:47 PM IST

Organ donation in Chandigarh PGI
चंडीगढ़ की 48 वर्षीय महिला के अंगदान से पंजाब की लड़की और हिमाचल की महिला को मिला जीवन

अंगदान को सबसे बड़ा दान कहा गया है. कुछ लोग दुनिया छोड़कर जाने से पहले इस महादान से दूसरों का जीवन रोशन कर जाते हैं. ऐसा ही मामला चंडीगढ़ में सामने (Organ donation in Chandigarh PGI) आया है. जहां एक महिला ने मरकर भी दो मरीजों को नई जिंदगी दे दी.

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में सड़क दुर्घटना की शिकार 48 वर्षीय सुनीता भले ही अब इस दुनिया में नहीं है. लेकिन वे पंजाब की 13 वर्षीय लड़की और हिमाचल की 43 वर्षीय महिला को नया जीवन दे गई हैं. दरअसल, सड़क दुर्घटना में सुनीता गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. चिकित्सकों ने उन्हें बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और आखिरकार उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. उनके परिवार ने अंगदान करने का साहसिक फैसला लिया. जिससे दो मरीजों को नई जिंदगी मिल सकी.

चंडीगढ़ की एक 48 वर्षीय महिला को सड़क दुर्घटना में चोट लगने के बाद चंडीगढ़ पीजीआईएमईएस में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. वे 4 दिनों से पीजीआई में लाइफ सपोर्ट पर थीं. सुनीता के अंग विफल होने के चलते अंगदान के लिए उनके परिवार से सहमति मांगी गई थी. जिस पर परिवार ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां के अंगों को दान करने की सहमति दी. जिसके बाद सुनीता के अंगों को अंतिम चरण के दो रोगियों को लगाकर चिकित्सकों ने उन्हें नया जीवन दिया.

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सुनीता के अंगों को पंजाब के फगवाड़ा की 13 वर्षीय लड़की और हिमाचल प्रदेश के मंडी की 43 वर्षीय महिला को लगाया गया. बताया जा रहा है कि ये दोनों मरीज लंबे समय से एक गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं. इस दौरान सुनीता के बड़े बेटे साहिल शर्मा ने कहा कि उनकी मां हमेशा जीवन के प्रति सकारात्मक रहती थीं. वे होम मेकर थीं. परिजन उनकी मुस्कान, उनकी हंसी और उनकी सकारात्मक ऊर्जा को कभी नहीं भूल सकते.

उन्होंने कहा कि वे हमारी शक्ति स्तंभ थीं और नीरस क्षणों को भी जीवित कर देती थीं. यहां तक कि अपने गुजर जाने के बाद भी उन्होंने अंगदान के जरिए दूसरों में जीवन का संचार कर खुशियां बांटी हैं. साहिल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनकी मां अपने अंतिम समय में भी दो मरीजों को नई जिंदगी देकर गई हैं. जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ के खुदा अली शेर गांव की सुनीता शर्मा 14 मई को दोपहिया वाहन से कही जा रही थीं. वे दोपहिया वाहन पर पिछली सीट पर बैठी थीं.

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इस दौरान उन्हें पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी, जिससे उनके सिर में गंभीर चोटें आईं. घटना के बाद गंभीर हालत में सुनीता को तुरंत राजपुरा के एक निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें तुरंत पीजीआईएमईआर में रेफर कर दिया गया. चिकित्सकों ने सुनीता को बचाने के सभी प्रयास किए लेकिन ये सभी कोशिशें निष्प्रभावी साबित हुई. ऐसे में पीजीआई में सुनीता को लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था.

इसके बावजूद सुनती की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ और चिकित्सकों की कोशिशों के बावजूद उनकी गंभीर स्थिति को नहीं बदला जा सका. सुनीता जीवन और मृत्यु के बीच चार दिनों तक संघर्ष करती रहीं और आखिरकार चिकित्सकों ने 18 मई को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (ज्भ्व्।) के प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद सुनीता को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था.

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