चंडीगढ़ पीजीआई में लोगों का अंगदान 110 जिंदगियों के लिए बना जीवनदान

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Published : Dec 22, 2022, 7:12 PM IST

Organ donation in Chandigarh PGI

पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजूकेशन एंड रिसर्च (Chandigarh pgi) में 2019 के बाद इस साल सबसे अधिक लोगों ने अंगदान किया. जिसके चलते इस साल चंडीगढ़ और चंडीगढ़ के बाहर रहते 110 लोगों (110 people got new life) को नया जीवन मिला. वहीं, इस साल बहुत कम लोगों ने आंखों को दान किया.

डॉ. राजेश छाबड़ा.

चंडीगढ़: पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजूकेशन एंड रिसर्च (Chandigarh pgi) में 2019 के बाद इस साल सबसे अधिक लोगों ने अंगदान किया. जिसके चलते इस साल चंडीगढ़ और चंडीगढ़ के बाहर रहते 110 लोगों को नया जीवन मिला. वहीं इस साल बहुत कम लोगों ने आंखों को दान किया. क्योंकि पीजीआई द्वारा 2013 से अंगदान अभियान चलाया गया था. ऐसे में इस साल के आंकड़ों से साबित हुआ है कि लोग अपने परिवार के सदस्य के अंगों को (Organ donation in Chandigarh PGI) दान करते हुए नए लोगों को नया जीवन देने की ओर बढ़ रहे हैं.

पीजीआई (Chandigarh pgi) में रिसर्च और डेवलपमेंट में भी नए सर्जिकल तरीकों के साथ आर्थ्रोस्कोपी या आर्थ्रोस्कॉपी, प्लास्टिक सर्जरी, एंडोस्कोपिक यानी शरीर के खोखले अंगों के अंदर या छिद्रों के अंदर देखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इंटरनल ऑर्गन के लिए भी डोनेट बॉडी (Organ donation in Chandigarh PGI) का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में ऑर्गन डोनेट ब्रेन डेड मरीजों के परिवारों की ओर से किया जाता है. ऐसे में ऑर्गन डोनेट करके लोगों की जिंदगी दी जाती है.

दरअसल अब ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन डोनेशन के लिए उनके परिवारों ने सहमति दिखाई है. इसके लिए लोगों को जागरुक भी किया जाता है. सड़क हादसों में सिर पर गंभीर चोट आने के बाद ब्रेन डेड होने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं अन्य कारणों में किसी सर्जरी आदि के बाद भी कई बार मरीज रिकवर नहीं हो पाता. ऐसे में मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है.

पीजीआई के मुताबिक, ऑर्गन डोनेट करने वालों की संख्या काफी कम है. कई मरीज ऑर्गन न मिल पाने के कारण मर जाते हैं. ऐसे में पीजीआई में पिछले चार साल के मुकाबले इस साल सबसे अधिक लोगों ने ऑर्गन डोनेट किए हैं. साल 2019 की बात करें तो चंडीगढ़ में 73 लोगों ने ही ऑर्गन डोनेट किए थे. जिसमें 31 लोगों ने शरीर दान किया ‌था.

2019 में ऑर्गन डोनेशन: 2019 में 60 लोगों को ‌नई किडनी, 8 को लीवर, दो दिल, और तीन को अग्न्याशय लगाते हुए 69 लोगों को नया जीवन मिला था. ऐसे में 674 लोगों को आंखें भी लगाई गई. वहीं 2020 में 41 लोगों को अंगदान किए गए थे. जिसमें 20 लोगों ने अपना शरीर दान किया ‌था. जिससे कई लोगों को नया जीवनदान मिला था.

2020 में ऑर्गन डोनेशन: साल 2020 में 34 को ‌नई किडनी, 2 को लीवर, 1 को दिल और चार को अग्न्याशय लगाए गए थे. वहीं, ऑर्गन डोनेट से 35 लोगों को नया जीवन मिला था. 224 को ही आंखें लगाई गई. वहीं 2021 में 60 लोगों ने ऑर्गन डोनेट किए थे. जिससे 54 लोगों को नई जिंदगी मिली थी. जिसमें 43 को नई किडनी, 9 को लीवर, चार दिल, और चार को अग्न्याशय लगाए गए. वही 22 लोगों ने अपना शरीर दान किया. तो वहीं 444 लोगों को आंखें लगाई गई.

2022 में ऑर्गन डोनेशन: वहीं 2022 के दिसंबर महीने में 20 तक 123 लोगों ने अपने ऑर्गन डोनेट किए. जिनमें से 110 लोगों को नई जिंदगी मिली. तो वहीं 81 को ‌नई किडनी, 18 को लीवर, 11 को दिल, 3 को फेफड़े लगाए गए और 10 को अग्न्याशय लगाते हुए 110 लोगों को नया जीवन मिला था. वहीं इस साल सिर्फ 404 को ही आंखें लगाई गई. बीते चार सालों में 297 लोगों द्वारा ऑर्गन डोनेट किए गए हैं.

जिनमें से 268 लोगों को नया जीवन दिया गया. वहीं न्यूरो विभाग के न्यूरो सर्जन और प्रोफेसर डॉ. राजेश छाबड़ा ने बताया कि कोविड-19 के बाद मरीजों की संख्या बढ़ी है. वहीं सड़क दुर्घटना में नौजवान पीजीआई में आए है. जिनकी दिमागी तौर पर मौत हो चुकी होती है. ऐसे में लोगों को ऑर्गन डोनेट के लिए जागरुक किया जाता है. जिसकी वजह से ऑर्गन डोनेट की संख्या बढ़ी है.

वहीं पीजीआई की तरफ से पिछले कुछ सालों से कोशिश की जा रही है कि आम लोगों को ऑर्गन डोनेट के बारे में जागरुक किया जाए. जहां लोगों को बताया गया था कि किस तरह के लोग ऑर्गन डोनेट कर सकते हैं. इसके लिए सभी स्टाफ मेंबर्स, नर्सों और डॉक्टरों को ट्रेन भी किया गया था. ताकि वह ऑर्गन डोनेट के मरीज को समझा सके.

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जिन लोगों की दिमागी तौर पर मौत हो चुकी होती है और शरीर तंदरुस्त होता है ऐसे मेंब्रेन डेड मरीज के अंग दान किए जा सकते हैं. बीमारियों से जूझ रहे लोगों को नई जिंदगी दे सकते हैं. इस साल के डाटा से साबित हुआ है कि लोग जागरूक हुए हैं और वे अपने ब्रेन डेड मरीज के अंगदान करने में विश्वास रखते हैं.

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