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चुनाव प्रचार में आखिर सीट विशेष पर ही क्यों दिख रही है कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता? जानिए क्या कहते हैं जानकार? - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 15, 2024, 5:22 PM IST

Congress election campaign in Haryana: हरियाणा में लोक सभा चुनाव में अब दस दिन से भी कम समय बचा है लेकिन कांग्रेस के राज्य स्तर के बड़े नेता भी सभी लोक सभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं जा रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का भी चुनावी दौरा अभी तक फाइनल नहीं हुआ है.

Congress election campaign in Haryana
हरियाणा में कांग्रेस का चुनाव प्रचार अभियान (Etv Bharat)

चंडीगढ़: हरियाणा में जहां बीजेपी के नेता खुद सीएम हों या पूर्व सीएम लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपने चुनावी अभियान को पूरा कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं का चुनाव प्रचार अभियान कुछ सीटों पर ही सिमटता हुआ दिखाई देता है. एक तरफ नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक और हिसार सीट से बाहर निकलते दिखाई नहीं देते हैं, वहीं अन्य दिग्गज रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और बीरेंद्र सिंह भी कुमारी सैलजा की सिरसा सीट के अलावा अन्य सीटों पर सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे हैं जितना की दिखना चाहिए.

कांग्रेस के दिग्गज नेता सिमटे कुछ सीटों तक: हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस के आला नेताओं की लोकसभा प्रत्याशियों के प्रचार में सक्रियता वैसी नहीं दिखती जैसी बीजेपी के नेताओं की दिख रही है. बात चाहे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की करें या फिर उनके विरोधी खेमे के नेताओं की जिनमें रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी, कुमारी सैलजा और बीरेंद्र सिंह शामिल हैं, यह सभी नेता कुछ खास सीटों पर भी प्रचार में सक्रिय दिखाई देते हैं.

हुड्डा हों या अन्य नेता सिर्फ अपने-अपने क्षेत्रों में दिख रहे सक्रिय: अभी तक हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सक्रियता भी ज्यादा देखने को नहीं मिल रही है. भले ही वे प्रदेश की कुछ सीटों पर अपने दौरे कर चुके हों लेकिन उनकी सबसे ज्यादा सक्रियता उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की रोहतक, हिसार और सोनीपत सीट पर दिखाई देती है. यानी कहीं ना कहीं वे दीपेंद्र हुड्डा और जय प्रकाश की जीत को पक्का बनाने के लिए जुटे हुए दिखाई देते हैं. वहीं अगर बात करें पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला की तो वे भी अभी तक कुरुक्षेत्र में इंडी गठबंधन के उम्मीदवार सुशील गुप्ता और सिरसा लोकसभा सीट पर ही सक्रिय दिखाई दिए हैं. वहीं चौधरी बीरेंद्र सिंह भी सिरसा सीट के अलावा अन्य सीटों पर सक्रिय दिखाई नहीं देते हैं. पार्टी की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी भी सिरसा सीट और उनके खुद के लोकसभा क्षेत्र भिवानी महेंद्रगढ़ में ही सक्रिय दिखाई देती हैं. इधर कैप्टन अजय यादव भी अधिक सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे हैं. वे भी सिर्फ गुरुग्राम सीट पर ही थोड़ा बहुत सक्रिय दिखाई देते हैं. जबकि कुमारी सैलजा सिरसा सीट पर उम्मीदवार हैं इसलिए वे भी इस सीट से बाहर नहीं निकल पा रहीं हैं. यानी कांग्रेस के जो बड़े चेहरे हैं वे सभी उस तरह पूरे हरियाणा में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं, जिस तरह बीजेपी के प्रमुख नेता, सीएम और पूर्व सीएम सक्रिय हैं.

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि "कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में अभी आपसी तालमेल की कमी दिखाई दे रही है. हालांकि पार्टी ने सभी को सक्रिय होने को कहा है. जैसे ही पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख नेताओं की रैलियां शुरू होंगी तब यह सभी नेता एक मंच पर दिखाई देंगे और शायद अधिक सक्रिय भी दिखेंगे." राजनीतिक प्रेक्षक राजेश मोदगिल कहते हैं कि "कांग्रेस का प्रचार हरियाणा में उस तरह से उठा हुआ अभी दिखाई नहीं देता है जिस तरीके से बीजेपी का चल रहा है. हो सकता है कि अभी तक कांग्रेस के स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम तय नहीं हुए हैं, उसकी वजह से भी जिस तरीके से जमीन स्तर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता होनी चाहिए थी, वह कम दिखाई दे रही हो. वहीं पार्टी के कुछ नेताओं की टिकट न मिलने को लेकर नाराजगी भी शायद अभी तक खत्म नहीं हो पाई है. प्रदेश के नेताओं के आपसी तालमेल की कमी भी इसकी वजह हो सकती है".

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चंडीगढ़: हरियाणा में जहां बीजेपी के नेता खुद सीएम हों या पूर्व सीएम लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपने चुनावी अभियान को पूरा कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं का चुनाव प्रचार अभियान कुछ सीटों पर ही सिमटता हुआ दिखाई देता है. एक तरफ नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक और हिसार सीट से बाहर निकलते दिखाई नहीं देते हैं, वहीं अन्य दिग्गज रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और बीरेंद्र सिंह भी कुमारी सैलजा की सिरसा सीट के अलावा अन्य सीटों पर सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे हैं जितना की दिखना चाहिए.

कांग्रेस के दिग्गज नेता सिमटे कुछ सीटों तक: हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस के आला नेताओं की लोकसभा प्रत्याशियों के प्रचार में सक्रियता वैसी नहीं दिखती जैसी बीजेपी के नेताओं की दिख रही है. बात चाहे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की करें या फिर उनके विरोधी खेमे के नेताओं की जिनमें रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी, कुमारी सैलजा और बीरेंद्र सिंह शामिल हैं, यह सभी नेता कुछ खास सीटों पर भी प्रचार में सक्रिय दिखाई देते हैं.

हुड्डा हों या अन्य नेता सिर्फ अपने-अपने क्षेत्रों में दिख रहे सक्रिय: अभी तक हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सक्रियता भी ज्यादा देखने को नहीं मिल रही है. भले ही वे प्रदेश की कुछ सीटों पर अपने दौरे कर चुके हों लेकिन उनकी सबसे ज्यादा सक्रियता उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की रोहतक, हिसार और सोनीपत सीट पर दिखाई देती है. यानी कहीं ना कहीं वे दीपेंद्र हुड्डा और जय प्रकाश की जीत को पक्का बनाने के लिए जुटे हुए दिखाई देते हैं. वहीं अगर बात करें पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला की तो वे भी अभी तक कुरुक्षेत्र में इंडी गठबंधन के उम्मीदवार सुशील गुप्ता और सिरसा लोकसभा सीट पर ही सक्रिय दिखाई दिए हैं. वहीं चौधरी बीरेंद्र सिंह भी सिरसा सीट के अलावा अन्य सीटों पर सक्रिय दिखाई नहीं देते हैं. पार्टी की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी भी सिरसा सीट और उनके खुद के लोकसभा क्षेत्र भिवानी महेंद्रगढ़ में ही सक्रिय दिखाई देती हैं. इधर कैप्टन अजय यादव भी अधिक सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे हैं. वे भी सिर्फ गुरुग्राम सीट पर ही थोड़ा बहुत सक्रिय दिखाई देते हैं. जबकि कुमारी सैलजा सिरसा सीट पर उम्मीदवार हैं इसलिए वे भी इस सीट से बाहर नहीं निकल पा रहीं हैं. यानी कांग्रेस के जो बड़े चेहरे हैं वे सभी उस तरह पूरे हरियाणा में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं, जिस तरह बीजेपी के प्रमुख नेता, सीएम और पूर्व सीएम सक्रिय हैं.

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि "कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में अभी आपसी तालमेल की कमी दिखाई दे रही है. हालांकि पार्टी ने सभी को सक्रिय होने को कहा है. जैसे ही पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख नेताओं की रैलियां शुरू होंगी तब यह सभी नेता एक मंच पर दिखाई देंगे और शायद अधिक सक्रिय भी दिखेंगे." राजनीतिक प्रेक्षक राजेश मोदगिल कहते हैं कि "कांग्रेस का प्रचार हरियाणा में उस तरह से उठा हुआ अभी दिखाई नहीं देता है जिस तरीके से बीजेपी का चल रहा है. हो सकता है कि अभी तक कांग्रेस के स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम तय नहीं हुए हैं, उसकी वजह से भी जिस तरीके से जमीन स्तर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता होनी चाहिए थी, वह कम दिखाई दे रही हो. वहीं पार्टी के कुछ नेताओं की टिकट न मिलने को लेकर नाराजगी भी शायद अभी तक खत्म नहीं हो पाई है. प्रदेश के नेताओं के आपसी तालमेल की कमी भी इसकी वजह हो सकती है".

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