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#ETVBharatExplainer रेज़िडेंट डॉक्टर्स हड़ताल क्यों? जानिए हर पहलू

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Published : Dec 28, 2021, 6:07 AM IST

दिल्ली समेत कई राज्यों में रेजिडेंट डॉक्टर्स पिछले 12 दिनों से लगातार हड़ताल पर हैं. NEET-PG काउंसलिंग में देरी को लेकर डॉक्टर्स और सरकार आमने-सामने हैं. सरकार और डॉक्टरों की लड़ाई में आम जनता पिस रही है. वो भी तब जब,ओमीक्रोन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों की हड़ताल से देश भर में एक हजार से ज्याद ऑपरेशन नहीं हो सके हैं.

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी
रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी

नई दिल्ली : दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया है. NEET-PG 2021 काउंसलिंग में देरी के खिलाफ फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (Federation of Resident Doctors Association) ने राष्ट्रव्यापी विरोध के समर्थन में सभी नियमित और आपातकालीन सेवाओं का बहिष्कार किया है.

पिछले 12 दिनों से रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने काउंसलिंग में देरी पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. डॉक्टरों का राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन (Nationwide protest of doctors) जारी है. दिल्ली का असर बाकी राज्यों में भी दिखने लगा है. दिल्ली की तरह अन्य प्रदेशों में भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने OPD सेवाओं का बहिष्कार किया है. इसका असर सीधे तौर पर मरीजों और तीमारदारों पर पड़ा रहा है.

डॉक्टर्स और सरकार की लड़ाई में पिस रही जनता

दरअसल, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा, स्नातकोत्तर (NEET-PG) 2021 की परीक्षा को पास करने वाले लाखों उम्मीदवारों को काउंसलिंग का इंतजार है. काउंसलिंग में देरी की वजह से उम्मीदवारों को मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं मिल रहा है. इसका असर स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी पड़ रहा है. ज्यादातर मेडिकल कॉलेजों में प्रथम वर्ष के रेजिडेंट डॉक्टरों की भूमिका अहम होती है. ऐसे में प्रवेश में देरी होने के कारण स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के छात्र अभी तक नहीं आए हैं. जबकि, तृतीय वर्ष के छात्र पहले ही पास आउट हो चुके हैं. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि बाकी डॉक्टरों पर काम का बोझ पड़ रहा है. उनका कहना है कि दूसरे वर्ष के डॉक्टरों को 100-100 घंटे काम करना पड़ रहा है.

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दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों की संख्या

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में लगभग 10 हजार रेजिडेंट डॉक्टर्स रहते हैं. इसमें से कई हजार डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं, जिसका सीधा असर अस्पताल में भर्ती मरीजों और तीमारदारों पर पड़ रहा है. इन सबके बीच ओमीक्रोन ने भी कहर बरपाना शुरू कर दिया है.

डॉक्टरों को काम पर लौटने के निर्देश

वहीं, LHMCH के वाइस प्रिंसिपल की तरफ से सोमवार को एक निर्देश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) एवं अस्पताल के डायरेक्टर के लगातार दिये जा रहे मौखिक आश्वासन के बावजूद कोरोना काल में जब तीसरी वेव का खतरा मंडरा रहा है. ऐसी परिस्थिति में resident doctors धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. सभी पीजी रेजिडेंट डॉक्टर्स को सुझाव दिया जाता है कि धरना प्रदर्शन वापस लें और अपनी ड्यूटी जॉइन करें. दिल्ली में डॉक्टर हाथ में पोस्टर बैनर लिए नारेबाजी कर रहे हैं. साथ ही अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि मांगें न पूरी करने का खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा. साथ ही उनका कहना है कि डॉक्टरों को सुविधा मुहैया कराने की सारी जिम्मेदारी सरकार की है.

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मीडिया से बात करते हुए फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर के अध्यक्ष डॉक्टर मनीष कुमार ने बताया कि हम सुबह शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रोटेस्ट कर रहे थे और सुबह पैदल मार्च निकाल रहे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस की तरफ से हमें डिटेन किया जाता है और हमारे साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, जहां हमें एक तरफ कोरोना योद्धा कहा गया, हमारे ऊपर फूल बरसाए गए, लेकिन अब दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस के द्वारा हमें मारा पीटा जा रहा है. हमारे साथ बदसलूकी की जा रही है. इसको बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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