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नवा रायपुर किसान आंदोलन: राकेश टिकैत की बघेल सरकार से मांग,किसानों को मिले उचित मुआवजा

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Published : Apr 27, 2022, 4:56 PM IST

Updated : Apr 27, 2022, 8:27 PM IST

नवा रायपुर किसान आंदोलन तीन जनवरी 2022 से नया रायपुर में जारी है. यहां 27 गांव के किसान सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और अपनी जमीन के उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं. किसानों के आंदोलन को समर्थन देने किसान नेता राकेश टिकैत पहुंचे. उन्होंने बघेल सरकार से किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है. मांगें नहीं माने जाने की सूरत में आंदोलन को जारी रखने की बात राकेश टिकैत ने कही है.

Rakesh Tikait demanded Baghel government
नवा रायपुर किसान आंदोलन का राकेश टिकैत ने किया समर्थन

रायपुर: किसान नेता राकेश टिकैत छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं. वह नया रायपुर में चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए रायपुर पहुंचे हैं. नवा रायपुर में 115 दिनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है. रायपुर के अटल नगर (नवा रायपुर) में पुनर्वास और व्यवस्थापन की मांग को लेकर, प्रभावित किसानों का आंदोलन 3 जनवरी 2022 से लगातार जारी है. यहां 27 गांव के किसान अपनी जमीन को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि नया रायपुर के 27 गांवों को जो नगरीय क्षेत्र घोषित किया गया है. उसकी अधिसूचना को रद्द किया जाए.

नया रायपुर के किसानों को मिले उचित मुआवजा

राकेश टिकैत ने किसानों की मांग को जायज ठहराया: नया रायपुर में पत्रकारों से चर्चा के दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि हम लोग आंदोलन का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण या कोई योजना तो पूरे देश के लिए होती है. सिर्फ 27 गांव के किसानों की जमीन को अधिग्रहण करने के लिए योजना थोड़े ही होती है. ऐसे तो 27 गांवों के किसानों की जमीन चली जाएगी. राकेश टिकैत ने 27 गांवों के किसानों को उनकी जमीन के बदले उचित मुआवजा देने की मांग की है.

राकेश टिकैत ने किसानों को एकजुट रहने को कहा

किसानों की जमीन बाजार रेट पर खरीदी जाए: उन्होंने कहा कि महंगाई बहुत बढ़ गई है. जिस रेट में जमीन थी. आज उसमें रहने के लिए मकान भी नहीं मिलेगा. सरकार को बाजार रेट पर जमीन खरीदना चाहिए. टिकैत ने किसानों की मांग को जायज ठहराया. उन्होंने कहा कि अभी तो आंदोलन के 115 दिन हुए हैं. अगर सरकार मांगें नहीं मानती है तो आंदोलन आगे भी चलेगा. टिकैत ने कहा कि, राज्य सरकार किसानों के लिए योजनाएं चला रही है. वह अलग है और इन 27 गांव के किसानों की मांग अलग है. इसे राज्य सरकार को पूरा करना चाहिए. आज शाम को राकेश टिकैत और सीएम बघेल की मुलाकात होनी है. उसमें इस मुद्दे पर आगे हल निकल सकता है.

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क्या है पूरा मामला : छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 1 नवंबर सन 2000 को हुआ. प्रदेश बनने के बाद से ही सरकारी महकमे में इस बात की चर्चा होने लगी थी कि मध्य प्रदेश की राजधानी नया भोपाल की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी नया रायपुर बनाया जाए. तात्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने साल 2002 में नया रायपुर बनाने के लिए पौता गांव में सोनिया गांधी से शिलान्यास भी करवाया. पौता के आसपास के 61 गांव को इस प्लान में रखा गया था. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के प्लान में परिवर्तन किया. 2005 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नया रायपुर के लिए राखी गांव में फिर से शिलान्यास करवाया. नया रायपुर के लिए बनाए गए इस प्लान में कुल 41 गांव को लिया गया. इस परियोजना के लिए कुल 27 गांव में जमीन की खरीदी बिक्री पर रोक लगाई गई.

साल 2006 से जमीन खरीदी की फिर हुई शुरुआत: साल 2006 से सरकार ने किसानों की जमीनों को खरीदना शुरू किया.किसान नेताओं के मुताबिक साल 2002 के बाद से ही नया रायपुर क्षेत्र में किसानों का आंदोलन रुक-रुक कर चलता रहा. नयी राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में आने वाले, रीको गांव में तात्कालीन शासन की ओर से नोटिस दिया गया. इस नोटिस में कहा गया है कि गांव के सभी किसान आपसी समझौता करके अपनी जमीन शासन को दे दें वरना सभी की जमीनें अधिग्रहित कर ली जाएंगी. शासन द्वारा दिये गए नोटिस के बाद किसानों ने यहां आंदोलन शुरू कर दिया.

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किसानों की क्या है मांगें ?

  • प्रभावित 27 ग्रामों की घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए.
  • सम्पूर्ण गांवों को ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए.
  • सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए.
  • मुआवजा प्राप्त नहीं हुए भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजा मिले
  • प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड का वितरण किया जाए.
  • अर्जित भूमि पर वार्षिकी राशि का भुगतान तत्काल दिया जाए.
  • सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो.
  • आपसी सहमति, भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क का आवंटन किया जाए
Last Updated :Apr 27, 2022, 8:27 PM IST
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