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अजमेर की इस ऐतिहासिक झील की खूबसूरती को लगा जलकुंभी का ग्रहण, करोड़ों खर्च होने के बाद भी नहीं हो पा रही सफाई - Ana Sagar Lake

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 2, 2024, 10:18 PM IST

Ajmer Ana Sagar Lake
Ajmer Ana Sagar Lake (RAJASTHAN ETV BHARAT)

Ajmer Ana Sagar Lake, अजमेर की ऐतिहासिक आना सागर झील इन दिनों जलकुंभी की गिरफ्त में है. झील से जलकुंभी को हटाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, बावजूद इसके समस्या जस की तस बनी हुई है.

झील की खूबसूरती को लगा जलकुंभी का ग्रहण (ETV BHARAT RAJASTHAN)

अजमेर. अजमेर की ऐतिहासिक मानव निर्मित आना सागर झील यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती है. राजा अर्णोराज चौहान ने इस झील का निर्माण करवाया था. उसके बाद मुगलकाल में आना सागर की पाल पर बारादरी का निर्माण हुआ. कभी 13 किलोमीटर की परिधि में झील का फैलाव था, जो अब 3 किलोमीटर में सिमट गई है. इसके बावजूद बची हुई झील की सुंदरता को अजमेर का प्रशासन और नगर निगम कायम रख पाने में नाकाम साबित हो रहा है. वहीं, बीते एक साल से खूबसूरत आना सागर झील को जलकुंभी ने घेर रखा है. पर्यटन और भूमि जल स्तर को बनाए रखने के लिए आना सागर झील अजमेर शहर के लिए वरदान है. ये झील शहर के बीचों बीच स्थित है. वही, ख्वाजा गरीब नवाज को चाहने वाले लोग झील के पानी को पवित्र मानते हैं. झील के चारों ओर पहाड़िया हैं. ऐसे में झील का नजारा खासकर बरसात और सर्दी के मौसम किसी हिल स्टेशन से कम नजर नही आता.

अजमेर में विश्व विख्यात सूफी के ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह और पुष्कर में विश्व का इकलौता जगत पिता ब्रह्मा मंदिर है. दोनों प्रमुख धार्मिक स्थलों पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं. धार्मिक यात्रा के बाद श्रद्धालु पर्यटन स्थलों पर भी जाते हैं. इन पर्यटन स्थलों में आना सागर झील प्रमुख है. मगर अब आना सागर झील की खूबसूरती को जलकुंभी का ग्रहण लग चुका है. दूर से देखने पर झील घास के मैदान के रूप में नजर आती है, लेकिन पास जाने पर तेज दुर्गंध यहां आने वालों के लिए परेशान का सबब जाती है. मौजूदा आलम यह है कि झील में पानी ही नजर नहीं आता. जलकुंभी के कारण झील के पानी में ऑक्सीजन की कमी हो गई है. इस वजह से झील के पानी में रहने वाली मछलियां और अन्य जलीय जीव जंतुओं पर भी खतरा मंडराने लगा है. झील में जल क्रीड़ा करते देशी और प्रवासी पंछी भी झील की दुर्दशा को देख यहां से रुखस्त हो चुके हैं.

Ajmer Ana Sagar Lake
Ajmer Ana Sagar Lake (RAJASTHAN ETV BHARAT)

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जलकुंभी से पर्यटन पर पड़ रहा असर : आना सागर झील के चारों ओर बने पाथवे पर्यटकों से हमेशा आबाद रहता है. झील की खूबसूरती को निहारने के साथ-साथ पर्यटक झील में बोटिंग का भी आनंद लेते हैं. इसके अलावा पाथवे पर चहल कदमी कर अपने मोबाइलों पर झील के साथ सेल्फी लेते हैं. मगर झील में जलकुम्भी का डेरा जमने के बाद पर्यटन पर भी खासा असर पड़ा है. झील के एक हिस्से में ही बोटिंग हो रही है. वहीं, पाथवे पर्यटकों के अभाव में सुना पड़ा है. झील की दुर्दशा के बारे में देख सुन पर्यटक भी इस ओर नही आ रहे हैं.

सुरसा की तरह फैली जलकुंभी : नगर निगम की ओर से जलकुंभी को निकालने के प्रयास जारी है. मगर 2 करोड़ से भी अधिक रुपए लगा देने के बाद भी जलकुंभी काबू में नहीं आ पा रही है. झील में जहां से जलकुंभी हटाई जाती है. वहीं, अगले दिन उतनी ही दूसरे क्षेत्र में फैल जाती है. ऐसे में जितनी झील से जलकुंभी निकाली जा रही है. उतनी ही अगले दिन तैयार मिलती है. यानी सुरसा राक्षसी की तरह जलकुंभी भी अपना फैलाव बढ़ा रही है और सारे प्रयास धरे के धरे रह रहे हैं.

Ajmer Ana Sagar Lake
Ajmer Ana Sagar Lake (RAJASTHAN ETV BHARAT)

जलकुंभी रखने की समस्या : झील से जल कुंभी निकालकर जेसीबी के माध्यम से ट्रैक्टरों में भरकर झील के नजदीक खाली सरकारी भूमि पर पटकी जा रही है. खास बात यह है कि मुख्य सडक से सटी होने के कारण पटकी गई जलकुंभी की दुर्गंध से लोग काफी परेशान है. ऋषि घाटी के नजदीक, लेक व्यू के सामने बांडी नदी के किनारे पर झील से निकली गई जलकुंभी को पटका जा रहा है जो तीव्र दुर्गंध का कारण बनी हुई है.

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निगम ने झोंके संसाधन : नगर निगम आयुक्त ने 20 मार्च को आना सागर झील से जलकुंभी हटाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया था. इसके तहत 5 पोकलेन, चार जेसीबी, 11 डंपर और 10 ट्रैक्टर लगा रखे हैं. इसके अलावा 40 मछुआरों की मदद से भी दो शिफ्ट में जलकुंभी को हटाने का काम हो रहा है. 29 अप्रैल तक 6 हजार 357 डंपर जलकुंभी झील से निकल गई है. इसमें 2 करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं. वहीं, झील की सफाई के लिए निगम ने डिवीडिंग मशीन भी खरीदी है, जबकि नगर निगम के पास पहले से मौजूद डिवीडिंग मशीन खराब हो गई है. इतना सब करने के बाद आना सागर में जलकुंभी काबू में नहीं आ रही. करोडों रुपए खर्चने के बाद अब निगम के अधिकारी विशेषज्ञों से संपर्क कर आनासागर झील को जलकुंभी से मुक्त करवानाने के प्रयास में लगे हैं.

Ajmer Ana Sagar Lake
Ajmer Ana Sagar Lake (RAJASTHAN ETV BHARAT)

निगम आयुक्त ने कही ये बात : नगर निगम आयुक्त देवल दान ने बताया कि आना सागर झील से रोज बड़ी मात्रा में जलकुंभी निकली जा रही है, ताकि इसको नियंत्रित किया जा सके. विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों से भी संपर्क किया है. कुछ लोगों ने जलकुंभी को हटाने को तैयार हुए, लेकिन उनके काम की कोस्ट काफी है. लिहाजा भोपाल और अन्य जगहों पर भी सपंर्क करके जलकुंभी से स्थायी निजात पाने के लिए प्रयास जारी है.

अधिकारियों और ठेकेदार की लापरवाही का दंश भुगत रही झील : आना सागर झील अजमेर की शान है. लिहाजा झील में जलकुंभी को लेकर सियासत न हो, ऐसा मुमकिन नहीं है. अजमेर नगर निगम की डिप्टी मेयर नीरज जैन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए धन राशि दी. इसमें अजमेर भी शामिल था. पिछली कांग्रेस सरकार में स्मार्ट सिटी के तहत किस तरह के काम हुए वो किसी से नही छुपे नहीं हैं. जैन का आरोप है कि स्मार्ट सिटी के अधिकारियों, तत्कालीन अधिकारियों की दूरदर्शिता की कमी और ठेकेदार की लापरवाही से आना सागर झील में जलकुंभी फैली है.

Ajmer Ana Sagar Lake
Ajmer Ana Sagar Lake (RAJASTHAN ETV BHARAT)

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उन्होंने कहा कि बिफर जॉय के वक्त आना सागर झील से 3 फिट पानी निकाला गया था. जब बांडी नदी और झील में गिरने वाले 13 गंदे नालों में जलकुम्भी उगी हुई थी जो बहाव से आनासागर झील में आ गई. इसका दुष्परिणाम झील भुगत रही है. जैन का यह भी आरोप है कि लापरवाही करने के बावजूद तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की बजाए इस ठेकेदार को जलकुंभी हटाने का इस बार भी ठेका दिया है. इसके लिए प्रशासन को पहले ही चेता दिया था. मगर प्रशासन ने इस ओर ध्यान नही दिया. जैन ने कहा कि सीएम भजन लाल शर्मा से मामले में हस्तक्षेप करने और दोषी अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है.

भाजपा सरकार ने रत्ती भर भी नहीं किया प्रयास : नगर निगम में प्रतिपक्ष नेता द्रोपदी कोली ने कहा कि जलकुंभी को हटाने के लिए करोड़ों रुपए निगम की ओर से खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जलकुंभी जितनी हटाते हैं उससे ज्यादा फिर से नजर आती है. उन्होंने कहा कि आनासागर से जलकुंभी हटाने के लिए कमेटी बनाई जानी चाहिए. साथ ही विशेषज्ञ पर्यावरण विद् और जनप्रतिनिधियों से राय मशवरा करके समस्या का स्थाई हल निकालना चाहिए. लेकिन अधिकारी अपनी ही मनमानी में लगे हुए हैं. कोली ने कहा कि प्रदेश में बीजेपी सरकार को 5 महीने हो चुके हैं, लेकिन रत्ती भर भी प्रयास सरकार की ओर से आना सागर की दुर्दशा को सुधारने के लिए नहीं किए गए हैं. झील से जलकुंभी को हटाने का स्थाई समाधान निकाला जाना चाहिए. जलकुंभी की दुर्गंध और झीलों की दुर्दशा के कारण पर्यटक भी आना सागर झील से सटी पाथवे पर नजर नहीं आते हैं. इसे पर्यटन से जुड़े उद्योग को भी नुकसान हो रहा है.

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Ajmer Ana Sagar Lake (RAJASTHAN ETV BHARAT)

पशु भी नहीं खाते : पार्षद व पशुपालक ज्ञान सारस्वत ने बताया कि साल 2010 से ही आना सागर झील में जलकुंभी आ गई थी. इसका उद्गम बांडी नदी ज्ञान विहार क्षेत्र से हुआ है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की गई है कि नगर निगम के प्रयास कारगर नहीं हो पा रहे हैं ऐसे में इसको आपदा में लेते हुए मामले में हस्तक्षेप करें और आनासागर झील को जलकुंभी से मुक्त करने के लिए कोई ठोस उपाय करें. उन्होंने कहा कि जलकुंभी को कोई भी पशु नहीं खाता है. यह किसी भी काम में नहीं आती है. बल्कि इसकी दुर्गंध से लोग परेशान है.

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झील में जलकुंभी लगी नहीं, लगाई गई : सामाजिक कार्यकर्ता व बीपीएल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल साहू का आरोप है कि षड्यंत्र करके आना सागर झील के दायरे को कम करने के लिए यह जलकुंभी लगाई गई है. उन्होंने कहा कि आनासागर झील से सटकर पाथवे बनाकर झील के दायरे को कम किया गया है. अब साजिश के तहत झील के बीच से रास्ता बनाया जाएगा और झील को दो भागों में बांट दिया जाएगा. जनता इस बात से खुश होगी की झील की सफाई होगी लेकिन इसके पीछे बड़ा षड्यंत्र झील के किनारे की भूमि को हड़पने का है. आनासागर झील में कुंभी लगी नहीं है बल्कि लगाई गई है इसकी उच्च स्तरीय जयपुर के अधिकारियों से जांच होनी चाहिए.

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