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उत्तराखंड में चैत्र नवरात्रि पर भक्ति में डूबे लोग, धारी देवी करती हैं मनोकामनाएं पूरी - Chaitra Navratri 2024

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 9, 2024, 8:29 PM IST

Updated : Apr 9, 2024, 11:07 PM IST

Chaitra Navratri 2024 देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि शुरू हो गया है. ऐसे में देवी के विभिन्न मंदिरों में आस्था का सैलाब देखने को मिल रहा है. श्रीनगर के धारी देवी मंदिर, अल्मोड़ा के नंदा देवी मंदिर और काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में भक्त आस्था में डूबे नजर आए.

Chaitra Navratri 2024
उत्तराखंड में चैत्र नवरात्रि

धारी देवी मंदिर में उमड़ी भीड़

श्रीनगर/अल्मोड़ा/काशीपुर: आज से चैत्र नवरात्रि 2024 शुरू हो गई है. ऐसे में उत्तराखंड के तमाम देवी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है. प्रसिद्ध सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर में भी भक्तों का अपार जनसैलाब देखने को मिला. जबकि, अल्मोड़ा में शोभा यात्रा निकाली गई. साथ ही भक्तों ने मां नंदा के दर्शन किए. उधर, काशीपुर में ऐतिहासिक चैती मेले का आगाज ध्वजारोहण के साथ शुरू हो गया है.

मां धारी देवी में उमड़ा आस्था का सैलाब: यूं तो साल के 12 महीनों धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रों के समय हर दिन धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा बढ़ जाती है. यहां उत्तराखंड से नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते है. भक्तों का कहना था कि उन्हें मंदिर में आकर नई ऊर्जा का एहसास होता है. इसलिए नवरात्रों के समय वो यहां पहुंचकर मां का आशीर्वाद लेते हैं.

Dhari Devi Temple
धारी देवी मंदिर

बता दें कि मां धारी देवी का मंदिर नेशनल हाईवे 58 पर स्थित है. जो श्रीनगर से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर है. मां का ये मंदिर अलकनंदा नदी के बीचों बीच बना हुआ है. इससे पहले श्रीनगर जलविद्युत परियोजना के डूब क्षेत्र में मंदिर के आने से मां की मूर्ति को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया. लोगों का ये भी मानना है कि साल 2013 में आई केदारनाथ की आपदा इसी के कारण आई. अब मां का नया मंदिर भव्य रूप से बन गया है. अब इसी मंदिर में धारी देवी की पूजा अर्चना की जाती है.

Dhari Devi Temple
मां धारी देवी की पूजा

धारी देवी मंदिर के पुजारी लक्ष्मी प्रसाद पांडे बताते हैं कि धारी देवी मंदिर का इतिहास द्वापर युग से बताया जाता है. पांडवों ने यहां मंदिर में आकर पूजा अर्चना की थी. उन्होंने ये भी बताया कि आदि गुरु शंकराचार्य की ओर से भी यहां पूजा अर्चना का जिक्र है. यहां पूजा करने के बाद में वो यहां से बदरीनाथ की यात्रा पर गए. आधुनिक युग में चार धाम पर आने वाले यात्री यहां दर्शन कर अपनी चारों धामों की यात्रा को सफल मानते हैं.

धारी देवी की ये है मान्यता: मान्यता है कि धारी देवी की मूर्ति दिन में 3 बार अपना रूप बदलती है. सुबह जहां मां बाल्य अवस्था में भक्तों को दर्शन देती है तो दोपहर में कन्या तो शाम के समय बुजुर्ग महिला के रूप में भक्त मां के दर्शन करते हैं. कहा ये भी जाता है कि जब पांडव स्वर्गारोहिणी जा रहे थे, तब पांडवों ने धारी देवी मंदिर में पूजा अर्चना कर अपनी आगे की यात्रा की थी. एक अन्य कथा के अनुसार शंकराचार्य ने बदरीनाथ के मंदिर के जीर्णोद्धार से पहले धारी देवी मंदिर में पूजा अर्चना की थी.

अल्मोड़ा में शोभायात्रा

अल्मोड़ा में निकली भव्य सांस्कृतिक शोभा यात्रा: नवसंवत्सर और वासंतिक नवरात्रि पर हिंदू सेवा समिति की ओर से अल्मोड़ा में सांस्कृतिक शोभा यात्रा निकाली गई. जिससे भजन-कीर्तन और जयकारों से पूरा नगर भक्तिमय हो गया. मंदिरों में सुबह से ही घंटी, शंख और मंत्रोचार से माहौल अलग ही नजर आया. इस दौरान मंदिरों में सुंदरकांड का पाठ और भजन कीर्तन हुए. वहीं, नवरात्रि पर पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की गई.

काशीपुर में चैती मेले का शुभारंभ: मां बाल सुंदरी देवी मंदिर परिसर काशीपुर में चैती मेले शुरू हो गया है. काशीपुर विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने पूजा अर्चना के बाद झंडारोहण कर मेले का शुभारंभ किया. मां बाल सुंदरी देवी मंदिर के मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री की मानें तो इस साल चैत्र नवरात्र की सप्तमी यानी 15-16 अप्रैल की अर्द्धरात्रि को परंपरागत धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होगा. इसके बाद मोहल्ला कानूनगोयान स्थित नगर मंदिर से मां भगवती बाल सुंदरी देवी का डोला चैती मेला परिसर स्थित मंदिर भवन पहुंचेगा.

Almora Chaitra Navratri
अल्मोड़ा मां नंदा देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि

जहां मां भगवती की प्रतिमा 22 अप्रैल तक श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रहेगी. जबकि, 22 अप्रैल की अर्द्धरात्रि डोला वापस पंडा आवास ले जाया जाएगा. उन्होंने बताया कि 52 शक्तिपीठों में शामिल उज्जैनी शक्तिपीठ मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में उत्तराखंड के अलावा यूपी, दिल्ली समेत कई राज्यों के श्रद्धालुओं की भारी आस्था है. यही वजह कि इस मंदिर को 52 शक्तिपीठों में भी शामिल किया गया है.

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Last Updated :Apr 9, 2024, 11:07 PM IST
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