देहरादून (उत्तराखंड): चारधाम यात्रा उत्तराखंड के आर्थिकी की रीढ़ है. इस यात्रा में आने वाले लाखों श्रद्धालु ना केवल धामों की शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि उत्तराखंड की आर्थिकी और रोजगार को बढ़ावा देती है. 20 मई तक 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालु चारधाम आ चुके हैं. यमुनोत्री में 1,38,537 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. गंगोत्री में यह आंकड़ा 1,25,777 है. बाबा केदार के दर्शन के लिए 3,19,193 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं तो बदरीनाथ धाम में 1,39,656 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं.
हालांकि, करीब 11 दिनों के भीतर इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से यात्रा के दौरान कई अव्यवस्थाएं भी देखने को मिली हैं. श्रद्धालुओं की भारी संख्या को इसके पीछे वजह माना जा रहा है. लेकिन हकीकत ये है कि उत्तराखंड के लिए चारधाम यात्रा किसी आशीर्वाद से कम नहीं है. यह यात्रा उत्तराखंड के आर्थिक हालातों को तो मजबूती देती ही है साथ ही प्रदेश में रोजगार के नए मौके और अवसर भी प्रदान करती है.
यात्रा में करीब 20 हजार करोड़ का वित्तीय लेन देन का आंकलन: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान साल 2023 में करीब 56 लाख श्रद्धालुओं ने धामों के दर्शन किए. एक आंकलन के अनुसार इस दौरान राज्य में श्रद्धालुओं के आने से करीब 20 हजार करोड़ का वित्तीय लेनदेन हुआ. वित्तीय मामलों के जानकार राजेंद्र बिष्ट कहते हैं कि, प्रदेश में आने वाले श्रद्धालुओं के ट्रैवलिंग खर्चे से लेकर उनके रहने, खाने और दूसरी एक्टिविटीज के दौरान करीब अधिकतम 20 हजार करोड़ का खर्च किया गया. इस दौरान यह माना गया कि प्रत्येक यात्री द्वारा करीब साढ़े 3 हजार रुपए एवरेज खर्च किए गए होंगे. हालांकि, यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा खर्च की जाने वाली रकम इससे ज्यादा या कम भी हो सकती है. लेकिन एक एवरेज आंकलन से यह जाहिर है कि अधिकतम प्रदेश में चारधाम यात्रा के दौरान करीब 20 हजार करोड़ तक का व्यय किया गया संभव है.
2023 चारधाम यात्रा का कारोबार
- साल 2023 में केदारनाथ धाम में ही 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे.
- अकेले केदारनाथ धाम में घोड़े-खच्चर चलाने वाले लोगों ने ही करीब 100 करोड़ का कारोबार किया.
- इसके अलावा कंधे पर लोगों को यात्रा कराने वाले डंडी कंडी वालों ने भी 86 लाख रुपए का व्यापार किया.
- हेली सेवा देने वाली कंपनियों ने भी पिछले साल 75 करोड़ 40 लाख रुपए का कारोबार किया था.
- सोनप्रयाग और सीतापुर में मौजूद पार्किंग से 75 लाख रुपए का राजस्व सरकार को मिला था.
केदारनाथ धाम और यमुनोत्री में करोड़ों खर्च:
- अकेले केदारनाथ धाम में ही कई 100 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ. लोगों द्वारा यहां जमकर खर्च भी किया गया.
- हालांकि, यह भी माना जाता है कि तीर्थ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु अधिक खर्च नहीं करते हैं. लेकिन उसके बावजूद केदार धाम में ही श्रद्धालुओं द्वारा खर्च की रकम से सरकार को करोड़ों का रेवेन्यू मिला.
- उधर यमुनोत्री धाम में भी इस तरह पार्किंग, घोड़े-खच्चर चलाने वाले लोग और स्थानीय लोगों ने भी करीब 25 करोड़ रुपए का कारोबार किया था.
- यह वह खर्च था जो सरकार ने जीएसटी या दूसरे टैक्स के माध्यम से अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया.
- इसके अलावा भी तीर्थ यात्री तमाम चीजों पर खर्च करते हुए स्थानीय आर्थिकी को मदद करते हैं.
GMVN ने किया 52 करोड़ का कारोबार: चारधाम यात्रा में गढ़वाल मंडल विकास निगम भी विशेष महत्व रखता है. गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटल से लेकर तमाम धर्मशालाएं और होमस्टे भी इस दौरान श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तत्पर रहती है. चारधाम यात्रा के दौरान गढ़वाल मंडल विकास निगम भी जमकर कारोबार करता है. पिछले साल भी करीब 52 करोड़ से ज्यादा का कारोबार गढ़वाल मंडल विकास निगम ने किया था.
चारधाम यात्रा से राज्य की अलग छवि: उत्तराखंड में पिछले कई सालों से चारधाम यात्रा को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली कहते हैं, यह यात्रा उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस यात्रा से उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है. यात्रा को प्रदेश के लिए कई लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए, क्योंकि यहां बात केवल आर्थिकी की नहीं है. बल्कि प्रदेश में रोजगार देने से लेकर देवभूमि की छवि देश और दुनिया में बेहतर करने के लिए भी यह यात्रा महत्वपूर्ण है. आज चारधाम यात्रा के कारण ही देश और दुनिया में उत्तराखंड को देवभूमि के रूप में जाना जाता है. इसी यात्रा के कारण राज्य की एक अलग छवि बनती है.
चारधाम यात्रा मार्गों पर होटल, लॉज और होमस्टे का भी एक बड़ा कारोबार फैल रहा है. कभी चारधाम यात्रा रोड पर गिने चुने होटल देखे जाते थे. लेकिन अब यहां होटल और दूसरे ठहरने की कई व्यवस्था में बन गई है. चारधाम वाले जिलों में तो यात्रा के कारण बड़ा बदलाव देखा जा सकता है. इन जिलों में कई लोगों ने अपने व्यवसाय को तेजी से बढ़ाया है. 6 महीने की इस यात्रा में कारोबारी का मुनाफा कई गुना ज्यादा रहा है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां भी तेजी से बढ़ी हैं.
उत्तराखंड में रोजगार के नए अवसर लाती है चारधाम यात्रा: उत्तराखंड की आर्थिकी को मजबूत करने वाली यह चारधाम यात्रा प्रदेश के लोगों को रोजगार से भी जोड़ती है. बड़े होटल व्यवसाय के जरिए कई लोगों के रोजगार से जुड़ने की बात हो या चारधाम यात्रा रूट पर पड़ने वाले गांव के लोगों द्वारा स्थानीय उत्पादों को सड़क किनारे बेचकर आजीविका चलाने की कोशिश. यानी बड़े व्यवसायियों से लेकर गांव के लोगों तक को चारधाम यात्रा रोजगार देने का काम करती है. इतना ही नहीं, किसानों को भी स्थानीय उत्पादों को अच्छे दाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं से मिल रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक, करीब सवा लाख लोगों से ज्यादा प्रदेशवासी चारधाम यात्रा के दौरान रोजगार ले पाते हैं.
उत्तराखंड सरकार भी चारधाम यात्रा का महत्व जानती है और इसलिए यात्रा पर सरकारों का भी फोकस रहता है. राज्य सरकार में सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी कहते हैं, प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों का केंद्र चारधाम यात्रा रही है. इस यात्रा के जरिए उत्तराखंड के लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलता रहा है. चारधाम यात्रा में केवल बड़े व्यवसाय या कंपनियां ही नहीं बल्कि, छोटे किसान और स्थानीय गांव के लोग भी अपनी रोजी-रोटी को जुटा पाते हैं. यात्रा के 6 महीने कई लोगों के लिए साल भर की रोजी-रोटी लेकर भी आते हैं.
इन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ कई बार सोशल मीडिया पर नकारात्मक रूप से देखी जा रही है. लेकिन जरूरत है कि सरकार यात्रा को सुचारू करते हुए यात्रा में श्रद्धालुओं को आ रही समस्याओं से निजात दिलाए क्योंकि, यह यात्रा प्रदेश की रीड है. जिस तरह तेजी से यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, वह प्रदेश के लिए एक अच्छे संकेत भी है. खासतौर पर इस बार 11 दिनों के भीतर 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का यह रिकॉर्ड इस बार पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ने की ओर भी इशारा कर रहा है.
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