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700 वर्ग किमी क्षेत्र में बनेगा प्रदेश का 5वां टाइगर रिजर्व, एनटीसीए ने दी सैद्धांतिक सहमति

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Published : Dec 6, 2022, 6:57 PM IST

5th Tiger reserve agreed in principle by NTCA, will be developed in Dholpur and Karauli
700 वर्ग किमी क्षेत्र में बनेगा प्रदेश का 5वां टाइगर रिजर्व, एनटीसीए ने दी सैद्धांतिक सहमति

प्रदेश में 5वां टाइगर रिजर्व बनने वाला (New tiger reserve in Dholpur Karauli) है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने धौलपुर और करौली क्षेत्र के 700 ​वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का दौरा किया है. इसके साथ ही इस रिजर्व के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति भी दे दी है.

भरतपुर.प्रदेश में जल्द ही एक और नया टाइगर रिजर्व तैयार होने वाला है. इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने धौलपुर और करौली क्षेत्र का दौरा भी कर लिया है. इतना ही नहीं अब एनटीसीए ने इस नई बाघ परियोजना के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति भी दे दी (5th Tiger reserve agreed in principle by NTCA) है. प्रदेश का 5वां टाइगर रिजर्व धौलपुर और करौली जिले के करीब 700 वर्ग किमी क्षेत्र में तैयार किया जाएगा. वन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है.

रणथंभौर टाइगर रिजर्व के डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि रामगढ़ विषधारी के बाद अब धौलपुर व करौली जिले में नया टाइगर रिजर्व तैयार किया जाएगा. इसके लिए अक्टूबर में एनटीसीए की टीम ने दोनों जिलों का दौरा कर लिया है. साथ ही एनटीसीए ने अब नए टाइगर रिजर्व के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है. डीएफओ ने बताया कि धौलपुर-करौली के इस वन क्षेत्र में रणथंभौर के टाइगर विचरण कर रहे हैं. इनमें टी 132, टी 135, टी 136, टी 80, टी 118, और टी 118 के शावक शामिल हैं.

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नए टाइगर रिजर्व में ये क्षेत्र होंगे शामिल: टाइगर रिजर्व के लिए कैलादेवी सेंचुरी का कुछ हिस्सा, सरमथुरा का झिरी क्षेत्र, सोने का गुर्ज, घड़ियाल सेंचुरी, मंडरायल रोधई का क्षेत्र, रामसागर सेंचुरी, डांग बसई क्षेत्र शामिल किए जाएंगे. इसके लिए वन विभाग दोनों जिलों के कुछ गांव को भी शिफ्ट करने की कार्रवाई कर सकता है. संग्राम सिंह ने बताया कि इन दोनों जिलों के करीब 700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ये नया टाइगर रिजर्व तैयार किया जाएगा.

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अनुकूल माहौल तैयार करना है: डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि 6 बाघ इस नए क्षेत्र में अपना ठिकाना बना चुके हैं. अब इस क्षेत्र का अच्छा मैनेजमेंट करना है. हैबिटाट विकसित करेंगे, प्लांटेशन किया जाएगा और घास भी विकसित करनी है ताकि वहां पर सांभर, चीतल आदि जानवर की संख्या बढ़ सके. डीएफओ ने बताया कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फिलहाल 75 टाइगर हैं. जबकि यहां सिर्फ 50 टाइगर की क्षमता है. यानी 25 टाइगर अधिक हैं. ये अभी तक अपनी टेरिटरी या ठिकाना नहीं बना सके हैं. इनको अपनी टेरिटरी बनाने के लिए भटकना पड़ रहा है.

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