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Staff Shortage In Tiger Reserves: स्टाफ की कमी से जूझता मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व

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Published : Nov 26, 2022, 1:03 PM IST

Etv BharatStaff Shortage In Tiger Reserves
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मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर Reserves स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं (Staff Shortage In Tiger Reserves). दोनों में ही दो-दो बाघ हैं इनकी देखरेख में ही वनकर्मी तैनात रहते हैं. इनकी तो सुरक्षा हो रही है लेकिन इससे जंगल उपेक्षित हो गया है. भगवान भरोसे ही पूरी व्यवस्था चल रही है. खासकर, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के लिए तो ये कमी काफी चुनौतीपूर्ण है.

कोटा. मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में दो-दो टाइगर मौजूद हैं (Staff Shortage In Tiger Reserves). उनकी सुरक्षा में ही अधिकांश वन कर्मी लगे रहते हैं. इसके चलते जंगल की सुरक्षा अधर में झूल रही है. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के लिए तो यह कमी काफी चुनौती भरी है. अधिकारियों के निर्देश पर टाइगर की मॉनिटरिंग तो पूरी हो रही है, लेकिन जंगल भगवान भरोसे है.

मुकुंदरा की दिक्कत- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाउंड्री तो जरूर है, लेकिन वो भी टूटी फूटी. इन टूटी फूटी दीवारों से कई अनचाहे मेहमान प्रवेश कर जाते हैं. इनमें जानवर भी हैं और वो ग्रामीण भी जो दीवारों को तोड़कर मवेशियों को रिजर्व की बाउंड्री के अंदर पहुंचा देते हैं. वन सम्पदा का दोहन भरपूर हो रहा है. स्टाफ की कमी है और टाइगर की सुरक्षा सर्वोपरि! इसलिए जंगल स्टाफ टाइगर पर ही केंद्रित है.

मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व

बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भी इसी तरह के हालात बने हुए हैं. जबकि यहां पर टाइगर के अलावा सैकड़ों वन्य जीव मौजूद हैं. इनमें भालू, पैंथर, हायना, वाइल्ड डॉग, सांभर, चीतल, नीलगाय, हिरण, जंगली सूअर, लोमड़ी व खरगोश है. इनकी सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम नहीं है. आरवीटीआर नया है. यही वजह है कि यहां पूरी तरह से स्टाफ पदस्थापित नहीं किया गया है. राज्य सरकार के पास भी स्टाफ की कमी है वहीं इन दोनों टाइगर रिजर्व में स्टाफ भी ट्रांसफर करवा आना नहीं चाहते हैं.

डेडिकेटेड टीम लगाने से बढ़ गई समस्या- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में फिलहाल दो टाइगर हैं. 2020 में बाघिन और उसके शावकों की मौत के बाद सुरक्षा को लेकर वन विभाग काफी गंभीर हो गया. बाघों की मौत के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हुई थी. तभी से रिजर्व के वन कार्मिक डरे हुए हैं. कोई कोताही नहीं बरती जा रही. सघन मॉनिटरिंग की जा रही है और टीम लगातार 24 घंटे पहरा दे रही है. इसके लिए दोनों टाइगर के लिए 3-3 डेडीकेटेड टीम लगाई गई है. इसके अलावा रेडियो कॉलर और दूसरी व्यवस्थाओं के लिए भी टीम है. प्रत्येक रेंज में करीब तीन से चार बीट शामिल हैं, यहां वनपाल और उनके अधीन आने वाले वन रक्षकों की भारी कमी है.

वनरक्षक के पद 70 फ़ीसदी खाली- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बात की जाए तो यहां पर सुरक्षा के लिए करीब 165 का स्टाफ होना चाहिए. जिनमें फॉरेस्ट गार्ड, असिस्टेंट फॉरेस्टर, फॉरेस्टर और रेंजर शामिल है, लेकिन इसकी जगह महज 70 के आसपास ही स्टाफ हैं. यानी स्टाफ की सीधे तौर पर 60 फीसदी कमी है. वहीं जंगल में मॉनिटरिंग के लिए सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट और नीचे सुरक्षा में लगने वाले फॉरेस्ट गार्ड की तो 70 फीसदी तक कमी है. हालांकि आरवीटीआर की बात की जाए तो, वहां पर 50 ही पद कुल पद खाली है. वहां पर 78 में से 42 का स्टाफ तैनात हैं जबकि वनरक्षक के पद 45 फीसदी खाली हैं.

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एक रेंजर पर तीन एरिया का प्रभार- हालात ऐसे हैं कि रिजर्व बाउंड्री 84 स्क्वायर किलोमीटर में है, जबकि रिजर्व का क्षेत्र 670 स्क्वायर किलोमीटर है. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में छह रेंज आती है. जिनमें कोलीपुरा, रावठा, सेल्जर, दरा, बोराबस व गागरोन शामिल हैं, लेकिन यहां पर दो ही रेंजर है. ऐसे में अतिरिक्त प्रभार से ही काम चलाया जा रहा है. जिनमें भी एक रेंजर के पास 3 रेंज का प्रभार है. कभी कभी तो एक रेंज से दूसरी में अधिकारियों को काम आने पर जाना पड़ता है. इसी तरह से आरवीटीआर में भी हालात बने हुए हैं.

स्टाफ की समस्या- एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रदेश के सभी टाइगर प्रोजेक्ट में स्टाफ की कमी है. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 200 के आसपास स्टाफ की आवश्यकता है. यहां आधा ही है. पुराना स्टाफ लगातार रिटायर हो रहा है. इससे अनुभव भी कम होता जा रहा है. नई भर्ती भी टाइगर रिजर्व के लिए होती है, लेकिन अधिकांश स्टाफ अपना साल से 6 महीने में अप्रोच लगाकर ट्रांसफर करवा लेता है. अधिकांश स्टाफ अपने गृह नगर या जिलों में चला जाता है. यहां से स्टाफ चला तो जाता है, लेकिन मुकुंदरा में ट्रांसफर करवा कर कम ही लोग आते हैं. अधिकारियों के अनुसार 5 आदमी स्थानांतरण करवा कर के यहां से जाते हैं, उसके बदले में महज एक ही व्यक्ति यहां पर स्थानांतरण करवाने का इच्छुक होता है.

पॉलिसी की दरकार- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्टाफ का ट्रांसफर सबसे बड़ी समस्या है. एक्सपर्ट का मानना है कि एक व्यक्ति अगर लगातार एक रिजर्व में लंबे समय तक रहता है, तो उसका रिजर्व से मोह हो जाता है. वहां की आबोहवा उसे पसंद आ जाती है और जिस तरह से वह ट्रैकिंग करता है उससे अनुभव लगातार बढ़ता रहता है. लेकिन सरकार की ऐसी पॉलिसी नहीं है. ऐसे में नई पॉलिसी के तहत एक व्यक्ति को अगर रिजर्व में नियुक्ति दी जाती है, तो शुरुआत से 5 साल तक उसे दूसरे रिजर्व या जगह पर स्थानांतरित नहीं किया जाए. लंबे समय तक एक जगह पर काम करने पर वन कार्मिक को वन्य जीव और रिजर्व से जुड़ाव महसूस करेगा. साथ ही कार्मिक के दिमाग में भी वाइल्ड लाइफ और जंगली जानवरों की समझ हो सकेगी.

नई भर्तियों से आशा: मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व को नई भर्तियों से ही अब आशा है. उम्मीद है कि राज्य सरकार नई भर्ती के बाद स्टाफ डिप्लॉय करेगी जिसके बाद ही यहां स्टाफ बढ़ेगा. फिलहाल होमगार्ड या बॉर्डर होमगार्ड के जवान लगाकर भी व्यवस्था बनाई जा रही है, लेकिन यह लोग प्रशिक्षित नहीं होते हैं. फिर इनकी ड्यूटी तय होती है. जिसके बाद इनको जंगल में सुरक्षा के लिए नहीं भेजा जाता, केवल ऑफिस व अन्य कार्यों में ही उपयोग लिया जा सकता है.

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