राजस्थान

rajasthan

जालोर में दलित छात्र की मौत का मामला, अपनों से घिरी गहलोत सरकार

By

Published : Aug 20, 2022, 10:23 PM IST

Updated : Aug 20, 2022, 11:46 PM IST

गहलोत सरकार
गहलोत सरकार

जालोर में दलित छात्र की मौत का मुद्दा सियासत में उबाल ला रहा है. राजस्थान के बाहर से कई दलित नेता यहां पहुंचकर इस मुद्दे पर बयान दे चुके हैं. लेकिन इस मुद्दे पर कांग्रेस को भाजपा के विरोध के बजाए अपनी ही पार्टी के विधायकों का विरोध झेलना पड़ा है. कांग्रेस के एक विधायक ने जहां इस मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया तो वहीं जालोर मामले में एससी आयोग ने मोर्चा खोल दिया.

जयपुर. जालोर में स्कूल टीचर की पिटाई से दलित छात्र की मौत (Dalit student death case in Jalore) के बाद से सियासत उबाल पर है. छात्र की मौत केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में मुद्दा बना हुआ है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को भाजपा के विरोध का डर सता रहा था, लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ. लेकिन कांग्रेस की गहलोत सरकार (Gehlot government on target) इस मामले में खुद अपने विधायकों को ही नहीं संभाल सकी. पार्टी के एक विधायक ने जहां इस्तीफा दे दिया तो वहीं एससी आयोग के अध्यक्ष ने (SC commission in Jalore case) पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया.

दलित छात्र की मौत के बाद भाजपा ने इस मुद्दे पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया. यहां तक कि भाजपा के विधायक जोगेश्वर गर्ग ने जातिगत आधार पर बन रहे मुद्दे पर सवालिया निशान भी खड़े कर दिए. लेकिन जो कांग्रेस लगातार इस बात को लेकर अपनी पीठ थपथपाती रही कि इतिहास में पहली बार राजस्थान में दलित समाज से कांग्रेस ने चार मंत्री बनाए हैं. वहीं पार्टी अपने विधायकों को जालोर के मुद्दे पर संभाल नहीं सकी. कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस मुद्दे पर अपना इस्तीफा दे दिया.

विधायक वेद सोलंकी

पढ़ें.जालोर मामले में सीएम गहलोत का ट्वीट, फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी सुनवाई, नौकरी देने पर विचार

वहीं कांग्रेस के ही दूसरे दलित विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने भी एससी आयोग के अध्यक्ष के तौर पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल लिया. यही कारण है कि यह मुद्दा राजस्थान से निकल कर पूरे देश में दलित पार्टियों का प्रमुख मुद्दा बन गया. पूरे देश के दलित नेता राजस्थान पहुंच रहे हैं.

प्लान फेल, मुखालफत शुरूःखास बात यह है कि कांग्रेस ने ममता भूपेश, गोविंद मेघवाल, टीकाराम जूली और भजन लाल जाटव को ना केवल कैबिनेट मंत्री बना रखा है ,बल्कि उन्हें इस मामले को लेकर अगले दिन ही एक्टिव भी कर दिया था. लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस की अंदरूनी नाराजगी सामने आ गई और कांग्रेस के ही दलित विधायक कांग्रेस की मुखालफत करते दिखाई दिए.

विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा

जालोर मुद्दे पर बोले डोटासरा:अपनी ही पार्टी का विरोध झेल रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ,जो घटना घटी वह दुर्भाग्यपूर्ण है. एसआईटी इस मामले की जांच भी कर रही है. यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस की ओर से 75 साल में पहली बार किसी पीड़ित को 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है. उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी ने इस मामले में तुरंत संवेदनाएं भी दिखाई. लेकिन भारतीय जनता पार्टी की मानसिकता इस मामले में सामने आ गई. डोटासरा ने कहा कि जालोर में विधायक जोगेश्वर गर्ग ने जो बयान दिया वह सबके सामने है.

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा

पढ़ें. जालोर में दलित छात्र की मौत, प्रदेश कांग्रेस देगी इतिहास की सबसे बड़ी रकम

वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इधर-उधर के मुद्दों पर तो प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, लेकिन इस मामले में एक भी बात नहीं बोलते. यहां तक कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने जालोर जाना उचित भी नहीं समझा. यह साफ बताता है कि भारतीय जनता पार्टी केवल वोट की राजनीति करती है, उसे दलितों से कोई मतलब नहीं है. वहीं अपनी ही पार्टी में नाराजगी दिखा रहे एससी आयोग के अध्यक्ष विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा को लेकर भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा की पार्टी से कोई नाराज नहीं है. अगर किसी को पार्टी के फैसले से नाराजगी है तो उसे अपनी पार्टी के अंदर ही बात कहनी चाहिए. खिलाड़ी लाल बैरवा एससी आयोग के अध्यक्ष हैं जो संवैधानिक बॉडी हैं, उनको अगर कोई बात कहनी है और कोई रिकमेंडेशन है तो वह सरकार को भेजें. मैं उन्हें पूरी तरह आश्वस्त करता हूं कि सरकार उस पर विचार कर गरीब के हित में ही फैसला लेगी.

पढ़ें.जालोर प्रकरण पर कांग्रेस MLA के नाम से सरकार के खिलाफ पोस्ट, पानाचंद बोले ये फर्जी आईडी

पानाचंद मेघवाल ने दिया इस्तीफा, बैरवा और वेद सोलंकी ने भी उठाए सवाल
भाजपा ने भले ही इस मुद्दे पर कोई विरोध नहीं किया हो लेकिन घटना के ठीक बाद कांग्रेस के ही विधायक मुखर हो रहे हैं. कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने ही घटना के विरोध में (Panachand Meghwal resigned on jalore case) इस्तीफा दे दिया. इसके बाद विधायक और एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा न केवल मौके पर पहुंचे, बल्कि पीड़ित परिवार से मिलकर उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई. बैरवा ने पीड़ित परिवार के लिए 50 लाख के मुआवजे के साथ ही घर के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की मांग करते हुए कहा कि जब सरकार कन्हैयालाल को लेकर ऐसा निर्णय ले सकती है तो फिर एक दलित बच्चे को लेकर क्यों नहीं?

विधायक पानाचंद मेघवाल

जब प्रदेश कांग्रेस की ओर से पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपए दिए गए तो भी खिलाड़ी लाल बैरवा ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि क्या सरकार के पास पैसे नहीं थे जो पीसीसी ने पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपए दिए. अगर ऐसे ही पैसे देने थे तो क्या दलित समाज खुद पैसे इकट्ठे नहीं कर सकता था. इस मामले पर विधायक वेद सोलंकी भी प्रदेश सरकार पर नाराजगी जता चुके हैं.

Last Updated :Aug 20, 2022, 11:46 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details