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भोपाल में सिंधी समाज का समागम और सियासत, मोहन भागवत की मौजूदगी के मायने क्या?

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Published : Mar 29, 2023, 4:22 PM IST

महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद हेमू कालानी का जन्म शताब्दी वर्ष भोपाल में मनाया जाएगा. इस आयोजन में देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्से से समाज के लोग उपस्थित होंगे. माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत की विशेष उपस्थिति रहेगी. साथ ही इससे BJP राजनीतिक माइलेज भी ले सकती है.

Shaheed Hemu Kalani Birth Centenary
भोपाल में सिंधी समाज का समागम

भोपाल। शहीद हेमू कालाणी के जन्मशताब्दी वर्ष पर भारतीय सिंधी महासभा इस समागम का आयोजन करने जा रही है. यहां देश के अलग-अलग राज्यों के साथ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से भारतीय सिंधी महासभा के जमावड़े में लोग जुटेंगे. 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर आम चुनाव के मद्देनजर इसे अहम राजनीतिक मूवमेंट कहा जा रहा है. इस समागम में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हो रहे हैं. भोपाल में 31 मार्च को होने जा रहे इस आयोजन में दिल्ली, राजस्थान, यूपी, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के अलावा नागालैंड से भी लोग पहुंचेंगे. भारत से बाहर दुबई और स्पेन से भी सिंधी समाज के लोग शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम का मकसद भी यही है कि इतिहास में दर्ज नहीं हो पाए शहीद हेमू कालाणी की शहादत सिंधी समाज के साथ बाकी लोगों तक भी पहुंचे.

कार्यक्रम का मकसद:भारतीय सिंधी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लध्दाराम नागवानी ने कहा कि, शहीद हेमू कालाणी के 100 वें जन्मदिवस को मनाए जाने का कार्यक्रम है. इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए. सिंधी समाज ने हमेशा से देश को फिर चाहे वो समाज में हो या सरहद पर देश के लिए कुर्बानियां दी हैं, कभी कुछ मांगा नहीं. उन्होंने कहा कि हमारे समाज ने हमेशा दिया है. खुद मेहनत करते हैं. हम दूसरों को भी काम देकर उनकी मदद करते हैं. आपने कभी नहीं देखा होगा कि सिंधी समाज आपको कहीं पर आरक्षण मांगता दिखाई दे. सिंधी समाज केवल श्रम में यकीन रखता है.

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समागम में मोहन भागवत की मौजूदगी: इस जलसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी रहेगी. दूसरी तरफ इस पूरे आयोजन की जवाबदारी भोपाल में बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी संभालेंगे. राजनीतिक हल्कों में ये माना जा रहा है कि 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर यह आयोजन किया जा रहा है. हांलाकि सिंधी समाज का लंबे समय से बीजेपी की ओर सियासी रुझान रहा है. राजनीतिक दृष्टि से देखें तो प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से करीब 50 सीटें ऐसी हैं. जहां सिंधी वोटर का वोट अहमियत रखता है. इसमें भोपाल के अलावा जबलपुर कटनी रीवा सतना इंदौर रतलाम कटनी विधानसभा सीटें शामिल हैं. अकेले भोपाल लोकसभा सीट में ही डेढ लाख सिंधी वोटर हैं.

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