नई दिल्ली/गाजियाबाद: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन (Former Shia Waqf Board Chairman) वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया है. वसीम रिज़वी का नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी और गोत्र वत्स रखा गया है. सोमवार सुबह गाजियाबाद के डासना मंदिर में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्हें सनातन धर्म में शामिल कराया.
वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने हिंदू बनने के बाद कहा कि मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को इनाम बढ़ा दिया जाता है, आज मैं सनातन धर्म शामिल हो गया हूं. उनसे जब पूछा गया कि वह धर्म परिवर्तन क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन की यहां पर कोई बात नहीं है. जब मुझको इस्लाम से निकाल ही दिया गया, तब यह मेरी मर्जी है, कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं.
यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी अपनाया सनातन धर्म. उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं. इंसानियत पाई जाती है. हम यह समझते हैं, किसी और दूसरे धर्म में नहीं है.
धर्म परिवर्तन के बाद जानकारी देते शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी . गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में विधि पूर्वक पूजा अर्चना कर वसीम रिजवी का नामकरण किया गया. मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने बताया, कि त्यागी समाज के सभी लोगों को इकट्ठा करके राय मशवरा ली गयी. उसके बाद ही उनके नाम को चयनित किया गया है.
हवन में शामिल शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी. वसीम रिजवी का आज से नाम जितेंद्र नारायण त्यागी रखा गया है. आज के बाद उनको इसी नाम से जाना जाएगा.
डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद ने कहा कि मेरे पिता के पहले एक पुत्र था अब हम दो पुत्र हो गए हैं और यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है.
जानकारी देते डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती. पढ़ें:बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी आज, अलर्ट जारी, खुफिया एजेंसी सक्रिय
बता दें, बीते दिनों वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने अपनी वसीयत भी सार्वजनिक की थी. इसमें उन्होंने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए और उनके शरीर को जलाया जाए. वसीम रिजवी ने कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को अग्नि दें.
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वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने कहा था कि कुछ लोग उन्हें मारना चाहते हैं और इन लोगों ने घोषणा कर रखी है कि उनके मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को किसी कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया जाएगा. इसलिए उनके पार्थिव शरीर को श्मशान घाट में जलाया जाए.