ETV Bharat / state

टिहरी राजशाही के अत्याचारों की गवाह हैं ये 35 सेर बेड़ियां, आखिरी पलों तक इनमें कैद रहे श्रीदेव सुमन

author img

By

Published : Jul 25, 2022, 3:50 PM IST

Updated : Jul 25, 2022, 4:18 PM IST

टिहरी राजशाही के खिलाफ 84 दिनों तक बेड़ियों में जकड़े श्रीदेव सुमन भूख हड़ताल पर रहे. इस दौरान उन पर बहुत से अत्याचार हुए. आज ईटीवी भारत उन 35 सेर बेड़ियों को अपने दर्शकों को दिखाने जा रहा है, जिनकी कैद में सुमन ने जीवन के आखिरी पल बिताये.

An exhibition of 35 ser chains was organized on the death anniversary of Shri Dev Suman
टिहरी राजशाही के अत्याचारों की गवाह हैं ये 35 सेर बेड़ियां

टिहरी: श्रीदेव सुमन ने टिहरी राजशाही के खिलाफ 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल करके 25 जुलाई के दिन अपने प्राणों की आहुति दी थी. राजशाही के चंगुल से टिहरी की प्रजा को आजाद कराने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी श्रीदेव सुमन को उनके बलिदान दिवस पर आज याद किया गया. जिले में जगह-जगह इसके लिए कार्यक्रम आयोजित किये गये. उनके इस बलिदान दिवस के दिन विजिटर्स को टिहरी जेल में रखी उनकी बेड़ियों को दिखाया गया.

श्रीदेव सुमन को यातना देने के लिए 35 सेर की बेड़ियां तब पहनाई गई थी, जब राजशाही के खिलाफ आंदोलन करने पर उन्हें टिहरी जेल में बंद कर दिया गया था. जेल में रहते हुए भी उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखते हुए अनशन किया. 84 दिन की भूख हड़ताल के दौरान 25 जुलाई 1944 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीदेव सुमन शहीद हो गए. तब से हर वर्ष शहादत दिवस पर उन्हें याद किया जाता है.

टिहरी राजशाही के अत्याचारों की गवाह हैं ये 35 सेर बेड़ियां

श्रीदेव सुमन को टिहरी राजशाही से आजादी के लिए 84 दिनों तक तिल तिल करके मरना पड़ा. उनकी रोटियों में कांच कूट कर डाला गया और उन्हें वो कांच की रोटियां खाने को मजबूर किया गया. बेइंतहा अत्याचार के आगे भी श्रीदेव की आवाज को टिहरी रियासत दबा न सकी. आज भी देवभूमि की फिजा में इस आंदोलनकारी की गाथा सुनने के लिए मिल जाती है. जिला कारागार के पास ही श्रीदेव सुमन कक्ष बनाया गया है. लोग बड़ी संख्या में वहां पहुंचकर अमर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्धासुमन अर्पित कर जेल में यातना देने के लिए उन्हें पहनाई गई बेड़ियों के दर्शन कर राजशाही की क्रूरता के गवाह बनते हैं.

पढे़ं-श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर विजिटर देख सकेंगे बेड़ियां, कैदी लगाएंगे प्रदर्शनी

बता दें कि श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी के जौल गांव में हुआ था. ब्रिटिश हुकूमत और टिहरी की अलोकतांत्रिक राजशाही के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे श्रीदेव सुमन को दिसंबर 1943 को टिहरी की जेल में डाल दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल करने का फैसला किया. 209 दिनों तक जेल में रहने और 84 दिनों की भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन का 25 जुलाई 1944 को निधन हो गया.

श्रीदेव सुमन का मूल नाम श्रीदत्त बडोनी था. उनके पिता का नाम हरिराम बडोनी और माता का नाम तारा देवी था. उन्होंने मार्च 1936 गढ़देश सेवा संघ की स्थापना की थी. जबकि, जून 1937 में 'सुमन सौरभ' कविता संग्रह प्रकाशित किया. वहीं, जनवरी 1939 में देहरादून में प्रजामंडल के संस्थापक सचिव चुने गए. मई 1940 में टिहरी रियासत ने उनके भाषण पर प्रतिबंध लगा दिया.

पढे़ं- बलिदान दिवस: टिहरी राजशाही के ताबूत में आखिरी कील साबित हुई श्रीदेव सुमन की शहादत

वहीं, श्रीदेव सुमन को मई 1941 में रियासत से निष्कासित कर दिया गया. उन्हें जुलाई 1941 में टिहरी में पहली बार गिरफ्तार किया गया. जबकि, उनकी अगस्त 1942 में टिहरी में ही दूसरी बार गिरफ्तारी हुई. नवंबर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान आगरा सेंट्रल जेल में बंद रहे. उन्हें नवंबर 1943 में आगरा सेंट्रल जेल से रिहा किया गया.

वहीं, दिसंबर 1943 में श्रीदेव सुमन को टिहरी में तीसरी बार गिरफ्तार किया गया. फरवरी 1944 में टिहरी जेल में सजा सुनाई गई. 3 मई 1944 से टिहरी जेल में अनशन शुरू किया. जहां 84 दिन के ऐतिहासिक अनशन के बाद 25 जुलाई 1944 में 29 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए. इस दौरान उनकी रोटियों में कांच कूटकर डाला गया और उन्हें वो कांच की रोटियां खाने को मजबूर किया गया.

पढे़ं- टिहरी के लोगों को दिलाना था इंसाफ, 84 दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर लड़ी लड़ाई

श्रीदेव सुमन पर कई प्रकार से अत्याचार होते रहे. झूठे गवाहों के आधार पर उन पर मुकदमा दायर किया गया. हालांकि, टिहरी रियासत को अंग्रेजों ने कभी भी अपना गुलाम नहीं बनाया था. वो टिहरी रियासत से टैक्स लेते थे. जेल में रहकर श्रीदेव सुमन कमजोर नहीं पड़े. जनक्रांति के नायक अमर शहीद श्रीदेव सुमन को हर साल श्रद्धासुमन अर्पित कर याद किया जाता है.

Last Updated :Jul 25, 2022, 4:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.