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श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि: टिहरी के लोगों को दिलाना था इंसाफ, 84 दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर लड़ी लड़ाई

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Published : Jul 25, 2019, 6:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2019, 8:38 PM IST

ब्रिटिश हुकूमत और टिहरी की अलोकतांत्रिक राजशाही के खिलाफ लगातार आन्दोलन कर रहे श्रीदेव सुमन को दिसंबर, 1943 को टिहरी की जेल में डाल दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल करने का फैसला किया. 209 दिनों तक जेल में रहने और 84 दिनों के भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन का 25 जुलाई 1944 को निधन हो गया.

श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि

टिहरी/पौड़ी: श्रीदेव सुमन (मूल नाम श्रीदत्त बडोनी) को टिहरी रियासत और अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ जनक्रान्ति कर अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए याद किया जाता है. आज उन्हीं श्रीदेव सुमन की 76वीं पुण्यतिथि है. उन्होंने 84 दिन के एतिहासिक अनशन के बाद 25 जुलाई 1944 को मात्र 29 वर्ष की आयु में अपना शरीर त्याग दिया था.

श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि

टिहरी में श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि पर उनको याद किया गया. जिलाधिकारी वी. षणमुगम ने उनकी मूर्ति पर फूल चढ़ाकर उनको नमन किया. इस मौके पर स्कूली बच्चों द्वारा प्रभात रैली निकाली और जेल पहुंचकर श्रीदेव सुमन की मूर्ति पर फूल माला चढ़ाई गई. साथ ही श्रीदेव सुमन को जिन बेड़ियों से बांधा गया था वह भी बच्चों को दिखाई गई. वहीं नरेंद्र नगर में शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि के अवसर पर झंडा मैदान में नगर पालिका अध्यक्ष राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार और स्थानीय लोगों द्वारा श्री देव सुमन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. साथ ही उन्हें याद करते हुए नगर पालिका द्वारा लोगों को पौधे भी बांटे गए.

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पौड़ी
श्रीदेव सुमन की शहादत को याद करते हुए गढ़वाल मंडल के सभी माध्यमिक विद्यालयों में वृक्षारोपण किया गया. वृक्षारोपण करने के बाद सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्य से अपील की गई कि उन वृक्षों का ध्यान रखें.

इस मौके पर अपर निदेशक माध्यमिक गढ़वाल मंडल महावीर सिंह बिष्ट ने बताया कि 25 जुलाई को वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. श्री देव सुमन की शहादत को याद करते हुए गढ़वाल मंडल के सभी माध्यमिक विद्यालयों में वृक्षारोपण किया गया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत आवश्यक है कि हम अधिक से अधिक पेड़ लगाएं.

ये थे श्रीदेव सुमन
उन्होंने एक बार टिहरी की जनता के अधिकारों को लेकर अपनी आवाज बुलन्द करते हुए कहा था- “मैं अपने शरीर के कण-कण को नष्ट हो जाने दूंगा, लेकिन टिहरी के नागरिक अधिकारों को कुचलने नहीं दूंगा।”

जब पूरा भारत ब्रिटिश सरकार से मुक्त होने की लड़ाई लड़ रहा था, तब सुमन इस बात की वकालत कर रहे थे कि टिहरी रियासत गढ़वाल के राजा के शासन से मुक्त हो. वे गांधी जी के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उन्होंने टिहरी की आजादी के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया था. टिहरी के राजा के साथ उनकी लड़ाई के दौरान बोलंदा बदरी (बदरीनाथ बोलने वाले) के रूप में, उन्होंने टिहरी के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की थी.

30 दिसंबर 1943 को उन्हें विद्रोही घोषित किया गया और टिहरी राज्य द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था. सुमन को जेल में बहुत प्रताड़ित किया गया. उनके भोजन में पत्थर के टुकड़े और रोटी में रेत मिलाकर जबरन खिलाई गई.

जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल करने का फैसला किया. 209 दिनों तक जेल में रहने और 84 दिनों के भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन का 25 जुलाई 1944 को निधन हो गया. उनके निधन के बाद जेलकर्मियों ने उनका अंतिम संस्कार करने के बजाए उनका शव एक कंबल में लपेटकर भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम पर फेंक दिया.

बता दें कि श्रीदेव सुमन उत्तराखंड के टिहरी जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता थे. उनका जन्म टिहरी गढ़वाल के जाउल गांव के पाटी बामुंड में हुआ था. उनके पिता एक डॉक्टर थे और उनकी मां गृहिणी थीं.

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स्पेशल न्यूज़

टिहरी जिलाधिकारी ने अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि पर किया नमन,टिहरी जेल में रखी बेड़ियों को जनता को देखने के लिए रखा जाता है दर्शनार्थ के लिये

उत्तराखंड में आज के दिन याद किया जाता है अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान को,Body:अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि पर खुलती हे टिहरी की जेल सभी लोग करते हे टिहरी की जेल में सुमन की बेडियो के दर्शन टिहरी जेल के अन्दर खुलआम आ जा सकती हे जनता,सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक जेल के अंदर आ जा सकती है जनता,जनता होती है जेल के अंदर के बारे में जानकारी,


टिहरी के जिलाधिकारी वी षणमुगम ने अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि पर टिहरी जेल में लगी सुमन की मुर्ति पर फूल माला चढाकर पुष्पर्पित किये ओर उनको नमन किया। साथ ही टिहरी जेल प्रागण में पौध रोपण कार्याक्रम किया

साथ ही नगरपालिका टिहरी के द्वारा कूड़ा निस्तारण के लिए जिलाधिकारी के हाथों से मटके बांटे गए,जिससे गिला कूड़ा को रख सकते है,

श्री देव सुमन के पुण्यतिथि पर स्कूली बच्चो ने प्रभात रैली निकालकर जेल तक पहुंचे और सुमन जी की मूर्ति पर फूल माला चढ़ाई साथ ही बेड़ियों को देख जिसे सुमन को पहनाई गई थी,



महान पुरुष का 25 जुलाई बलिदान हुए थे जी हाँ कल यानी 25 जुलाई को उस महान क्रंतिकारी का बलिदान दिवस है जिन्होंने टिहरी रियासत को राजशाही से आजादी के लिए 84 दिनों तक तिल तिल करके मरना पड़ा।।।जिनकी रोटियों में कांच कूट कर डाला गया और उन्हें वो कांच की रोटियां खाने को मजबूर किया गया उन महान क्रंतिकारी का नाम है अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी टिहरी रियासत की जनता की मुक्ति के लिए 84 दिन की एतिहासिक अनशन के बाद 25 जुलाई 1944 एमात्र 29 वर्ष की आयु में अपना शरीर त्याग दिया ।

Conclusion:आज सुमन दिवस हैं।
महान सत्याग्रही श्रीदेव सुमन का 76 वां शहादत दिवस
84 दिन की भूखहड़ताल के बाद आज के ही दिन हुई थी शहादत।
28 साल के जीवन के महत्वपूर्ण दिन
25 मई 1916 - जन्म, जौल गांव चम्बा टिहरी गढवाल
मार्च 1936 - गढदेश सेवा संघ की स्थापना
जून 1937 - ‘सुमन सौरभ’ पुस्तक प्रकाशित
जनवरी 11939 - देहरादून में प्रजामण्डल के संस्थापक सचिव चुने गये
मई 1940 - टिहरी रियासत ने भाषण पर प्रतिबन्ध लगाया
मई 1941 - रियासत से निष्कासन
जुलाई 1941 - पहली बार गिरफ्तारी
अगस्त 1942 - दूसरी बार गिरफ्तारी
नवम्बर 1942 - भारत छोडो आन्दोलन के दौरान, आगरा सेन्ट्रल जेल में बन्द
नवम्बर 1943 - आगरा सेन्ट्रल जेल से रिहाई
दिसम्बर 1943 - तीसरी बार गिरफ्तारी
फरवरी 1944 - टिहरी जेल में सजा
3 मई 1944 - टिहरी जेल में अनशन शुरू
25 जुलाई 1944 - टिहरी जेल में शहादत
Last Updated : Jul 25, 2019, 8:38 PM IST
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