ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए भगवान मद्महेश्वर, आस्था का दिखा खूबसूरत नजारा

author img

By

Published : Nov 25, 2021, 5:22 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 5:30 PM IST

Lord Madhyamaheshwar doli

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट 22 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं. जिसके बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंची. जहां भगवान मद्महेश्वर आगामी 6 महीने के लिए विराजमान हो गए हैं. वहीं, डोली आगमन पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा से स्वागत किया.

रुद्रप्रयागः पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली (Lord Madhyamaheshwar doli) अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) उखीमठ में विराजमान हो गई है. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य के भागीदार बने. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर डोली का स्वागत किया. वहीं, शुक्रवार से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.

आज मद्महेश्वर घाटी (Madhyamaheshwar Valley) के गिरीया गांव में प्रधान पुजारी शिव लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मद्महेश्वर समेत 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया और आरती उतारी. उसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह मूर्तियों के निर्वाण दर्शन कर विश्व कल्याण की कामना की. इसके बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई. जहां फापंज, सलामी यात्रा पड़ावों पर ग्रामीणों ने अनेक प्रकार की पूज्यार्थ सामाग्रियों से अर्घ्य लगाकर मनौती मांगी.

ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए भगवान मद्महेश्वर.

ये भी पढ़ेंः मद्महेश्वर घाटी प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज, पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल

विभिन्न पड़ावों से होते हुए भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मंगोलचारी पहुंची. जहां राॅवल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग, सैकड़ों श्रद्धालुओं, मराठा रेजिमेंट और स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों से डोली की अगुवाई की गई. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के मंगोलचारी पहुंचने पर पूरा इलाका बाबा मद्महेश्वर के जयकारों से गुंजायमान हो उठा. पौराणिक परंपराओं के अनुसार मंगोली के ग्रामीणों ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सामूहिक अर्घ्य अर्पित किया और केदार लिंग ने डोली पर सोने का छत्र चढ़ाकर क्षेत्र के खुशहाली की कामना की.

ये भी पढ़ेंः बदहाली की मार झेल रहा मद्महेश्वर ट्रैक, वन अधिनियम आ रहा आड़े

वहीं, भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली (Madhyamaheshwar doli) के ब्राह्मणखोली आगमन पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया. कस्तोरा नामक स्थान पर डोली की विशेष पूजा-अर्चना की गई. जबकि, डगवाड़ी गांव आगमन पर ग्रामीणों ने भी अर्घ्य अर्पित किया. दोपहर के समय भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंची.

ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान हुई. उसके बाद रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग ने मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी शिव लिंग का छः माह तीर्थ में रहने का संकल्प तोड़ा और बूढ़ा मद्महेश्वर ने भक्तों को आशीष दिया.

ये भी पढ़ेंः तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेले का आगाज, 8 क्विंटल फूलों से सजा ओंकारेश्वर मंदिर

बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले के विकासखंड ऊखीमठ की सीमांत ग्राम पंचायत गौंडार से लगभग दस किमी दूरी पर हिमालय श्रृंखला के मध्य में भगवान मद्महेश्वर का मंदिर (Madhyamaheshwar Temple) विराजमान है. जहां 6 महीने के लिए भगवान मद्महेश्वर (Lord Madhyamaheshwar) की पूजा-अर्चना की जाती है. जबकि, शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. बीती 22 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे. भगवान मद्महेश्वर को द्वितीय केदार (second kedar Madmaheshwar) के नाम से भी जाना जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated :Nov 25, 2021, 5:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.