मद्महेश्वर घाटी प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज, पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल

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Published : Jul 6, 2021, 12:37 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 7:19 AM IST

rudraprayag

मद्महेश्वर घाटी पर्यटन के लिए विख्यात है. सैलानी लौटते वक्त यहां की खूबसूरत यादों को अपने जहन में कैद कर ले जाते हैं.

रुद्रप्रयाग: प्रदेश में कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो अपनी बेजोड़ खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं. यहां के बुग्यालों की मखमली घास, कल-कल बहता पानी, और दिव्य हिमालय का नैसर्गिक सौन्दर्य लोगों को बरबस ही अपनी को आकर्षित करता है, जिसका लोग दीदार करने के लिए लोग खिंचे चले आते हैं.

मद्महेश्वर घाटी पर्यटन के लिए विख्यात है. जहां हर साल सैलानी देश-विदेश से पहुंचते हैं. वहीं, मद्महेश्वर घाटी के सीमांत गांव गड़गू के तीन युवाओं ने 32 किमी की दूरी तय कर प्रकृति के अनमोल खजाने से रूबरू हुए. इन युवाओं ने गडगू-ताली-रौणी-देवरियाताल का पैदल भ्रमण किया.

मद्महेश्वर घाटी प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज.

युवाओं का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग क्षेत्र के पैदल ट्रैकों को विकसित करने की कवायद करें तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ क्षेत्र के सीमान्त गांवों में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिल सकता है. जिससे स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ने का सुनहरा अवसर प्राप्त हो सकते हैं.

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तीन सदस्यीय दल में शामिल गडगू के ग्रामीणों ने बताया कि गड़गू से ताली व रौणी तक के भूभाग में अपार वन संपदा का भंडार है और इस भूभाग में अनेक प्रकार के जीव जन्तु विचरण करते दिखाई देते हैं. ताली व रौणी के आंचल में सुरम्य मखमली बुग्यालों की भरमार है, जहां मन को अपार शांति मिलती है और इन बुग्यालों में छह माह सीमान्त गांवों के पशुपालक प्रवास करते हैं. पशुपालकों की छानियों में रात्रि प्रवास करने पर आपसी सौहार्द देखने को मिलता है. ताली रौणी-देवरिया ताल के मध्य फैले भूभाग को भी प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है.

इस भूभाग में विभिन्न प्रजाति के वन संपदा के साथ जंगली जानवरों के विचरण करने के क्षणों को कैमरे में कैद करना इतना आसान नहीं है. क्योंकि, जंगली जीव-जन्तुओं को विचरण करने के लिए एकांत होना आवश्यक है तथा मानवीय क्षस्तक्षेप होने से जीव-जन्तुओं के विचरण करने में बाधा पहुंचती है. ताली रौणी-देवरिया ताल से हिमालय व चौखम्बा को नजदीक से दीदार करने का मौका मिलता है.

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दल के सदस्य कैलाश नेगी, कमल सिंह राणा, विकास नेगी ने बताया कि ताली रौणी-देवरियाताल-गिरिया का पैदल मार्ग रख-रखाव के अभाव में खतरा बना रहता है. इसलिए इस पैदल मार्ग पर ट्रैक करना इतना आसान नहीं है. यदि प्रदेश सरकार की पहल पर वन विभाग इस पैदल ट्रैक को विकसित करने की कवायद करें तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ गैड़, गड़गू, बुरूवा गिरिया गांवों में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिल सकता है. जिससे स्थानीय बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है.

Last Updated :Jul 7, 2021, 7:19 AM IST
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