रुद्रप्रयाग: मद्महेश्वर-नन्दीकुण्ड-पांडवसेरा पैदल ट्रैक वर्तमान में बदहाली की मार झेल रहा है. वन विभाग अगर इस ट्रैक को दुरुस्त कराता है तो प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण नन्दीकुण्ड, पांडवसेरा प्रसिद्ध होने के साथ ही मद्महेश्वर घाटी के पर्यटन व्यवसाय में भी खासा इजाफा हो सकता है. लेकिन पांडवसेरा में आज भी धान की फसल स्वयं उगती है.
दरअसल, इस पैदल ट्रैक को विकासित होने में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेंचुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है. मद्महेश्वर-नन्दीकुण्ड-पांडवसेरा पैदल ट्रेक पर तीर्थाटन व पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेंचुरी वन अधिनियम इस पैदल ट्रैक का चहुमुखी विकास होने में बाधक बना हुआ है. आत्म चिंतन और साधना के लिए पांडवसेरा और नन्दीकुण्ड स्थल सर्वोत्तम माने गए हैं.
ये भी पढ़ें: आकाश न्यू जेनरेशन मिसाइल का सफल परीक्षण, वायुसेना होगी और मजबूत
गौंडार गांव के रहने वाले अरविंद पंवार बताते हैं कि मद्महेश्वर-नन्दीकुण्ड-पांडवसेरा पैदल ट्रैक वर्तमान में वन विभाग की अनदेखी की मार झेल रहा है, जिस पर पैदल चलना बेहद कठिन है, लेकिन पांडवसेरा में आज भी धान की फसल स्वयं उगती है. वहीं, मद्महेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भट्ट बताते हैं कि नन्दीकुण्ड व पांडवसेरा को प्रकृति ने अपार संभावनाओं से नवाजा है. उधर मंदर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत का कहना है कि इस ट्रैक के विकसित होने के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही होम स्टे को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.