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भारत-पाक युद्ध में पिथौरागढ़ के 52 जवान हुए थे शहीद, विजय दिवस पर परिजनों को किया गया सम्मानित

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Published : Dec 16, 2021, 6:04 PM IST

Updated : Dec 16, 2021, 6:50 PM IST

vijay diwas in uttarakhand
उत्तराखंड में विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि

उत्तराखंड में विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर उनकी शहादत को याद किया गया. भारत-पाक युद्ध में पिथौरागढ़ के 52 जवान शहीद हुए थे. जबकि, रुद्रप्रयाग जिले से 3 जवान कुंदन सिंह, दरमान सिंह और गजपाल सिंह ने शहादत दी थी.

पिथौरागढ़/रुद्रप्रयागः विजय दिवस के मौके पर पिथौरागढ़ मुख्यालय के चंडाक रोड स्थित शहीद स्मारक स्थल में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें 1971 के भारत-पाक युद्ध (1971 Indo Pak war) में जिले के शहीद हुए 52 वीर सैनिकों को विधायक चंद्रा पंत ने श्रद्धांजलि अर्पित किए. उधर, रुद्रप्रयाग में भी अमर शहीद सैनिकों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही शहीद सैनिकों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया गया.

पिथौरागढ़ के 52 जवानों ने दी थी शहादतः देश के लिए जान देने वालों में पिथौरागढ़ जिला सबसे आगे रहा है. साल 1971 के भारत पाक युद्ध में पिथौरागढ़ के 52 जवान शहीद (Pithoragarh 52 soldiers martyred in Indo Pak war) हुए थे. इस मौके पर पिथौरागढ़ विधायक चंद्रा पंत ने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उत्तराखंड देवभूमि होने के साथ ही वीरों की भी भूमि है. पिथौरागढ़ जिले से देश के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर हर युद्ध में वीर जवानों ने आगे बढ़कर अपना बलिदान देकर देश की रक्षा की है.

उत्तराखंड में विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धाजंलि.

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यहां के वीर जवान देश की रक्षा के लिए हमेशा ही आगे बढ़कर सीमा पर तैनात रहते हैं. उन्होंने कहा कि वीरों को याद करते हुए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए देहरादून में राज्य का पांचवा धाम सैन्य धाम बनाया जा रहा है. देश की आजादी का यह 75वां वर्ष है, जिसे आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है. हमें अपने इतिहास को जानना होगा, तभी हम अपने भविष्य को बना पाएंगे. इससे ही हमारा भविष्य बेहतर होगा.

पिथौरागढ़ डीएम आशीष चौहान (Pithoragarh DM Ashish Chauhan) ने कहा कि 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस का परिचय (uttarakhand soldiers showed bravery) देते हुए पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाकर विजय प्राप्त की. भारत ने अपने रण कौशल और वीर सैनिकों की बहादुरी के बदौलत इस युद्ध को 14 दिनों में समाप्त कर दिया.

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भारतीय सेना ने इस युद्ध को जीत कर 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया और शिमला समझौते के तहत ही इन युद्ध बंदियों को बाद में रिहा किया गया. ये भारतीय सैनिकों की ऐतिहासिक जीत रही. इस युद्ध में हमारे बहुत से सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देश के लिए समर्पित किया आज समूचा राष्ट्र इन बहादुर सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा है.

डांगी-गुनाऊं के पूर्व सैनिक दयाल सिंह का शॉल ओढ़ाकर सम्मानः रुद्रप्रयाग जिला विकास भवन सभागार में आयोजित विजय दिवस की स्वर्ण जयंती समारोह में विधायक भरत सिंह चौधरी, जिलाधिकारी मनुज गोयल, बीजेपी जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, गणमान्य नागरिकों और पूर्व सैनिकों ने अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. साथ ही उनके बलिदान को नमन किया. इस अवसर पर 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को शॉल देकर सम्मानित (families of martyred soldiers were honored) किया गया.

रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि जब भी सेना की बात होती है तो हम खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. शहीदों के सम्मान में पांचवें धाम सैन्य धाम का निर्माण देहरादून में किया जा रहा है. उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से किए जा रहे सैन्य भर्ती प्रशिक्षणों की सराहना की. वहीं, युद्ध में घायल हुए ग्राम डांगी-गुनाऊं के पूर्व सैनिक दयाल सिंह का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया.

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रुद्रप्रयाग जिले से 3 जवान हुए थे शहीदः सहायक सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास अधिकारी अनसूया सिंह बिष्ट ने कहा कि आज हम स्वर्णिम विजय दिवस मना रहे हैं. 1971 में इसी दिन भारत-पाक युद्ध में देश के वीर सैनिकों ने अदम्य शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मन देश के 93 हजार से अधिक सैनिकों को आत्मसमर्पण करने को मजबूर कर दिया था. इस युद्ध में रुद्रप्रयाग जिले से 3 सैनिक कुंदन सिंह, दरमान सिंह और गजपाल सिंह शहीद हुए थे.

1971 के भारत-पाक जंग में क्या हुआ था? 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का मुख्य कारण बांग्लादेश को आजाद कराना था. इस जंग में भारतीय सेना भी शामिल हुई थी. 13 दिन चली इस लड़ाई में पाक सेना को मुंह की खानी पड़ी. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी जनरल एएके नियाजी ने अपने 90 हजार सैनिकों के साथ भारत और मुक्ति वाहिनी के सामने ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया. इसके साथ ही बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हो गया था.

Last Updated :Dec 16, 2021, 6:50 PM IST
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