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परमार्थ निकेतन से विदा हुईं रैग पिकर्स बहनें, छोड़ गई मीठी यादें

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Published : Nov 22, 2019, 2:32 PM IST

ऋषिकेश परमार्थ निकेतन पहुंची रैग पिकर्स बहनें विदा हो गईं. उनके साथ बॉलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी भी मौजदू थीं.

परमार्थ निकेतन से विदा हुई रैग पिकर्स बहनें

ऋषिकेश: अहमदाबाद से तीन दिनों की पर्यावरण यात्रा पर आयीं रैग पिकर्स बहनों को परमार्थ निकेतन से विदाई दी गई. दोनों ने तीन दिनों तक यहां रहकर तीर्थ सेवन का लाभ लिया. रैग पिकर्स बहनें गंगा स्नान, ध्यान, योग और सत्संग के साथ ऋषिकेश और उत्तराखण्ड की संस्कृति से परिचित हुईं. उन सभी का नेत्र और कैंसर विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य परीक्षण किया तथा उन्हें स्वच्छता का प्रशिक्षण भी दिया गया.

मस्तीजादे, रब्बा और मैं क्या करूं जैसी यादगार फिल्मों में अभिनय करने वाली सुष्मिता मुखर्जी और शेमारू ने इससे पहले परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की और गुरुवार शाम को गंगा आरती में हिस्सा लिया. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सब लोग मिलकर रहें, यही हमारी संस्कृति है. जिस प्रकार गंगा में जो कुछ भी मिलता है वह गंगा बनकर उसके साथ बहने लगता है, वैसे ही आज समाज की प्रत्येक धारा को साथ लेकर चलना होगा. रैग पिकर्स को सामान की नहीं बल्कि सम्मान की जरूरत है. परमार्थ निकेतन में सभी रैग पिकर्स बहनों का सम्मान किया गया.

परमार्थ निकेतन से विदा हुई रैग पिकर्स बहनें

पढ़ेंः स्वामी चिदानन्द मुनि ने गंगा घाटों को किया साफ, स्वयंसेवकों के साथ चलाया अभियान

रैग पिकर्स से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि हम 100 बहनें पहली बार एक जैसे वेष में हैं. आज तक हमने लोगों की आंखों में अपने लिये घृणा और तिरस्कार ही देखा था. कई बार मन्दिर परिसर में भी खड़े होने नहीं दिया जाता था. लेकिन ये सौभाग्य की बात है कि गंगा के तट पर बसे परमार्थ निकेतन आश्रम में तीन दिन बिताने का मौका मिला. इस मौके पर सुष्मिता मुखर्जी ने कहा कि उन्हें और उनके साथी कलाकारों को परमार्थ निकेतन में परम शान्ति, सुचिता और दिव्यता का अनुभव मिला. आपको बता दें कि रैग पिकर्स वो जमात मानी जाती है जो कबाड़ बीनने का काम करते हैं.

Intro:ऋषिकेश--अहमदाबाद, गुजरात से तीन दिनों की पर्यावरण यात्रा पर आयी रैग पिकर्स बहनों को आज परमार्थ निकेतन से विदाई दी गयी।सभी ने तीन दिनों तक यहां रहकर तीर्थ सेवन का लाभ लिया। रैग पिकर्स बहनों ने गंगा स्नान, ध्यान, योग, सत्संग के साथ ऋषिकेश और उत्तराखण्ड की संस्कृति से परिचित हुई। उन सभी का नेत्र और कैंसर विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य परिक्षण किया तथा उन्हें स्वच्छता का प्रशिक्षण भी दिया गया।


Body:वी/ओ--मस्तीजादे, रब्बा, मैं क्या करूं जैसी यादगार फिल्मों में अभिनय करने वाली सुष्मिता मुखर्जी और शेमारू भक्ति सर्विसेस के अध्यक्ष अमित शाण्डिल्य ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया, स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारी यही संस्कृति है कि सब मिलकर रहें। जिस प्रकार गंगा में जो कुछ मिलता है वह गंगा बनकर उसके साथ बहने लगता है तथा गंगा में अनेक धारायें आती हैं  और सभी गंगा में समाहित हो जाती हैं वैसे ही आज समाज की प्रत्येक धारा को साथ लेकर चलना होगा। रैग पिकर्स को सामान की नहीं बल्कि सम्मान की जरूरत है, परमार्थ निकेतन में सभी रैग पिकर्स बहनों का सम्मान किया गया तथा सभी बहनों को साड़ियां भेंट की गयी। रैग पिकर्स बहनों ने नई साड़ियां पहनकर परमार्थ गंगा तट पर गरबा कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। जब वे सभी मंत्रमुग्ध होकर गरबा कर रही थी तब ऐसा लग रहा था मानों पूरा वातावरण दिव्यता से चमत्कृत हो उठा।

 रैग पिकर्स ने पहली बार अपने प्रति प्रेम, समरसता और सद्भाव देखा और उन्हें जो सम्मान दिया उससे वे अभिभूत हो उठीं। उन्होने कहा कि हम 100 बहनें आज पहली बार एक जैसे वेश में हैं। आज तक हमने लोगों की आंखों में अपने लिये घ्रणा और तिरस्कार ही देखा था। कई बार मन्दिरों के अन्दर तो क्या हम बाहर परिसर में भी खड़े नहीं हो सकते थे परन्तु हमारा सौभाग्य है कि गंगा के तट पर बसे परमार्थ निकेतन आश्रम में हमें तीन दिनों तक रहने का अवसर मिला, अगाध प्रेम और सम्मान प्राप्त हुआ। हमारे लिये यह तीन दिन अविस्मर्णीय है। उन्होने कहा कि हमें तो परमार्थ निकेतन अपना घर लगने लगा है। 










Conclusion:वी/ओ--सुष्मिता मुखर्जी ने कहा कि मैंने अपने साथी कलाकारों से परमार्थ निकेतन की दिव्यता के विषय में सुना था आज यहां पर आकर परम शान्ति, सुचिता और दिव्यता का अनुभव कर रही हूँ। वास्तव में अपार शान्ति का सागर है गंगा तट,स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सुष्मिता मुखर्जी और शेमारू भक्ति सर्विसेस के अध्यक्ष अमित शाण्डिल्य को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। अमित शाण्डिल्य ने कहा कि हमें इस पर्यावरण की पहल ने अत्यंत प्रभावित किया हम इस अभियान में स्वामी चिदानन्द के साथ है।
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