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उत्तराखंड में धड़ल्ले से खुले नशा मुक्ति केंद्र सरकार के आपे से बाहर, न अधिनियम लागू, न पंजीकरण-लाइसेंस की जरूरत

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Published : Jun 8, 2023, 10:05 PM IST

Updated : Jun 8, 2023, 10:37 PM IST

उत्तराखंड में संचालित नशा मुक्ति केंद्रों के लिए सरकार के पास कोई नियम नहीं है. न सरकार के पास इन नशा मुक्ति केंद्रों पर लगाम लगाने के लिए कोई नियमावली है. आलम ये है कि धड़ल्ले से खुले नशा मुक्ति केंद्र सरकार के आपे से बाहर हैं. यहीं कारण हैं कि इन केंद्रों से तमाम अपराध के मामले सामने आते रहते हैं.

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उत्तराखंड में धड़ल्ले से खुले नशा मुक्ति केंद्र सरकार के आपे से बाहर.

देहरादूनः उत्तराखंड में जितनी तेजी से नशा फैल रहा है, उतनी ही तेजी से नशा मुक्ति केंद्रों का व्यापार भी फल फूल रहा है. वर्तमान स्थिति यह है कि कुछ साल पहले तक प्रदेश में करीब 40 नशा मुक्ति केंद्र थे, अब इनकी संख्या बढ़कर करीब 150 पहुंच गई है. यही नहीं, बेलगाम संचालित नशा मुक्ति केंद्रों से अपराध के तमाम मामले भी देखने को मिलते हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार इन सभी नशा मुक्ति केंद्रों पर लगाम लगाने की कवायद में जुट गई है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की मानसिक स्वास्थ्य विंग ने एक खाका तैयार कर भारत सरकार को भेज दिया है. सहमति मिलने के बाद उसे लागू किया जाएगा.

उत्तराखंड में संचालित नशा मुक्ति केंद्र पर लगाम लगाने को लेकर सरकार के पास कोई एक्ट या नियमावली नहीं है. इस कारण संचालित नशा मुक्ति केंद्र बेलगाम ढंग से संचालित हो रहे हैं. यही नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है कि नशा मुक्ति केंद्र किस विभाग का हिस्सा है. क्योंकि, इन केंद्रों पर कोई भी घटना होने पर समाज कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग दोनों ही अपने हाथ पीछे खींच लेते हैं. हालांकि, सरकार समय-समय पर नशा मुक्ति केंद्रों पर लगाम लगाने के लिए सरकार पहल करती रही है. लेकिन अभी तक उसका कोई फायदा नहीं मिला है और न ही नशा मुक्ति केंद्रों की लापरवाहियों पर लगाम लग पाई है. इन तमाम स्तिथियों को देखते हुए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम को सख्त किया जा रहा है. इसका प्रस्ताव तैयार कर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने भारत सरकार को भेज दिया है. ऐसे में भारत सरकार से सहमति मिलने के बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा.

उत्तराखंड में 2018 में लागू हुआ अधिनियम: बता दें कि भारत सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 में बनाया. इसे उत्तराखंड सरकार ने साल 2018 में राज्य में लागू किया. लेकिन उसके बाद से ही इसे अपडेट करने की जरूरत थी, क्योंकि नशा मुक्ति केंद्रों पर लगाम का लेकर कोई प्रावधान नहीं था. लिहाजा, राज्य की धामी सरकार प्रदेश में संचालित सभी नशा मुक्ति केंद्र पर लगाम लगाने की कवायद में जुटी है. इसके साथ ही सरकार ने देहरादून के सेलाकुई और हल्द्वानी में सरकारी नशा मुक्ति केंद्र बनाने का निर्णय लिया है. सरकार के निर्णय के मुताबिक शुरुआती दौर में 30-30 बेड का नशा मुक्ति केंद्र खोला जाएगा. इसके बाद जरूरत के आधार पर 100 बेड में अपग्रेड किया जा सकेगा.

नियम और विनियम को केंद्र के पास भेजा: वहीं, मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के डायरेक्टर मयंक बडोला ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया गया है. साथ ही मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड भी अलग-अलग जिलों में काम कर रहे हैं. ऐसे में नशा मुक्ति के केंद्रों पर लगाम लगाए जाने को लेकर मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण ने नियम और विनियम बना दिए हैं, जोकि भारत सरकार के पास अनुमति के लिए भेजी गई है. ऐसे में भारत सरकार से अनुमति मिलने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा. इसको मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा. लिहाजा, प्रदेश में संचालित सभी नशा मुक्ति केंद्रों को मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से बनाए गए नियम और मानकों के मुताबिक ही चलना होगा.
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मिनिमम स्टैंडर्ड को पूरा करना होगा जरूरी: मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से तैयार किए गए मानकों के मुताबिक, प्रदेश में संचालित सभी नशा मुक्ति केंद्रों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. साथ ही मिनिमम स्टैंडर्ड को मीट करना होगा, इसके लिए प्राधिकरण की ओर से समय भी दिया जाएगा. ऐसे में अगर तय समय के भीतर संचालित नशा मुक्ति केंद्र रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं और मिनिमम स्टैंडर्ड को पूरा नहीं करते हैं तो ऐसे नशा मुक्ति केंद्रों को बंद करने की कार्रवाई की जाएगी. मुख्य रूप से सभी नशा मुक्ति केंद्रों में एक सुचारु व्यवस्था बनाने को लेकर मानक तैयार किए गए हैं.

मिनिमम स्टैंडर्ड से लगेगी लगाम: ज्यादा जानकारी देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक विनीता शाह ने बताया कि नशा मुक्ति केंद्र पर लगाम लगाने को लेकर प्रक्रिया चल रही है. इसके तहत विभाग, मेंटल हेल्थ इस्टैब्लिशमेंट के लिए मिनिमम स्टैंडर्ड बना रहा है, इसकी प्रक्रिया चल रही है. क्योंकि, सभी नशा मुक्ति केंद्र, मेंटल हेल्थ इस्टैब्लिशमेंट की कैटेगरी में आते हैं. ऐसे में मिनिमम स्टैंडर्ड लागू होने के बाद नशा मुक्ति केंद्र भी इसी परिधि में आ जाएंगे. इससे नशा मुक्ति केंद्र पर सरकार की पूरी निगरानी होगी. साथ ही जो मानक तय किए जाएंगे. उसी मानक के अनुरूप केंद्र संचालित होंगे.

उत्तराखंड में 150 नशा मुक्ति केंद्र: उत्तराखंड में नशा मुक्त केंद्र खोले जाने का बड़ा सिंपल प्रोसेस है यही वजह है कि पिछले कुछ सालो में प्रदेश में नशा मुक्त केंद्रों की भरमार हो गई है. प्रदेश में कितने नशा मुक्त केंद्र संचालित हो रहे हैं. इसकी जानकारी सरकार के पास उपलब्ध नहीं है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में करीब 150 नशा मुक्त केंद्र संचालित हो रहे हैं. देहरादून में अकेले 40 नशा मुक्ति केंद्र संचालित हैं. ये सभी नशा मुक्त केंद्र या तो गैर सरकारी है या स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से संचालित किए जा रहे हैं. हालांकि, उत्तराखंड में नशा मुक्त केंद्रों के पंजीकरण और लाइसेंस की व्यवस्था नहीं होने के कारण कोई भी नशा मुक्त केंद्र खोल सकता है.
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फिलहाल समाज कल्याण विभाग में सेंटर: प्रदेश में अनुमानित करीब 150 नशा मुक्त केंद्र संचालित हो रहे हैं. हालांकि, ये सभी स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से संचालित किए जा रहे हैं. वर्तमान समय तक ये सभी नशा मुक्त केंद्र, समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आते हैं, लेकिन इसकी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है. इतना जरूर है कि जो नशा मुक्त केंद्र, केंद्रीय अनुदान ले रहे हैं. विभाग में अपनी जानकारी उपलब्ध कराकर केंद्रीय अनुदान ले रहे हैं. इसके अलावा नशा मुक्त केंद्रों में भर्ती होने वाले मरीजों से भी मोटी रकम वसूली जाती है.

हालांकि, प्रदेश में संचालित सभी केंद्र, समाज कल्याण विभाग में आते है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के बनने के बाद ये सभी केंद्र स्वास्थ्य विभाग के अधीन आ गए हैं. यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग का मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, केंद्रों पर लगाम लगाने और केंद्रों पर निगरानी के लिए मानक तैयार किया है. कुल मिलाकर केंद्रों के संचालन मानक का धरातल पर उतरने के बाद नशा मुक्त केंद्रों का न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में पंजीकरण करना होगा बल्कि केंद्रों की सारी जानकारी विभाग के पास उपलब्ध होगी.

लापरवाही की हदें पार: नशा मुक्त केंद्रों में इलाज कराकर तमाम लोग ठीक भी हुए है. क्योंकि कुछ नशा मुक्त केंद्र इसे व्यापार के रूप में नहीं बल्कि समाज सेवा के रूप में संचालित कर रहे हैं. लेकिन अधिकाश केंद्र ऐसे हैं जो केंद्रों को सिर्फ एक व्यापार के रूप में संचालित कर रहे हैं. इन केंद्रों पर सरकारी हस्तक्षेप न होने के चलते मनमाने तरीके से न सिर्फ मरीजों का इलाज करते हैं बल्कि सीमित संख्या से ज्यादा मरीजों का इलाज करते है. इसके चलते कई बार केंद्रों से लापरवाही के मामले भी सामने आते रहे हैं. साथ ही भर्ती मरीजों के साथ दुर्व्यवहार के मामले भी सामने आते रहे हैं.
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प्रदेश में संचालित केंद्रों के कुछ मुख्य मामले.

  1. उत्तराखंड के हल्द्वानी स्तिथि नशा मुक्ति केंद्र से 8 अप्रैल 2023 को एक बड़ा मामला सामने आया था. केंद्र संचालक ने पुलिस थाने में तहरीर दी थी कि केंद्र में भर्ती मरीजों में से 3 मरीजों ने ना सिर्फ केंद्र में तोड़फोड़ की बल्कि फरार हो गए. इन तीन मरीजों के फरार होने के बाद मौके का फायदा उठाकर 16 और मरीज फरार हो गए.
  2. 12 अक्टूबर 2022 को देहरादून स्तिथ बसंत विहार क्षेत्र में संचालित नशा मुक्ति केंद्र से करीब 10 लोग फरार हो गए थे.
  3. सितंबर 2022 में देहरादून के जागृति फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र में एक मरीज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. मरीज का शव बाथरूम में फंदे पर लटका मिला था.
  4. 24 अक्टूबर 2021 को देहरादून के लाइफ केयर फाउंडेशन रिहैब सेंटर में इलाज करा रहे युवक की तबीयत खराब होने के बाद मौत हो गई थी.
  5. 23 अगस्त 2021 को देहरादून के जीवन परिवर्तन नशा मुक्ति केंद्र से 12 मरीज फरार हो गए थे.
  6. 5 अगस्त 2021 को देहरादून के प्रकृति विहार स्थित नशा मुक्ति केंद्र के संचालक पर वहीं इलाज करा रही लड़की से दुष्कर्म का आरोप लगा था.
Last Updated :Jun 8, 2023, 10:37 PM IST
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