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US रिपोर्ट पर CDS बिपिन रावत की खरी-खरी, कहा- हमें अपनी सीमा पता है, सरहद पूरी तरह सेफ

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Published : Nov 9, 2021, 6:06 PM IST

Updated : Nov 10, 2021, 12:30 PM IST

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर CDS बिपिन रावत देहरादून पहुंचे. इस दौरान बिपिन रावत ने भारत की सरहद को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हमें अपनी सीमा पता है, सरहद पूरी तरह सेफ है.

Bipin Rawat at the foundation day program
Bipin Rawat at the foundation day program

देहरादून: उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff- CDS) जनरल बिपिन रावत राजधानी दून स्थित राजभवन पहुंचे. सबसे पहले उन्होंने राज्यवासियों को उत्तराखंड के 22वें स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दीं और आशा जताई कि प्रदेश जिस तरह से उन्नति कर रहा है, उसी तरह से आगे बढ़ता रहे. बिपिन रावत ने प्रदेश के लोगों से पलायन न करने की भी अपील की है. इसके साथ ही उन्होंने भारत-चीन सीमा विवाद पर भी प्रतिक्रिया दी.

सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि धीरे-धीरे प्रदेश काफी प्रगति और उन्नति कर रहा है. टूरिज्म पहाड़ों तक पहुंच रहा है लेकिन उनका ये संदेश है कि उत्तराखंड के लोग अपने प्रदेश में बने रहें और अपने प्रदेश की उन्नति अपने हाथों से ही करें.

भारत चीन सीमा विवाद: चीन के साथ सीमा विवाद और बॉर्डर लाइन क्रास करने की घटनाओं पर बोलते हुए सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि बाराहोती, लद्दाख जैसे इलाकों में जहां तक चीन सरहद मानता है वहां तक वो कभी-कभी आता है और जहां तक हम सरहद मानते हैं वहां तक हम भी जाते हैं, लेकिन इस बात को कोई रिपोर्ट नहीं करता.

हमें अपनी सीमा पता है- बिपिन रावत

वहीं, बीते हफ्ते अमेरिका की ओर से भारत बॉर्डर पर चीन की ओर से गांव बसाने वाली रिपोर्ट के सवाल पर जवाब देते हुए बिपिन रावत ने कहा कि चीन को पता है कि उनकी सरहद कहां है, हमें पता है हमारी सरहद कहां है, हमारी जो सरहद है उसकी पूरी तरह से देखभाल की हुई है, हमने अपनी सरहद के अंदर किसी को बसने नहीं दिया है.

क्या कहती है अमेरिका रक्षा विभाग की रिपोर्ट?: गौर हो कि अमेरिका के रक्षा विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने तिब्बत के विवादित इलाके में भारत के अरुणाचल प्रदेश के नजदीक करीब 100 घरों वाला एक गांव बना लिया है. सीमावर्ती इलाके में बना यह गांव सुविधाओं से परिपूर्ण है. इसके साथ ही कई इलाकों में वह रेलवे लाइन भी बिछा चुका है जिस पर तेज गति से ट्रेन चल सकती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भड़कावे की कार्रवाई करते हुए चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपनी सेना को आगे बढ़ा दिया है और अब उसे पीछे करने से इनकार कर रहा है.

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पलायन कैसे रुकेगा: सीडीएस बिपिन रावत ने माना कि उत्तराखंड का सबसे बड़ा मुद्दा पलायन है. हालांकि, उनका कहना है कि व्यवस्थाओं और सुविधाओं के अभाव में ऐसा हुआ है. उन्होंने कहा कि, क्योंकि हमारा इलाका बॉर्डर का क्षेत्र है इसलिए यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट नहीं हो पाया लेकिन अब यहां बड़ी तेजी से सड़कें बन रही हैं, बॉर्डर तक सड़कें पहुंच रही हैं. कमी है तो मेडिकल की सुविधा की, जिस पर ध्यान दिया जा रहा है. इसके साथ ही एजुकेशन के क्षेत्र में भी पहाड़ी इलाकों पर ध्यान देने की जरूरत है.

सीडीएस बिपिन रावत ने पलायन पर कही बड़ी बात.

रावत ने कहा कि दिक्कत ये है कि जो भी मेन एजुकेशन सेंटर्स हैं वो सारे देहरादून-नैनीताल जैसे क्षेत्रों में हैं. पहाड़ों तक एजुकेशन की सहूलियत सही से नहीं पहुंच पाई है. अगर पहाड़ों तक मेडिकल और एजुकेशन पहुंच जाए तो वहां का डेवलपमेंट कोई नहीं रोक सकता.

स्वास्थ्य सुविधा न होना बड़ी समस्या: अपनी पूरी बातचीत में जनरल बिपिन रावत का फोकस पहाड़ी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं पर रहा. उन्होंने कहा कि स्थिति ये हो जाती है कि अगर पहाड़ों पर कोई मरीज बीमार पड़ जाता है तो उसे वहां सही सुविधाएं नहीं मिल पातीं. बीमार को लेकर नीचे आना पड़ता है. इसलिए पहाड़ों पर हेलीपैड और एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड बनाने की बात चल रही है. यह सब धीरे-धीरे काम हो रहा है. ये सब काम हो जाए तो पलायन को रोक सकेंगे.

गांवों का आबाद रहना कितना जरूरी है?: जनरल बिपिन रावत ने जब पूछा गया कि सीमावर्ती गांवों का आबाद रहना सामरिक दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण है? क्योंकि यहां के ग्रामीण सेना के सूचना तंत्र का काम करते हैं. जवाब में सीडीएस ने कहा कि इन गांवों से पलायन रोकना है तो यहां पर्यटकों को बुलाया जाए. हमारे गांव इतने सुंदर हैं जिनकी तुलना स्विट्जरलैंड से की जाती है. हम चाहते हैं कि वहां लोग रहें. इसको लेकर उनकी मुख्यमंत्री धामी से भी बात हुई है, वो कह रहे हैं कि गांवों में अब होमस्टे की सुविधा दी जा रही है, ताकि शहरी या विदेशी पर्यटक यहां आकर रह सकें.

हालांकि, सीडीएस ने कहा कि गांवों में मेडिकल सुविधाओं पर ध्यान देना पड़ेगा ताकि कोई वहां बीमार पड़े तो उसे वहां से जल्दी निकाला जा सके. इसके साथ ही हम कई हेलीपैड भी वहां पर बनवा रहे हैं ताकि मेडिकल सुविधा के साथ पर्यटकों के लिए भी आसानी हो. कई ऐसे सैलानी होते हैं जो हेलीकॉप्टर से वहां जाना चाहेंगे, ट्रैकिंग करना चाहेंगे. बहुत से इलाके हैं जहां पर्यटक ट्रैकिंग कर सकते हैं, माउंटेनियरिंग कर सकते हैं. पहाड़ों पर पर्यटन के लिए बहुत स्कोप है, लेकिन इससे पहले ये ध्यान देने की जरूरत है कि हमारे लोग पलायन न करें, वहां रहे और पर्यटकों को सुविधा देने के लिए मदद करें.

Last Updated :Nov 10, 2021, 12:30 PM IST
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