लखनऊ : सरकारी अस्पतालों में लगातार विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बनी हुई. जिला अस्पतालों में तो फिर भी विशेषज्ञ डॉक्टर बैठते हैं, लेकिन बात अगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की होती है तो यहां पर सिर्फ जनरल फिजीशियन ही तैनात होते हैं. अगर कोई बीमार होता है तो परिजन सबसे पहले सीएचसी और पीएचसी में जाते हैं, लेकिन वहां पर उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिलते हैं. जिस कारण वह मरीज को लेकर तुरंत जिला अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर लेकर भागते हैं. इतना लंबा प्रोसेस करने में कई बार मरीज ही जान भी चली जाती है. इन्हीं सब समस्या को देखते हुए नेशनल हेल्थ मिशन के तहत 12 अलग-अलग विशेषज्ञों के तौर पर संविदा 100 चिकित्सकों को नियुक्त किया जा रहा है. इस नियुक्ति के लिए बोली लग रही है.
नेशनल हेल्थ मिशन की निदेशक प्रो. अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि सीएचसी पीएचसी में चिकित्सकों की नियुक्ति को लेकर निर्देश जारी हो चुका है. लगभग 1,199 विशेषज्ञ को संविदा पर नियुक्त करना है. फिलहाल संविदा पर 100 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति हुई हैं. आगे फिर से विज्ञापन जारी होगा. नियुक्ति की प्रक्रिया अभी चल रही है. जिस क्षेत्र के सीएचसी और पीएचसी में यह चिकित्सक नियुक्त होना चाहते हैं, उसके लिए वहां पर उन्हें बाकी चिकित्सकों को मात देना हैं यानी कि अगर कोई चिकित्सक पांच लाख रुपये बोल रहा है, उसके बाद कोई चिकित्सक तीन या दो लाख रुपये बोल रहा है तो एनएचएम जो चिकित्सक कम दर पर बोली लगा रहा है उसको नियुक्ति के लिए चुन रहा हैं. यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो रही है.
आमतौर पर देखा गया है कि जिस हिसाब से पद बढ़ता है उसके अनुसार वेतन प्राप्त होती है, लेकिन प्रदेश में विभिन्न सरकारी अस्पतालों में संविदा पर तैनात किए गए 12 विशेषज्ञ डॉक्टरों को मुख्य सचिव व स्वास्थ्य महानिदेशक से भी ज्यादा वेतन मिलेगा. इन विशेषज्ञ डॉक्टरों को लेवल टू पर भर्ती किया जाएगा. इन विशेषज्ञों को चार लाख से पांच लाख रुपये तक हर महीने मानदेय दिया जाएगा. पहली बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), उत्तर प्रदेश ने रिवर्स बिड (बोली लगाकर खुद अधिकतम पांच लाख रुपये मानदेय तय करने का अवसर दिया हैं. एक लाख से अधिक वेतन पाने वाले 100 डॉक्टरों की तैनाती होगी. वेतन अधिक नहीं मिलने के कारण बहुत से विशेषज्ञ डॉक्टर सरकारी अस्पताल की नौकरी छोड़ निजी अस्पताल की ओर रुख कर लेते हैं. यही कारण है कि सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बनी हुई हैं.
एनेस्थीसिया, हड्डी रोग विशेषज्ञ सर्जन, नेत्र रोग विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट जैसे आठ और विशेषज्ञ डॉक्टर शहरीय व ग्रामीण क्षेत्र के सीएचसी और पीएचसी में तैनात होंगे. जिनमें महाराजगंज के जिला अस्पताल में तैनात किए गए दुर्गेश कुमार शुक्ला 4,99,500 रुपये और आजमगढ़ में 100 बेड की एमसीएच विंग में तैनात किए गए रेडियोलाजिस्ट हिमांशु कुमार जायसवाल 4,94,400 रुपये प्रति महीने मानदेय मिलेगा. चित्रकूट के राजापुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर संविदा पर तैनात किए गए एनेस्थेटिक गणेश सिंह को सर्वाधिक पांच लाख रुपये प्रति माह मानदेय मिलेगा. वहीं इस तरह अन्य नौ डाक्टर भी न्यूनतम चार लाख रुपये तक मानदेय हर महीने पाएंगे. प्रदेश के मुख्य सचिव का वेतन भी प्रति माह साढ़े तीन लाख से अधिक नहीं है. वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक व महानिदेशक स्तर के अन्य अधिकारियों को भी हर महीने सवा तीन लाख रुपये तक वेतन मिल रहा है. इस स्तर पर तैनात सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद पर तैनात नियमित डाक्टरों को एक लाख रुपये तक ही प्रति महीने वेतन मिल रहा है. हालांकि सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी के कारण ज्यादा कार्य और सुविधाएं न होने से विशेषज्ञ डाक्टर काम करना पसंद नहीं कर रहे.
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