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kannauj news: सुब्रत पाठक बोले, अखिलेश यादव के कहने पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर दिया विवादित बयान

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Published : Jan 27, 2023, 9:22 PM IST

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सुब्रत पाठक बोले, वर्ग विशेष के वोट को बचाने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्या से अखिलेश ने करवाई है टिप्पणी

कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक ने स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने क्या कुछ कहा है चलिए जानते हैं.

कन्नौज: सांसद सुब्रत पाठक ने रामचरित मानस पर चल रही राजनीति पर सपा पर पलटवार किया है. कहा कि अखिलेश यादव मंदिरों में जा रहे है. जिससे वर्ग विशेष का वोट प्रभावित हो रहा है. वर्ग विशेष वोट को बचाने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्या से रामचरित मानस पर टिप्पणी कराई जा रही है. कहा कि किसी की हैसियत है तो कुरान और बाइबिल को जाति से जोड़े. रामचरित मानस को राजनीति से जोड़ना गलत है.

यह बोले सुब्रत पाठक.
कन्नौज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस पर प्रतिबन्ध लगाने वाले बयान पर पलटवार किया है. कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस का विरोध किया है. रामचरित मानस में बहुत सी चौपाईयां है. उन चौपाइयों का अर्थ स्वामी प्रसाद ने किस उद्देश्य निकाला है यह तो वह जानते है लेकिन वह जब भाजपा में थे तो रोज रामचरित मानस का पाठ करते थे. जयश्री राम, जय श्री राम का जाप करते थे. सपा में पहुंचते ही उनको बुराई क्यों दिख रही है. मेरा तो स्पष्ट मानना है कि अखिलेश यादव के कहने पर टिप्पणी की गई है. अखिलेश यादव ने मंदिरों में जाना शुरू कर दिया है. मंदिरो में जाएंगें तो उनको वर्ग विशेष का वोट प्रभावित होगा.

बोले कि वर्ग विशेष का वोट को प्रभावित न हो इसके नाते जानबूझकर स्वामी प्रसाद मौर्य से इस प्रकार टिप्पणी कराई है. जिससे उनका वोट सधा रहे. स्वामी प्रसाद जैसे लोग जाति का सहारा लेकर राजनीति करते है. ऐसे लोगों का अब समाज में कोई स्थान रहा नहीं. कहा कि अखिलेश यादव के आदेश पर स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस पर बैन लगाने की मांग की है. अखिलेश यादव अब टोपी नहीं लगाते, रोज इफ्तार नहीं करते है, मस्जिदों में जाकर चादर नहीं चढ़ाते है अब मंदिर जाते है.

उनका विशेष वोट प्रभावित न हो इसलिए राम को गाली देना महत्वपूर्ण है. रामचरित मानस को गाली देना बहुत आवश्यक है. समाजवादी पार्टी की विचार धारा ही राम द्रोही है. समाजवादी पार्टी अस्तित्व में ही राम भक्तों की हत्या कराकर आई है. उनके एक नहीं अनेकों लोग है जो राम का अपमान करते रहे है. राम चरित मानस का अपमान व हिंदू समाज का अपमान करते रहे है. वोट की खातिर आतंकवादियों को छोड़ते है. दंगाईयों को माफ करते है. इनका चरित्र है कि जब इनकी सरकार आएगी तो कांवरियों के ऊपर हमला होगा. इनकी सरकार आएगी तो मंदिरों से लाउडस्पीकर उतरवाए जाएंगें. जाति के नाम पर जिनका जन्म हुआ है राजनीति में, आज जाति ही एकमात्र सहारा रह गया है. जब सत्ता में आए माफियावाद को बढ़ावा देने के अलावा कुछ किया नहीं. रामचरित से राजनीति को जोड़ना ठीक नहीं है. किसी की हैसियत है कि कुरान या बाइबिल की आयत से समाज को जोड़ सकता है. कहा कि कुरान और बाइबिल का अपमान करने वालो को जो दंड मिलता है. ऐसा न हो कि आने वाले समय में वह दंड कहीं हिन्दू समाज के द्वारा न शुरू हो जाए.

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