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क्यों उत्तराखंड के लिए कभी 'नेताजी' नहीं बन पाए मुलायम सिंह यादव? पढ़ें किस्सा

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Published : Oct 10, 2022, 7:58 PM IST

Updated : Oct 10, 2022, 10:58 PM IST

देश की राजनीति में अपनी खास पहचान रखने वाले जननेता स्वर्गीय मुलायम सिंह भले ही सत्ता के सर्वोच्च पदों तक खुद के बल पर पहुंच गए हों, लेकिन उत्तराखंड में उन्हें एक खलनायक के रूप में ही देखा गया. यह तब है जब उत्तराखंड को एक अलग राज्य के रूप में स्थापित करने के मुलायम सिंह यादव पक्षधर रहे और राजनीतिक रूप से उनकी तरफ से इस पर महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए. जानिए वह बातें जिनकी वजह से मुलायम के लिए उत्तराखंड वासियों का दिल कठोर रहा...

Mulayam Singh Yadav
Mulayam Singh Yadav

देहरादून: उत्तराखंड को अलग राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए कभी उत्तर प्रदेश की विधानसभा में प्रस्ताव लाने वाले मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब इस दुनिया में नहीं रहे. मुलायम सिंह देश के उन नेताओं में शुमार रहे जिन्होंने कांग्रेस के एकछत्र राज को चुनौती देते हुए न केवल विरोध के बिगुल फूंके बल्कि अपने बल पर उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य में सत्ता को हासिल भी किया. एक समाजवादी नेता और धरतीपुत्र के रूप में जाने जाने वाले मुलायम सिंह यादव का जिक्र उत्तराखंड में जैसे ही आता है, वैसे ही उनकी ख्याति और विभिन्न योग दानों को नकारात्मक रूप से देखा जाने लगता है.

जी हां, उत्तराखंड के लिए यह जननेता किसी खलनायक से कम नहीं था. ऐसा नहीं था कि मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश में शामिल रहते हुए उत्तराखंड के पहाड़ी जनपद के लिए कोई बेहद गलत नीति या फैसले लिए हों, लेकिन इसके बावजूद कुछ घटनाक्रम ऐसे हुए जिसने मुलायम सिंह को उत्तराखंड वासियों की जुबान पर एक विलेन के रूप में स्थापित कर दिया. यही नहीं इसका असर मुलायम सिंह की पार्टी के उत्तराखंड में रसातल पर जाने के रूप में भी दिखाई दिया.

क्यों उत्तराखंड के लिए कभी 'नेताजी' नहीं बन पाए मुलायम सिंह यादव

उत्तराखंड राज्य आंदोलन को कुचलने की कोशिश: मुलायम सिंह यादव सरकार के दौरान उत्तराखंड राज्य आंदोलन में कई घटनाएं हुईं, जिसमें बड़ी संख्या में उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए. इसके बावजूद मुलायम सरकार का इन घटनाओं पर संवेदनशीलता दिखाने की बजाय आंदोलन को कुचलने की कोशिश करते रहना, मुलायम सिंह की छवि को खराब करता रहा. आंदोलनकारी कहते हैं कि इस दौरान मुलायम सिंह की पार्टी के नेताओं ने उत्तराखंड से लखनऊ में गलत फीडबैक दिया और इसके कारण मुलायम को लेकर उत्तराखंड की जनता का आक्रोश बढ़ता चला गया.
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जब खलनायक बने मुलायम!: मुजफ्फरनगर गोलीकांड को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका डालने वाले राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान कहते हैं कि आज भी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और लंबे समय से इस पर कोई फैसला नहीं हुआ, जबकि जिस तरह मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए आंदोलन को लेकर अपना रवैया जाहिर किया, उसने उन्हें उत्तराखंड में खलनायक की संज्ञा दे दी.

Mulayam Singh Yadav
उत्तराखंड के लिए खलनायक बने मुलायम सिंह!

महिलाओं में भी रोष: यूं तो मसूरी गोलीकांड से लेकर खटीमा और रामपुर तिराहा गोलीकांड तक पर लोगों का आक्रोश बेहद याद आ रहा, लेकिन मुजफ्फरनगर कांड में महिलाओं के साथ हुई दुराचार की घटनाओं ने सपा सरकार के खिलाफ महिलाओं को भी कर दिया. राज्य आंदोलनकारी महिला कहती है कि क्योंकि मुलायम सिंह यादव इस दुनिया में नहीं है, इसलिए उन्हें भी श्रद्धांजलि देना चाहती हैं. लेकिन एक महिला होने के नाते वह वह दिन कभी नहीं भूल सकतीं, जब उत्तराखंड की महिलाओं के साथ उत्तर प्रदेश की पुलिस ने गलत किया और इसकी माफी मुलायम सिंह को कभी नहीं मिल सकती.

मुलायम ने बर्बरता पर नहीं मांगी माफी: उत्तराखंड में अलग राज्य की मांग आरक्षण के आंदोलन से शुरू हुई. यह आंदोलन धीरे-धीरे पृथक राज्य के लिए आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गया. राज्य आंदोलनकारी जगमोहन नेगी कहते हैं कि भले ही मुलायम सिंह ने पहली बार अलग राज्य के लिए प्रस्ताव विधानसभा में लाया हो. लेकिन उन्होंने राज्य स्थापना के लिए हुए आंदोलनों में जो बर्बरता हुई. उसके लिए सार्वजनिक रूप से कभी माफी नहीं मांगी. यही नहीं आरक्षण के मुद्दे पर भी आंदोलन करने के दौरान मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री होने के नाते कोई बात नहीं सुनी.

मुलायम सिंह सरकार में ही उत्तराखंड के लिए 8 जिलों वाले अलग राज्य को लेकर कौशिक समिति का गठन हुआ. इसकी राजधानी भी तैयार किए जाने पर फैसला हुआ. लेकिन इस सबके बावजूद मुलायम सिंह अगर तमाम घटनाओं के लिए माफी मांग लेते तो शायद आज लोगों के दिलों में मुलायम को लेकर इतना आक्रोश ना होता.

Last Updated :Oct 10, 2022, 10:58 PM IST
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