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सीकर : 20 किमी दूरी में 1000 साल पहले बनाए गए थे भगवान शिव के 5 बड़े मंदिर

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Published : Feb 20, 2020, 11:53 PM IST

सीकर शिव मंदिर,  Sikar Shiva Temple
भगवान शिव के 5 बड़े मंदिर

भक्ति, श्रद्धा, आस्था और आनंद की अनूभूति देने वाला महाशिवरात्रि पर्व शुक्रवार को है. यूं तो देशभर में भगवान शिव के कई बड़े और धार्मिक महत्व के मंदिर हैं. लेकिन नीमकाथाना में 1000 साल पहले 20 किमी दूरी में बने 5 बड़े शिव मंदिर अपनी अनूठी पहचान रखते हैं. पढ़िए ये स्पेशल स्टोरी...

नीमकाथाना (सीकर). भक्ति, श्रद्धा, आस्था और आनंद की अनूभूति देने वाला महाशिवरात्रि पर्व शुक्रवार को है. यूं तो देशभर में भगवान शिव के कई बड़े और धार्मिक महत्व के मंदिर हैं. लेकिन नीमकाथाना में 1000 साल पहले 20 किमी दूरी में बने 5 बड़े शिव मंदिर अपनी अनूठी पहचान रखते हैं. बालेश्वर, टपकेश्वर (अचलेश्वर), गणेश्वर, भगेश्वर और थानेश्वर सभी की दूरी एक-दूसरे से 5 से 10 किमी है. अद्भुत और प्राचीन शिवतीर्थ स्थलों के प्रति लोगों में भी अगाध श्रद्धा है. शिवरात्रि को इन तीर्थ स्थलों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

भगवान शिव के 5 बड़े मंदिर

राजकीय संस्कृत कॉलेज के ज्योतिषाचार्य प्रो. कौशलदत्त शर्मा ने बताते हैं, कि धार्मिक आस्था के प्राचीन मंदिरों में स्वयंभू शिवलिंग हैं. शिवरात्रि को टपकेश्वर की गुफा में शिवलिंग पर पहाड़ी से पानी टपकता है. बालेश्वर में स्वयंभू शिवलिंग की 40 फीट तक खुदाई की गई, लेकिन वह अनंत हैं.

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भगेश्वर में शिव नृसिंह स्वरूप में हैं. टपकेश्वर (अचलेश्वर) शिव मंदिर पहाड़ी की एक गुफा में स्थित है. यहां शिव के रूद्रस्वरूप महाकाल की पूजा होती है. मंदिर में ब्रह्मा, शिव और विष्णु की शेषनाम स्वरूप की प्रतिमा है. यहां त्रिगुणात्मक शिव की पूजा होती है. टपकेश्वर के जंगल में प्राचीनकाल मे ऋषि तपस्या करते थे. पहाड़ी की गुफा में मंदिर तभी से है. महाराजा अचलेश्वर ने शिव मंदिर का पुर्ननिर्माण कराया था.

बालेश्वर मंदिर

नीमकाथाना से 15 किमी की दूरी पर पूर्व दिशा में टोडा रोड पर स्थित है, प्राचीन बालेश्वर शिवमंदिर. करीब 40 फीट खुदाई की गई, लेकिन शिवलिंग अनंत हैं. मंदिर के पास ही गूलर के पेड़ की जड़ में पवित्र जलकुंड हैं. इसी के जल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. करीब एक हजार साल पहले जंगल में शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए थे. शिवरात्रि को मंदिर में चतुष्प्रहर पूजा होती है. मंदिर में शिव परिवार की प्रतिमा लगी है.

टपकेश्वर मंदिर

नीमकाथाना से 18 किमी दूरी पर टोडा के पास पहाड़ियों से घिरे जंगल के बीच स्थित है, प्राचीन टपकेश्वर शिव मंदिर. पहाड़ी की एक गुफा में प्राचीन समय में ऋषि तपस्या करते थ. राजा अचलेश्वर ने मंदिर का पुर्ननिर्माण कराया था. यहां भगवान शिव के रूद्रस्वरूप महाकाल की पूजा होती है. मंदिर में शिवलिंग के साथ ब्रह्मा और शेषनाग स्वरूप भगवान विष्णु की प्रतिमा है. शिवरात्रि को चतुष्प्रहर पूजा होती है. महंत योगेश्वरनाथ महाराज के शिष्य धीरजनाथ ने बताया शिवरात्रि को आस-पास के लोग दीपक लेकर गुफा में पूजा करने आते हैं.

गणेश्वर मंदिर

नीमकाथाना से 16 किमी की दूरी पर पहाड़ी की तलहटी में स्थित है, गणेश्वर शिवधाम. प्राचीनकाल में यह क्षेत्र निबार्क संप्रदाय के ऋषियों की तपस्थली रहा है. मंदिर के सामने 24 घंटे बहने वाला गर्म व ठंडे जल का स्त्रोत हैं. जलकुंड में स्नान के बाद खड़े होने पर भगवान शिव के दर्शन होते हैं. अनवरत बहने वाले गर्म जलस्त्रोत से भगवान शिव का अभिषेक होता है.

भगेश्वर मंदिर

नीमकाथाना से 17 किमी दूरी पर स्थित है, भगेश्वर प्राचीन शिवतीर्थ धाम. शिव यहां नृसिंह स्वरूप में हैं. शिवलिंग और शिव परिवार का प्रतिदिन श्रृंगार होता है. मंदिर का कई बार पुर्ननिर्माण हुआ. शिवरात्रि को चतुष्प्रहर पूजा होती है.

थानेश्वर मंदिर

नीमकाथाना से 10 किमी दूर गांवडी के पास जंगल में स्थित है, थानेश्वर शिव मंदिर. प्राचीन काल से ऋषियों की तपस्थली रहा है, थानेश्वर शिवधाम. शिवरात्रि को कई धार्मिक अनुष्ठान होते हैं.

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