कोटा. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा को कोटा के एडीजे कोर्ट से राहत मिली है. न्यायालय ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे,लेकिन कोटा शहर के महावीर नगर थाना पुलिस की तरफ से पेश की गई निगरानी याचिका को भी न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है. ऐसे में एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी निरस्त हो गया है.
अपर लोक अभियोजक अख्तर खान अकेला ने बताया कि रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर ने सुखजिंदर सिंह रंधावा के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित टिप्पणी करने का आरोप लगाया था. इस मामले में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश क्रम संख्या 5 में शुक्रवार को सुनवाई थी. जिसमें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट क्रम संख्या 6 के आदेश के खिलाफ महावीर नगर पुलिस और सुखजिंदर रंधावा की ओर से कोर्ट में निगरानी याचिका को स्वीकार किया. ऐसे में अधीनस्थ न्यायालय के आदेश विधि सम्मत नहीं होने से उसे निरस्त किया गया है.वहीं दूसरी तरफ मदन दिलावर के वकील मनोज पुरी का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
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मार्च से शुरू हुआ था पूरा मामला: विधायक मदन दिलावर ने 18 मार्च को महावीर नगर थाने में एक परिवाद पेश किया था, जिसमें ये बताया था कि सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जयपुर में 13 मार्च को आयोजित हुई सभा में पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर टिप्पणी की थी. दिलावर ने उनके खिलाफ हत्या की साजिश और लोगों को भड़काने के संबंध में मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. बता दें कि मदन दिलावर ने धरना प्रदर्शन भी किया था. इसके बाद एसपी को ज्ञापन दिया और मुकदमा दर्ज नहीं होने पर उन्होंने न्यायालय में परिवाद के जरिए 3 मई को कार्रवाई आगे बढ़ाई थी.
एफआईआर दर्ज करने के निर्देश से मचा था हड़कंप: मदन दिलावर के एडवोकेट मनोज पुरी ने बताया कि एसीजेएम कोर्ट संख्या 6 ने मामले में 10 मई को कोटा शहर एसपी से रिपोर्ट न्यायालय ने मांगी थी. उसके बाद न्यायालय ने 15 मई को सुखजिंदर सिंह रंधावा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश से हड़कंप मच गया, इसके बाद महावीर नगर थाना पुलिस, राज्य सरकार और सुखजिंदर सिंह रंधावा की तरफ से निगरानी याचिका जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश की गई थी. जहां से डीजे कोर्ट ने इसे एडीजे कोर्ट संख्या 5 को सुनवाई के लिए अधिकृत किया था. इसके बाद एडीजे कोर्ट संख्या 5 में इस मामले की सुनवाई लगातार चल रही थी.