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वोट पर्व सम्पन्न : वल्लभनगर और धरियावद में कुल 70.41 फीसदी मतदान..किसके हाथ लगेगी बाजी, 2 नवंबर को होगा खुलासा

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Published : Oct 30, 2021, 9:37 PM IST

वल्लभनगर और धरियावद में उपचुनाव
वल्लभनगर और धरियावद में उपचुनाव

आज राजस्थान की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान हुआ. वल्लभनगर में 71.45 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया, वहीं धरियावद में 69.38 प्रतिशत मतदान हुआ. दोनों जगह कुल 70.41 प्रतिशत मतदान हुआ. उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद हो गया है. परिणाम 2 नवंबर को आएगा.

जयपुर. प्रतापगढ़ जिले की धरियावद विधानसभा सीट और उदयपुर जिले की वल्लभनगर विधानसभा सीट के लिए कुल 70.41 प्रतिशत मतदान हुआ. दोनों ही सीटों पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है. हालांकि जनता सेना, आरएलपी और निर्दलीय भी इन सीटों पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं.

धरियावद में 69.38 प्रतिशत वोटिंग हुई तो वहीं वल्लभनगर में 71.45 प्रतिशत वोट पड़े. इन सीटों पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 2 नवंबर को परिणाम के साथ होगा. धरियावद और वल्लभनगर में सुबह 7 बजे से आरंभ हुआ मतदान शाम 6 बजे तक चला. वल्लभनगर में कांग्रेस से प्रीति शक्तावत, बीजेपी से हिम्मत सिंह झाला, आरएलपी से उदयलाल डांगी और जनता सेना से रणधीर सिंह भींडर प्रत्याशी हैं. वहीं धरियावद में बीजेपी से खेतसिंह मीणा और कांग्रेस से नगराज मीणा उम्मीदवार हैं.

वल्लभनगर विधानसभा सीट पर रोचक मुकाबला

उदयपुर की वल्लभनगर सीट पर बेहद दिलचस्प मुकाबला है. यहां भाजपा, कांग्रेस और जनता सेना के अलावा आरएलपी भी मैदान में है. वल्लभनगर में कुल 9 उम्मीदवार मैदान में हैं. हालांकि मुख्य मुकाबला 4 प्रत्याशियों के बीच है.

वल्लभनगर विधानसभा सीट

कुल मतदाता2 लाख 53 हजार 831
पुरुष मतदाता1 लाख 29 हजार 91
महिला मतदाता1 लाख 24 हजार 740
पोलिंग बूथ310
संवेदनशील बूथ55
मतदान प्रतिशत रहा71.45

वल्लभनगर में कांग्रेस का पलड़ा भारी

वल्लभनगर कांग्रेस, भाजपा, जनता सेना और आरएलपी के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला है. यह सीट कांग्रेस के पायलट कैंप के माने जाने वाले विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद खाली हुई थी. कांग्रेस ने गजेंद्र की पत्नी प्रीति शक्तावत को टिकट दिया. प्रीति शक्तावत को सिम्पैथी वोट मिलने की भारी गुंजाइश के कारण कांग्रेस इस सीट पर जीत तय मान रही है. सीएम गहलोत और सचिन पायलट दोनों इस सीट पर प्रचार कर चुके हैं.

क्या भाजपा के झाला दे पाएंगे टक्कर ?

भाजपा ने प्रीति शक्तावत के सामने युवा नेता हिम्मत सिंह झाला को मैदान में उतारा है. झाला के टिकट को लेकर भी बवाल मचा. इस सीट पर गुलाबचंद कटारिया के मनचाहे उम्मीदवार को टिकट नहीं देकर पार्टी ने झाला को टिकट दिया. पहले यहां जनता सेना के संयोजक रणधीर सिंह भींडर की पत्नी को टिकट दिये जाने की बात थी, लेकिन कटारिया अड़ गए.

आरएलपी से उदयलाल डांगी बिगाड़ेंगे किसका समीकरण ?

भाजपा के बागी उदयलाल डांगी यहां से टिकट चाह रहे थे. पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो बागी होकर आरएलपी से जुड़ गए. हनुमान बेनीवाल ने उन पर दांव चला. हालांकि उनकी जीत की राह मुश्किल है. लेकिन डांगी समीकरण जरूर बिगाड़ सकते हैं. माना जा रहा है कि डांगी की मौजूदगी भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी.

दो परिवार आमने-सामने

वल्लभनगर में शक्तावत और भींडर परिवार में सियासी मुकाबला होता आया है. इस बार गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत मैदान में हैं तो जनता सेना के रणधीर सिंह भींडर भी चुनौती देने के लिए खड़े है. यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भींडर की वसुंधरा से नजदीकी और गुलाबचंद कटारिया से दुश्मनी रही है. इस जंग में भाजपा के बागी आरएलपी प्रत्याशी उदयलाल और भाजपा प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला कहां स्टैंड करेंगे ये देखने वाली बात होगी. कुल मिलाकर वल्लभनगर की चुनावी महाभारत रोचक होने वाली है.

वल्लभनगर के मुद्दे

वल्लभनगर में भाजपा ने रोजगार और पेयजल को मुद्दा बनाया है. विकास के नजरिये से भी यहा इलाका पिछड़ा है. जबकि कांग्रेस ने लगातार केंद्र की मोदी सरकार को महंगाई की जिम्मेदार और किसान विरोधी करार देकर मतदाताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश की. वल्लभनगर में भाजपा लंबे समय से जीतने में असफल रही है.

प्रत्याशियों ने डाला वोट

कांग्रेस प्रत्याशी प्रीति शक्तावत ने भींडर के इंग्लिश मीडिय स्कूल के पोलिंग बूथ पर दोनों बेटियों के साथ मतदान किया. भाजपा के हिम्मत सिंह झाला ने वाजमिया में वोट कास्ट किया. आरएलपी प्रत्याशी उदय लाल डांगी ने नांदवेल के पोलिंग बूथ पर मतदान किया. जनता सेना के प्रत्याशी रणधीर सिंह भींडर ने पत्नी दीपेंद्र के साथ भींडर के इंग्लिश स्कूल में वोट डाला.

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धरियावद विधानसभा सीट पर मुकाबला

प्रतापगढ़ जिले की धरियावद विधानसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित सीट है. भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा के निधन के बाद 10 महीने से यह सीट खाली है. धरियावद से भाजपा और कांग्रेस के अलावा 7 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. इस सीट पर भाजपा कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला होगा, लेकिन बीटीपी और निर्दलीय प्रत्याशी भी पूरा जोर लगा रहे हैं.

धरियावद विधानसभा सीट

कुल मतदाता2 लाख 57 हजार 624
पुरुष मतदाता1 लाख 29 हजार 996
महिला मतदाता1 लाख 27 हजार 624
मतदान केंद्र328
संवेदनशील मतदान केंद्र64
मतदान प्रतिशत रहा69.38

धरियावद में भाजपा के खेत सिंह दिखाएंगे कमाल ?

भाजपा विधायक गौतमलाल मीणा के बेटे कन्हैया लाल मीणा को पार्टी की तरफ से टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन पार्टी ने कन्हैया लाल को टिकट नहीं दिया. हालांकि कन्हैया लाल को संगठन में जिम्मेदारी देकर मना लिया गया, लेकिन उनके समर्थकों में टिकट न मिलने का मलाल है. टिकट का एलान हुआ तो कन्हैया लाल के निवास लड़ासिया में उनके समर्थक जुट गए थे. मुख्यमंत्री गहलोत भी गौतमलाल मीणा के घर श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे जिस पार राजनीति गर्मा गई थी. भाजपा ने खेत सिंह मीणा पर दांव खेला है. खेत सिंह प्रतापगढ़ अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला प्रमुख हैं.

कांग्रेस के नगराज में कितना दम ?

कांग्रेस ने धरियावद से नगराज मीणा को मैदान में उतारा है. नगराज इस सीट पर 3 बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि नगराज को सिम्पैथी वोट मिलेगा. राज्य में कांग्रेस की सरकार होने का भी फायदा मिलेगा. साथ ही भाजपा अगर कन्हैया लाल को टिकट देती तो शायद सिम्पैथी वोट कन्हैया लाल को मिलता. अब कांग्रेस का दावा है कि नगराज यह सीट निकाल लेंगे. कांग्रेस ने धरियावद में प्रचार के दौरान पूरी ताकत झौंक दी. खुद मुख्यमंत्री ने यहां ताबड़तोड़ सभाएं की थी.

गौतम लाल और नगराज में कई बार हुआ मुकाबला

कांग्रेस ने नगराज मीणा को इस सीट पर प्रत्याशी बनाया है. नगराज हालांकि तीन बार हार चुके हैं, लेकिन नगराज का मुकाबला भाजपा के गौतम लाल मीणा से रहा था. 1998 में पहली बार नगराज यहां से विधायक बने थे. 2003 में भाजपा के गौतम लाल ने नगराज को हरा दिया. 2008 में नगराज ने गौतम लाल से यह सीट छीन ली. लेकिन इसके बाद 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में गौतमलाल लगातार जीते और नगराज हार गए.

जीत-हार का क्या असर पड़ेगा ?

वर्तमान विधानसभा में कांग्रेस की 106 और बीजेपी की 71 सीटें हैं. धरियावद और वल्लभनगर की सीटों पर जीत-हार का सत्ता पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. लेकिन यह सरकार और विपक्ष का लिटमस टेस्ट जरूर साबित होगा. जिस तरह अलवर और धौलपुर के पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस ने दबदबा कायम किया है, उसी तरह इन दोनों सीटों पर कांग्रेस जीतती है तो 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उसका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा.

इसके अलावा अगर भाजपा दोनों सीटों पर जीतती है तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कद बढ़ेगा. हालांकि एक-एक पर मुकाबला बराबर भी रह सकता है. इसके साथ ही यहां जनता सेना, बीटीपी और आरएलपी के प्रदर्शन पर भी सभी की निगाहें रहेंगी. फिलहाल परिणाम के लिए 2 नवंबर तक इंतजार करना होगा.

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