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SPECIAL : रोजड़ी गांव में 2 महीने में हुई थीं 25 से ज्यादा मौतें...जानिये कैसे ग्रामीणों ने लगाया कोरोना पर अंकुश

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Published : May 28, 2021, 6:40 PM IST

Rajasthan Rural Area Coronavirus
कोरोना जागरूकता जरूरी

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने गांवों में कहर बरपाया है. जागरूकता का अभाव और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के चलते ग्रामीण बड़ी तादाद में कोरोना का शिकार बने. राजधानी जयपुर से 70 किमी दूर रोजड़ी गांव में दो महीने में 25 मौतों ने सबको हिला दिया. गांव वालों की जागरूकता से अब यहां हालात सामान्य होने लगे हैं.

रोजड़ी (जयपुर. अगर जागरूकता न हो तो कोरोना वायरस के घातक वार से बचना मुश्किल है. जयपुर के रोजड़ी गांव में लगातार हो रही मौतों ने सभी को डरा दिया था. लेकिन जागरुकता के कारण इलाज घर-घर पहुंचा और लोग वायरस के कुचक्र से बाहर निकले.

जागरुकता ने कोरोना पर लगाया अंकुश

वक्त रहते गांव स्तर पर कमेटियां बनाकर गांव के लोगों को ही कोरोना प्रबंधन की जिम्मेदारी देने से हालात सामान्य होने की तरफ बढ़ रहे हैं. राजधानी जयपुर से करीब 70 किमी दूर रोजड़ी गांव ने साबित कर दिया है कि कोरोना को हराने में गांव वाले भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

गांव में जांच की सुविधा नहीं

रोजड़ी के ग्रामीण बताते हैं कि महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर से यह गांव भी अछूता नहीं रहा. करीब 7 हजार लोगों की आबादी वाले इस गांव में बीते दो महीने में करीब 25 लोगों की मौत हुई है. जांच नहीं होने के कारण ये भी पता नहीं लग पाया कि कितने मौतें वायरस से हुई. गांव में घर-घर में खांसी, बुखार और जुकाम के मरीज बढ़ने लगे थे. डर के कारण लोग जांच से कतरा रहे थे. गांव में एक उप स्वास्थ्य केंद्र है. जहां एक एएनएम की ड्यूटी है. लेकिन इस केंद्र पर कोविड जांच की सुविधा नहीं है. जांच के लिए आस-पास के कस्बों की सीएचसी पर जाना पड़ता है. वहां जाने के लिए कोई साधन भी मुहैया नहीं हैं. ऐसे में लोग दूसरे गांव-कस्बे जाकर जांच से बच रहे थे.

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स्कूल को बना दिया क्वारंटीन सेंटर

मेरा गांव मेरी जिम्मेदारी अभियान

गांवों में जब हालात भयावह हुए तो मेरा गांव मेरी जिम्मेदारी अभियान शुरू किया गया. जिसमें गांव के जन प्रतिनिधि और चिकित्साकर्मियों के साथ ग्रामीणों की कमेटियां बनी. इन कमेटियों ने लोगों को जांच के लिए प्रेरित किया. घर-घर जाकर जांच होने लगी. कोई कोरोना संक्रमित पाया जाता तो उसे घर पर ही आइसोलेट कर दवा का किट मुहैया करवाया गया.

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हर घर का हुआ सर्वे

इसके साथ ही चिकित्साकर्मी और आंगनबाड़ी कर्मियों ने गांव के हर घर में जाकर सर्वे किया. आईएलआई के मरीजों को चिह्नित किया. उपचार किट बांटे. गांव में करीब 250 लोगों को चिह्नित कर उनका घर पर ही उपचार किया गया है. दूसरे गांव जाकर जांच की समस्या को सरपंच ने दूर कर दिया. उन्होंने अपने स्तर पर लोगों को साधन मुहैया कराए ताकि वे सीएचसी जाकर जांच करा सकें.

गांव पंचायत का जागरुकता अभियान

ग्राम पंचायत ने कोरोना जागरुकता अभियान चलाया. कोरोना गाइड लाइन के पालन की अपील की. ग्रामीणों को मास्क, सेनेटाइजर मुहैया करवाए. सरपंच महेंद्र कुमावत ने पूरे गांव को सेनेटाइज करवाने की मुहिम छेड़ी. इस बीच रोजड़ी गांव के स्कूल को आइसोलेशन सेंटर बना दिया गया. जहां संक्रमित मरीजों को रखने की व्यवस्था कर दी. अधिकतर मरीजों को घर पर ही इलाज दिया जा रहा है. कई परिवार ऐसे थे जिनके सामने भोजन का संकट खड़ा था, उन्हें राशन सामग्री किट मुहैया कराई गई.

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गांव के घर-घर में सैनेटाइजेशन

इन्हीं सब कोशिशों को नतीजा है कि रोजड़ी गांव में कोरोना संक्रमण पर अंकुश लगने लगा है. गांव में अभी भी 10 फीसदी लोग संक्रमित हैं. इन लोगों का घर पर ही इलाज चल रहा है. वैक्सीन लगवाने को लेकर भी ग्रामीणों को जागरुक किया जा रहा है. चिकित्सा विभाग और ग्राम पंचायत की साझा कोशिशों से यहां तीन दिन तक टीकाकरण के लिए शिविर लगा. जिसमें 45 साल से अधिक आयु के करीब 600 ग्रामीणों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. अब 18 साल से ऊपर के लोगों के टीकाकरण के लिए शिविर लगाने के लिए भी कोशिशें की जा रही हैं.

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