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Cyber Crime News: साइबर ठगों ने 1 वर्ष में राजस्थान की जनता को 66 करोड़ रुपए का लगाया चूना, 25 हजार से अधिक शिकायतें मिलीं

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Published : Feb 4, 2022, 7:03 PM IST

Cyber Crime in Rajasthan
साइबर ठगों ने लगाया चूना

राजस्थान में साइबर ठगी (Cyber Crime in Rajasthan) के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. साइबर ठग नए-नए तरीके अपनाकर लोगों की गाढ़ी कमाई को लूट रहे हैं. पिछले एक साल में साइबर ठगों ने 66 करोड़ रुपए (cyber fraud of 66 crores in one year in Rajasthan) का आमजन से ठगे हैं.

जयपुर. राजस्थान में साइबर ठगी के प्रकरण (Cyber Crime in Rajasthan) काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. साइबर ठग लगातार नए नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगी का शिकार बनाने में लगे हुए हैं. साइबर ठगी के लगातार बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए प्रदेश के 10 जिलों में साइबर थाने खोले जाने को लेकर विचार किया जा रहा है. आगामी बजट में सरकार प्रदेश में 10 नए साइबर थानों की सौगात भी दे सकती है.

ठगी के कई प्रकरण ऐसे भी होते हैं, जिसमें ठगा गया अमाउंट काफी कम होता है. जिसके चलते उसकी शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं करवाई जाती है. पुलिस के पास केवल उन्हीं प्रकरणों की शिकायत आती है जिसमें ठगा गया अमाउंट हजार से लेकर लाखों रुपए में होता है. साइबर ठगी के लगातार बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए ही हाल ही में अलवर जिले में भी साइबर थाने की शुरुआत की गई है. अलवर के मेवात क्षेत्र में साइबर ठग काफी अधिक सक्रिय हो चले हैं जिन्होंने ठगी के मामलों में जामताड़ा के ठगों को भी काफी पीछे छोड़ दिया है.

साइबर ठगों ने लगाया चूना

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साइबर ठगों 1 वर्ष में ठग लिए 66 करोड़ रुपएः राजस्थान की जनसंख्या तकरीबन 7.95 करोड़ है. यदि बात करें साइबर ठगों की ओर से की जाने वाली ठगी की तो गत 1 वर्ष में साइबर ठग राजस्थान में हजारों लोगों को अपना शिकार बनाते हुए 66 करोड़ रुपए (66 crores fraud in one year in Rajasthan) से अधिक की ठगी कर चुके हैं. एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 पुलिस को साइबर ठगी की 25,317 शिकायतें प्राप्त हुई हैं.

राजस्थान में प्रतिदिन औसतन 70 साइबर ठगी की वारदातें घटित होती हैं. साइबर ठगी का शिकार होने पर जिस व्यक्ति ने समय रहते पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. उसकी शिकायत पर त्वरित एक्शन लेते हुए ट्रांजैक्शन को फ्रीज करवा कर ठगों के खाते में जाने से राशि को रोका गया. पुलिस की ओर से ठगों के खाते में जाने से पहले ही ट्रांजेक्शन को फ्रीज करवाकर 6 करोड़ 67 लाख रुपए की राशि वापस पीड़ित को लौटाई गई है. ठगी गई राशि के सामने रिकवर की गई राशि काफी कम है.

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टोल फ्री नंबर 155260 पर प्राप्त होती हैं शिकायतेंः एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के अभय कमांड सेंटर में साइबर फाइनेंसियल फ्रॉड प्रिवेंशन यूनिट की हेल्पलाइन 155260 का सेंट्रलाइज्ड सेंटर स्थापित है. जहां पर पूरे प्रदेश में लोगों के साथ होने वाली साइबर ठगी और फाइनेंसियल फ्रॉड की शिकायतें प्राप्त होती है. यह हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे काम करता है और प्रदेश से प्राप्त होने वाली शिकायतों को सुनने के लिए 24 पुलिस कर्मियों को शिफ्ट में लगाया जाता है.

ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति बिना वक्त गवाएं जितना जल्द हेल्पलाइन पर अपनी शिकायत दर्ज करवाता है उतना ही जल्द उसकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए ठगों के खातों को फ्रीज करवा कर ट्रांजेक्शन को रुकवा कर राशि रिकवर किया जाता है. उसके बाद उस पीड़ित व्यक्ति की शिकायत को संबंधित जिला पुलिस को आगे के अनुसंधान के लिए फॉरवर्ड कर दिया जाता है. पीड़ित व्यक्ति के साथ ठगी कहां से की गई और किन लोगों की ओर से की गई इसका अनुसंधान संबंधित जिला पुलिस पूरा करती है.

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साइबर ठगी के प्रकरणों में प्राय देखा जाता है कि ठगी का शिकार होने के बाद व्यक्ति पहले अपने स्तर पर मामले की पड़ताल में जुट जाता है और बैंक जाकर खाते को फ्रीज करवाने व अन्य चीजों में वक्त लगा देता है. जिसके चलते ठगों को काफी समय मिल जाता है और वह ठगी गई राशि को एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं. जब पीड़ित पुलिस में शिकायत दर्ज करवात है जब तक काफी देर हो चुकी होती है. उसकी ठगी गई राशि को रिकवर कर पाना नामुमकिन हो जाता है. कई बार पीड़ित अपने मोबाइल नंबर को बैंक खाते से लिंक करवाने में लापरवाही करते हैं या फिर गलत नंबर बैंक खाते से लिंक करवा कर रखते हैं. जिसके चलते उन्हें खाते से होने वाले ट्रांजेक्शन की जानकारी बैंक जाने पर ही मिल पाती है और ऐसे में भी ठगी गई राशि को रिकवर कर पाना नामुमकिन होता है.

प्रदेश में अब तक महज 3 साइबर थाने अस्तित्व मेंः प्रदेश में वर्तमान में केवल 3 ही साइबर थाने अस्तित्व में है. जिसमें सबसे बड़ा साइबर थाना एसओजी के अंडर में कार्यरत है. जहां पर 2 डीएसपी सहित 30 पुलिसकर्मियों का स्टाफ कार्यरत है. एसओजी साइबर थाने में कार्यरत प्रत्येक पुलिसकर्मी साइबर ठगी के प्रकरणों से निपटने में पूरी तरह से निपुण है और विशेष ट्रेनिंग प्राप्त किए हुए है. हालांकि एसओजी साइबर थाने में साइबर ठगी के वही प्रकरण दर्ज किए जाते हैं जिसमें ठगी गई राशि 10 लाख रुपए से अधिक की होती है. जिन प्रकरणों को सुलझाने में काफी जटिलता सामने आती है.

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साइबर ठगी के ऐसे प्रकरण जिन्हें जिला पुलिस की विशेष साइबर सेल नहीं सुलझा पाती उन्हें पुलिस मुख्यालय की ओर से एसओजी के साइबर थाने को ट्रांसफर किया जाता है. प्रदेश का दूसरा साइबर थाना जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में कार्यरत है, जहां पर 27 पुलिसकर्मियों का स्टाफ तैनात है. जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत आने वाले तमाम थानों में आने वाले जटिल साइबर प्रकरणों को सुलझाने का काम साइबर थाने की ओर से किया जाता है. वहीं अलवर के मेवात में पनप रही साइबर ठगी की अनेक गैंग पर लगाम लगाने के लिए हाल ही में अलवर में भी साइबर थाने की शुरुआत की गई है.

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जहां पर तकरीबन 30 पुलिसकर्मियों का स्टाफ तैनात किया गया है और सभी पुलिसकर्मियों को विशेष टेक्निकल ट्रेनिंग प्रदान की गई है. इसके अलावा पुलिस मुख्यालय में भी साइबर एक्सपर्ट की एक टीम लगातार काम करती है, जिनका काम सुपरविजन का रहता है. जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में भी साइबर एक्सपर्ट की एक टीम लगातार तैनात रहती है जिनके सुपर विजन में साइबर थाना और साइबर सेल ठगी के प्रकरणों का अनुसंधान करते हैं. इसके अलावा राजस्थान के प्रत्येक जिले में साइबर सेल कार्यरत है. प्रत्येक साइबर सेल में तकरीबन 10 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं, जिन्हें साइबर ठगी के प्रकरणों से निपटने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है.

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1 वर्ष में दर्ज की गई 1452 एफआईआरः वर्ष 2021 में 1 जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक प्रदेश में साइबर ठगी के विभिन्न प्रकरणों को लेकर 1452 एफआईआर दर्ज की गई. जिस में सर्वाधिक प्रकरण जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में दर्ज किए गए जिनकी संख्या 218 रही. जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में साइबर ठगी की 155 एफआईआर दर्ज की गई. इसी प्रकार से कोटा में साइबर ठगी की 35, जीआरपी अजमेर में 2, जोधपुर ग्रामीण में 14, अजमेर में 98, दौसा में 58, जयपुर ग्रामीण में 56, झुंझुनू में 25, सवाई माधोपुर में 37, सीकर में 166, अलवर में 86, बांसवाड़ा में 9, बारां में 22, बाड़मेर में 69, भरतपुर में 82 एफआईआर दर्ज की गई.

इसी प्रकार भीलवाड़ा में 46, भिवाड़ी में 28, बीकानेर में 12, बूंदी में 4, चित्तौड़गढ़ में 5, धौलपुर में 4, डूंगरपुर में 1, हनुमानगढ़ में 6, जैसलमेर में 7, जालौर में 6, झालावाड़ में 12, करौली में 34, नागौर में 26, पाली में 6, प्रतापगढ़ में 6, राजसमंद में 10, सिरोही में 23, श्रीगंगानगर में 37, टोंक में 19, उदयपुर में 9 और एसओजी में 22 एफआईआर दर्ज की गई.

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