जयपुर. पूरे देश में कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं और यदि बात राजस्थान की करें तो स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है. जहां एक ओर लोगों में कोरोना का खौफ दिखा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर इसका सबसे ज्यादा फायदा साइबर ठग उठा रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर में भी साइबर ठगों ने लोगों को अनेक तरीकों से अपने जाल में फंसा कर ठगी का शिकार बनाया था तो वहीं एक बार फिर से कोरोना के नाम पर ठगों ने लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है.
कोरोना के वैक्सीनेशन के स्लॉट बुक करने के नाम पर एक बार फिर से ठगों ने युवाओं को अपना टारगेट करना शुरू किया है. इसके साथ ही कोरोना के केस बढ़ने के चलते लोग अब बाजार जाने की बजाय ऑनलाइन सामान खरीदना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं. ऐसे में लोगों को विभिन्न तरह के ऑफर व डिस्काउंट का झांसा देकर भी साइबर ठग अपना शिकार बना रहे हैं. साइबर ठगों के झांसे में आने से बचने के लिए युवाओं का सतर्क रहना व जागरूक होना बेहद आवश्यक है.
वैक्सीनेशन स्लॉट बुक करने के नाम पर ठगी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए सरकार ने 15 से 18 आयु वर्ग के युवाओं का वैक्सीनेशन करने का निर्णय लिया है. जिसका फायदा उठाकर साइबर ठग विभिन्न सरकारी वेबसाइट से मिलती जुलती नाम की फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को वैक्सीनेशन स्लॉट बुक कराने का झांसा दे ठगी (fraud in name of corona vaccination) का शिकार बना रहे हैं.
वैक्सीनेशन स्लॉट बुक कराने के नाम पर लोगों से 150 से लेकर 500 रूपए तक की राशि हड़पी जा रही है. इसके अलावा ठगों ने फेसबुक व इंस्टाग्राम पर भी अनेक पेज बनाए हैं, जिसके जरिए वैक्सीनेशन स्लॉट बुक करने का झांसा देकर लोगों से रुपए हड़पे पर जा रहे हैं. साइबर ठग न केवल लोगों से रुपए हड़प रहे हैं बल्कि लोगों की निजी जानकारी जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड व अन्य डिटेल भी गूगल डॉक्स के पेज पर एंटर करवा रहे हैं. ऐसा करके लोगों की निजी जानकारी भी ठग हासिल कर रहे हैं और फिर उनका गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं.
इस चीज का ध्यान रख करें बचाव
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि यदि सरकारी वेबसाइट वैक्सीनेशन स्लॉट बुक करती है तो वहां पर स्लॉट बुक करने का किसी भी तरह का कोई चार्ज नहीं लिया जाता है. इसके साथ ही तमाम सरकारी वेबसाइट .gov.in या .nic डोमेन पर काम करती है. इसके अलावा .com, .pk आदि डोमेन की कोई भी वेबसाइट सरकारी नहीं है, इस तरह की वेबसाइट ठगों द्वारा बनाई जाती हैं. इसलिए इस चीज का विशेष ध्यान रखें कि वैक्सीनेशन स्लॉट बुक कराने से पहले डोमेन की जांच अवश्य करें.
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कैशबैक और डिस्काउंट के नाम पर की जा रही ठगी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि हाल ही में विभिन्न ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट और एप का डेटा ठगों की ओर से चोरी (Cheating in name of cashback and discount) किया गया है. चुराए गए डेटा का प्रयोग कर ठग यूजर को फोन करके विभिन्न तरह के कैशबैक, डिस्काउंट और अवार्ड का झांसा देकर अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं. लोगों को अपने झांसे में लेने के लिए ठग खुद को संबंधित वेबसाइट के कैशबैक सेक्शन या अवार्ड सेक्शन से होने की बात कहते हैं. इसके बाद यूज़र ने कब क्या सामान खरीदा है और उसके लिए किस तरह से पेमेंट किया है यह तमाम जानकारी ठग यूजर को बताकर उसका विश्वास जीतते हैं.
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इसके बाद कैशबैक, डिस्काउंट या अवार्ड देने का झांसा देकर 500 से लेकर 5000 रुपए तक की ठगी करते हैं. ठगों द्वारा ठगी गई राशि यूजर से पेटीएम या अन्य ऑनलाइन पेमेंट एप के जरिए मंगाई जाती है. ठगों द्वारा तमाम ई-वॉलेट फर्जी केवाईसी पर खोले जाते हैं जिसके चलते पुलिस ठगों तक नहीं पहुंच पाती.
यह तरीका अपनाकर करें बचाव
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि सबसे पहले यूजर को यह जानना बेहद आवश्यक है कि कोई भी कंपनी फ्री में कोई भी महंगा आइटम गिफ्ट में नहीं देती है. न ही किसी भी आइटम पर भारी मात्रा में डिस्काउंट या कैशबैक दिया जाता है. ऐसे में ठगों के झांसे में आने से लोगों को बचना चाहिए. इसके साथ ही ठगों की ओर से मोबाइल पर भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से बचना चाहिए साथ ही मोबाइल में परचेस्ड एंटीवायरस को हमेशा एक्टिवेट रखना चाहिए. अपनी निजी जानकारी को किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ कभी भी शेयर नहीं करना चाहिए. जागरूक और सतर्क रहकर ही इस तरह की ठगी का शिकार होने से खुद को बचाया जा सकता है.