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Challenges of MGEMS: महात्मा गांधी स्कूल के लिए चुनौती बना English Medium!

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Published : Jul 8, 2022, 12:44 PM IST

Updated : Jul 8, 2022, 12:55 PM IST

Challenges of MGEMS
महात्मा गांधी स्कूल के लिए चुनौती

वर्तमान में प्रदेश में 559 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुले हुए हैं (Challenges of MGEMS), तो वही नए सत्र से 211 और स्कूल इसमें शामिल हो जाएंगे. संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही समस्याओं में भी इजाफा उसी गति से होता दिख रहा है.

जयपुर. राजस्थान में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय अब सरकार के लिए गले की फांस बन रहे हैं (Challenges of MGEMS). ब्लॉक स्तर पर स्कूलों को शुरू करने के बाद आनन-फानन में सरकार चाहती है कि जल्द इन स्कूलों को स्टाफ भी मिल जाए. इस बीच एक परेशानी सरकार और स्कूलों के सामने खड़ी हो गई है. मामला है इन स्कूलों की जगह का. गौरतलब है कि नए सेटअप की जगह सरकार ने पहले से ही जारी हिंदी मीडियम वाली स्कूलों को ही अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करना शुरु कर दिया है, जिसका खामियाजा बड़े पैमाने पर हिंदी मीडियम के छात्र उठा रहे हैं. लिहाजा सरकार से शिक्षक संगठन फैसले पर रिव्यू की मांग कर रहे हैं.

राजधानी जयपुर में 41 स्कूलों समेत पूरे प्रदेश में 211 स्कूलों को हिंदी माध्यम से अंग्रेजी मीडियम में बदला गया है. जिनका शैक्षिक सत्र 2022 -23 से ही है. ऐसे में सरकार के फैसले के बीच अंग्रेजी भाषा में पूरी तरह से ट्रेंड स्टाफ की कमी भी एक बड़ा मसला है. इस पर सरकार ने स्कूलों से अलग से प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए कहा है. आशंका है कि मीडियम बदलने से स्कूल में ड्रॉप आउट बढ़ सकता है (Drop Outs In MGEMS) दूसरी तरफ संविदा पर आए शिक्षक भविष्य में अपनी लिए स्थाई नौकरी की मांग कर सकते हैं.

चुनौतियों की फेहरिस्त लम्बी

हिंदी मीडियम वाला जाए तो जाए कहां?: जयपुर की सोमेश्वर पुरी कच्ची बस्ती स्थित उच्च माध्यमिक स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया है. जिसके बाद यहां हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है. शिक्षक संगठनों के मुताबिक झालाना कच्ची बस्ती के इस स्कूल के आसपास के इलाके से पंद्रह सौ अड़तालीस बच्चों का नामांकन किया गया है. इनमें से ज्यादातर बच्चे अपना माध्यम बदलने के लिए तैयार नहीं हैं. अब ये बच्चे अगर स्कूल में नहीं पढ़ते हैं ,तो फिर कहां जाएं? सोमेश्वरपुरी जैसा ही मामला आमेर के सीतारामपुरी स्कूल का है. जहां बच्चों के घर वाले भी नाराजगी जता रहे हैं. यहां के बच्चे अपनी आगे की तालीम हिंदी में चाहते हैं ,लेकिन इनके स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील कर दिया गया है. बच्चों के आसपास कोई दूसरा ऑप्शन भी नहीं है, ऐसे में घरवालों और बच्चों की परेशानी का बढ़ना लाजिमी है.

प्रदेश के 211 अंग्रेजी माध्यमों के स्कूल में 2 जुलाई से आवेदन मांगे गए थे. जिसके बाद शुक्रवार 8 जुलाई को लॉटरी निकाल दी जाएगी ,ये एडमिशन सिर्फ नए स्कूल में होंगे. जबकि पहले से चल रहे स्कूलों में एडमिशन का प्रोसेस पूरा कर लिया गया है. वर्तमान में प्रदेश में 559 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुले हुए हैं, तो वहीं नए सत्र से 211 और स्कूल इसमें शामिल हो जाएंगे. ऐसे में इन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती नहीं होना भी सरकार की मंशा को ठेंगा दिखा रहा है.

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कम नामांकन वाले स्कूलों पर सरकार दे ध्यान: सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को लेकर सरकार की नीति पर सवालों के बीच शिक्षकों के कुछ सुझाव भी हैं. एक तरफ सरकार फिलहाल तात्कालिक व्यवस्था में जुटी हुई है, तो दूसरी तरफ शिक्षकों का कहना है कि जल्दबाजी की जगह पहले सेटअप तैयार करने के बाद सरकार को स्कूल खोलने चाहिए. कुछ जगहों पर अलग-अलग शिफ्ट में हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों का संचालन किया जा रहा है पर इसका असर भी अनट्रेंड स्टाफ या टीचर्स पर दबाव के रूप में देखने को मिल रहा है. इसी तरह एक सुझाव यह भी है कि जिस स्कूल में नामांकन कम है ,यदि उसे अंग्रेजी माध्यम में बदलकर नजदीक के विद्यालय हिंदी मीडियम के बच्चों की शिफ्टिंग की जाए ,तो बेहतर होगा. शिक्षक अपनी मेहनत पर पानी फिरता हुआ देखकर भी परेशान हैं जिस शिद्दत के साथ स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया को पूरा किया गया, अब उसी पर पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है.

खाली पदों पर साक्षात्कार की प्रक्रिया: राजस्थान सरकार बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला दे सरकारी स्कूलों को निजी विद्यालयों के समकक्ष लाने की कोशिश कर रही है. इस कवायद के बीच सबसे बड़ी दिक्कत काबिल स्टाफ की कमी है. इन स्कूलों में नव सत्र की तैयारियों के बीच अध्यापकों के लिए साक्षात्कार का दौर भी जारी है. बताया जा रहा है कि ज्यादातर स्कूलों में 20 से लेकर 40 फीसदी तक पद रिक्त पड़े हैं. दूसरी तरफ अंग्रेजी माध्यमों के स्कूलों में सीटों की संख्या सीमित होने के कारण भी एक चुनौती खड़ी हो चुकी है.

महात्मा गांधी विद्यालय में नर्सरी, LKG और HKG की कक्षा में 25 विद्यार्थियों की संख्या निश्चित की गई है. वहीं पहली से लेकर पांचवीं तक की कक्षा में 30 बच्चे होंगे. इसी तरह से छठवीं क्लास से लेकर आठवीं क्लास तक 30 बच्चों के साथ कक्षाएं चलाई जाएंगी और कक्षा नवीं,दसवीं और ग्यारहवीं में 60- 60 बच्चों के प्रवेश की अनिवार्यता रखी गई है. दूसरी तरफ हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूलों की बात करें ,तो यहां प्रवेश की प्रक्रिया साल भर जारी रहती है. इन विद्यालयों में सीटों की संख्या को लेकर भी कोई विशेष तनाव नहीं रहता परंतु मौजूदा परिस्थितियों में चर्चा का मुद्दा अंग्रेजी माध्यम की महात्मा गांधी विद्यालयों में स्टाफ की कमी का है ,जो ड्रॉप आउट के साथ चुनौती के रूप में दिख रहा है.

Last Updated :Jul 8, 2022, 12:55 PM IST
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