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स्पेशल रिपोर्ट: गेहूं, चना, मसूर और अरहर की दाल से बनाई गई अन्न धन-धान्य से परिपूर्ण गणेश प्रतिमा

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Published : Sep 2, 2019, 11:43 AM IST

अजमेर, गणेश चतुर्थी, eco-friendly Ganesh idol, Environment protection

धार्मिक पर्वों पर ग्लोबल वार्मिंग और जल प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले 25 सालों से आगरा गेट बालूगोमा स्तिथ कार्य सिद्धि गणेश मंदिर में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाया है. जिसका खास उद्देश्य, विसर्जन से होने वाले प्रदूषण को रोकना है जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश आम जन तक पहुंचाया जा सके.

अजमेर. जिले में प्रथम पूज्य गणपति जन्मोत्सव के मौके पर देशभर में विभिन्न तरह से गणेश चतुर्थी मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में अजमेर में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए गेहूं, चना, मसूर, अरहर, मूंग की दाल, काजू, बादाम, पिस्ता और सिक्कों से गणेश जी की अद्भुत प्रतिमा तैयार किया गया है. बता दें कि आगरा गेट स्थित बालूगोमा स्तिथ कार्य सिद्धि गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग दालों से निर्मित इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा भक्तों के दर्शन के लिए बनाई गई है, इसे बनाने में 10 दिन का समय लगा.

अजमेर में पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए बनाई गई इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा

मंदिर के पुजारी कैलाश गुप्ता ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए पिछले 25 सालों से विभिन्न प्रकार की मिट्टी के गणेश प्रतिमाओं का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
बावजूद इसके प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी प्रतिमाओं का अभी भी सर्वाधिक चलन है. अजमेर में भी 20 से 25 हजार के करीब गणेश प्रतिमाएं बनाई गई है. जिसमें बमुश्किल 1 प्रतिशत प्रतिमा ही प्लास्टर ऑफ पेरिस के अलावा अन्य चीजों की बनी हुई होंगी.

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151 किलो का तिरंगा लड्डू बनाया गया

गणेश प्रतिमा के अलावा बालुगोमा कार्य सिद्धि गजानन मंदिर में 151 किलो का तिरंगा लड्डू भी बनाया जा रहा है, यह लड्डू सूजी, बेसन, चावल आदि से बनाया गया है. इसे ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा के साथ रखा जाएगा. अनंत चतुर्दशी के दिन इस प्रसाद का वितरण होगा. खास बात ये कि इस इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा के विसर्जन से किसी प्रकार का जल प्रदूषण भी नहीं होगा और इससे प्ररेणा लेकर सभी को ऐसे तरीके अपनाने चाहिए.

Intro:अजमेर/ धार्मिक पर्वों पर ग्लोबल वार्मिंग और जल प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले 25 सालों से आगरा गेट बालों को माय गणेश मंदिर में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा को द्वारा बनाया गया है जिसका खास उद्देश्य है किस के विसर्जन से प्रदूषण नहीं होगा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश आम जन तक पहुंच पाएगा


Body:प्रथम पूज्य गणपति का जन्मोत्सव में गणेश महोत्सव में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर एक गेहूं ,चना, मसूर, अरहर, मूंग की दाल ,काजू ,बादाम ,पिस्ता और सिक्कों से गणेश जी की प्रतिमा को तैयार किया गया है


आगरा गेट स्थित बालूगोमा स्तिथ कार्य सिद्धि गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग दालों से निर्मित इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा भक्तों के दर्शन के लिए बनाई गई है इसे बनाने में 10 दिन का समय लगा है वहीं मंदिर के पुजारी कैलाश गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए पिछले 25 साल से विभिन्न प्रकार की हालांकि मिट्टी के गणेश प्रतिमाओं का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है


ईसके बावजूद प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी प्रतिमाओं का अभी भी सर्वाधिक चलन है अजमेर में भी 20 से 25 हजार के करीब गणेश प्रतिमाएं बनाई गई है जिसमें बमुश्किल 1% प्रतिमा ही प्लास्टर ऑफ पेरिस के अलावा अन्य चीजों की बनी हुई होगी ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा को बनाया जा रहा है






Conclusion:151 किलो का तिरंगा लड्डू


वही बालुगोमा कार्य सिद्धि गजानन मंदिर में 151 किलो का तिरंगा लड्डू भी बनाया जा रहा है यह लड्डू सूजी, बेसन, चावल आदि से बनाया गया है यह ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा के साथ रखा जाएगा वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन प्रसाद का वितरण होगा इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा के विसर्जन करने पर किसी प्रकार का जल प्रदूषण भी नहीं होगा


अजमेर से ईटीवी भारत के लिए किशोर सिंह सोलंकी की रिपोर्ट
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