विदिशा। जिले में कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण से मृत्यु का आंकड़ा बढ़ा. शमशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची, तो प्रशासन ने दाह संस्कार करने की एक जगह का प्रबंध किया, जो बेतवा नदी के किनारे भोर घाट पर था. कोविड प्रोटोकॉल के कारण सिर्फ 2 लोगों की अनुमति होती थी. इस दौरान लोगों को सामान इकट्ठा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता. ऐसे में चार युवाओं ने अंतिम संस्कार करने का बेड़ा उठाया.
2 महीनों के सेवाकाल में 205 अंतिम संस्कार किए गए. इनमें से 14 लोग अपने परिजनों की अस्थियों तक लेने नहीं आये, लेकिन कोरोना के कम होते मामले को देखते हुए अब चार समाजसेवी युवाओं ने अस्थियों को गंगा में विसर्जन करने गए. वहां उन्होंने 11 ब्राह्मणों को भोज कराया. 22 अप्रैल से 31 मई तक भोर घाट पर कोरोना वायरस लोगों के अंतिम संस्कार हुए.
आगर मालवा: दाह संस्कार के लिए कम पड़ रही लकड़ियां
देश में कोरोना संकट के बीच विदिशा के चार युवाओं ने कोरोना से मृत शवों का अंतिम संस्कार करने का बेरा उठाया. उन्होंने कहा कि अगर इनके परिजन अंतिम संस्कार करने नहीं आ रहे हैं, तो वह उनका दाह संस्कार करेंगे.