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आदिवासी जिले शहडोल में सिकल सेल एनीमिया के मरीज बढ़े, जानें- इस बीमारी के लक्षण और बचने के उपाय

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Published : Apr 2, 2022, 5:22 PM IST

आदिवासी जिले शहडोल में सिकल सेल एनीमिया नामक गंभीर बीमारी से लोग पीड़ित हो रहे हैं. इस बीमारी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार कोशिश कर रहा है. लोगों को जागरूक करने के अलावा अस्पतालों में टेस्ट किया जा रहा है. पॉजीटिव मरीजों का उपचार जिला अस्पताल में चल रहा है. (Sickle cell anemia patients) (tribal district Shahdol)

Sickle cell anemia patients
शहडोल में सिकल सेल एनीमिया के मरीज

शहडोल। शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. जिले में अब सिकल सेल एनीमिया नामक गंभीर बीमारी तेजी से बढ़ रही है. मजदूरी के बीच पोषण आहार की कमी की वजह से लगातार इस जिले में लोग सिकल सेल एनीमिया की चपेट में आ रहे हैं. जिले में सिकल सेल एनीमिया के कई मरीज मिले हैं. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग और ज्यादा सजग हो गया है और लगातार इस तरह के मरीजों की काउंसलिंग कर रहा है.

अभी 173 मरीजों का ट्रीटमेंट चल रहा है : सिकल सेल एनीमिया को लेकर डिस्ट्रिक्ट पब्लिक हेल्थ नर्सिंग ऑफिसर वंदना डोंगरे बताती हैं कि जब हम लोगों ने इस जिले में सर्वे करवाया है. इसमें दो प्रकार की जांच होती है. जिससे ये कन्फर्म हो पाता है कि मरीज सिकल सेल पॉजिटिव है या नहीं. सर्वे के दौरान लोगों की काउंसलिंग कर जब हमने उनका सिकल सेल का टेस्ट करवाया है तो वर्तमान स्थिति में हमारे पास 173 ऐसे लोग हैं, जिनको ब्लड ट्रांसफ्यूजन तक की जरूरत पड़ी है. सिकल सेल एनीमिया के कई मरीजों का वर्तमान में जिला चिकित्सालय में इलाज चल रहा है.

क्या होता है सिकल सेल एनीमिया : हमारे बॉडी में आरबीसी होते हैं, वो हंसिये के आकार के हो जाते हैं, जोकि गोल होते हैं. इसमें इंसान में ऑक्सीजन बाइन्डअप होकर हमारी कोशिकाओं में बहता है. चूंकि वो गोल न होकर हंसिये के आकर के हो जाते हैं, इसलिए बॉडी में ऑक्सीजन की जो कैरिंग कैपेसिटी है, वो कम हो जाती है. इसके सामान्यतः लक्षण इस प्रकार हैं- जिसे सिकल सेल एनीमिया हुआ है, वो जल्दी थक जाता है, फिर चाहे वो बच्चा हो या युवा. उसको कुछ-कुछ देर में पसीने छूटने लग जाते हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि बार-बार सफेदपन उसके शरीर में बढ़ने लग जाता है. इन लक्षणों से आप इसे पहचान सकते हैं. इसका परीक्षण किसी भी नज़दीकी हॉस्पिटल में कराया जा सकता है.

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दो प्रकार के टेस्ट होते हैं : इसके लिए एक सिंपल टेस्ट होता है, जिससे हम जान सकते हैं कि पॉजिटिव है या निगेटिव. पहले हम सोलिबिलिटी टेस्ट करते हैं. सोलिबिलिटी टेस्ट में हमें ये तो पता चल जाएगा कि सिकल सेल उसमें है या नहीं. हम अभी पहले लक्षण वाले जो मरीज होते हैं उनकी काउंसलिंग कर देते हैं कि वो भविष्य में क्या-क्या चीज ध्यान में रखें. लेकिन जो दूसरे लक्षण वाले होते हैं, उनकी स्पेशली ट्रैकिंग की जाती हैं. स्पेशली ट्रैकिंग के तहत ब्लूड ट्रांसफ्यूजन तक की जरूरत पड़ती है. (Sickle cell anemia patients) (tribal district Shahdol)

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